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जिला अस्पताल में मरीज बेहाल, इलाज नहीं मिलने से जा रहे इंदौर-भोपाल

स्वास्थ्य विभाग के लाख दावों के बाद भी जिला अस्पताल कई समस्याओं से जूझ रहा है. जिला अस्पताल की दो डायलिसिस मशीनें खराब पड़ी हैं, जिसके चलते मरीजों को इंदौर-भोपाल जाना पड़ा.

राजगढ़ जिला अस्पताल में डायलिसिस की दोनों मशीनें खराब
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Published : Nov 19, 2019, 9:27 AM IST

Updated : Nov 19, 2019, 11:23 AM IST

राजगढ़। स्वास्थ्य विभाग के लाख दावों के बाद भी जिला अस्पताल कई समस्याओं से जूझ रहा है. जहां एक तरफ डॉक्टरों की कमी के कारण लगातार मरिजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ मशीनों के खराब हो जाने से मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. जिला अस्पताल में लगातार दो डायलिसिस मशीनें खराब हो जाने से किडनी पीड़ित मरीजों को अधिक परेशानी हो रही है.

राजगढ़ जिला अस्पताल में डायलिसिस की दोनों मशीनें खराब

जिला अस्पताल में पहली डायलिसिस मशीन अगस्त महीने में खराब हो गई थी, जबकि दूसरी मशीन लगातार नमी के चलते 30 अक्टूबर को खराब हो गई, जिसकी वजह से मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए इंदौर-भोपाल जाना पड़ता है और महंगे दामों पर किडनी का इलाज करवाना पड़ रहा है. जिले में गरीब परिवार भी हैं, जो अपना इलाज महंगे दामों में नहीं करवा पाते, वहीं ऐसे भी व्यक्ति हैं जिनकी पहली किडनी खराब हो जाने से उनकी जान जा चुकी है.

इस बारे में डायलिसिस अधिकारी डॉक्टर सुधीर कलावत ने बताया कि सिविल सर्जन ने तुरंत ही भोपाल पत्र लिखा था. कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि नमी होने के चलते मशीन खराब हुई है. तीन से चार मरीजों की किडनी खराब हो जाने से उनकी जान जा चुकी है. उन्होंने ये भी बताया कि डायलिसिस की मशीन सही करवाने में एक लाख रुपए खर्च आएगा, अगर डायलिसिस मशीन का कक्ष बदल दिया जाए तो मशीनों को सही कराकर फिर से चलाया जा सकता है.

राजगढ़। स्वास्थ्य विभाग के लाख दावों के बाद भी जिला अस्पताल कई समस्याओं से जूझ रहा है. जहां एक तरफ डॉक्टरों की कमी के कारण लगातार मरिजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ मशीनों के खराब हो जाने से मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. जिला अस्पताल में लगातार दो डायलिसिस मशीनें खराब हो जाने से किडनी पीड़ित मरीजों को अधिक परेशानी हो रही है.

राजगढ़ जिला अस्पताल में डायलिसिस की दोनों मशीनें खराब

जिला अस्पताल में पहली डायलिसिस मशीन अगस्त महीने में खराब हो गई थी, जबकि दूसरी मशीन लगातार नमी के चलते 30 अक्टूबर को खराब हो गई, जिसकी वजह से मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए इंदौर-भोपाल जाना पड़ता है और महंगे दामों पर किडनी का इलाज करवाना पड़ रहा है. जिले में गरीब परिवार भी हैं, जो अपना इलाज महंगे दामों में नहीं करवा पाते, वहीं ऐसे भी व्यक्ति हैं जिनकी पहली किडनी खराब हो जाने से उनकी जान जा चुकी है.

इस बारे में डायलिसिस अधिकारी डॉक्टर सुधीर कलावत ने बताया कि सिविल सर्जन ने तुरंत ही भोपाल पत्र लिखा था. कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि नमी होने के चलते मशीन खराब हुई है. तीन से चार मरीजों की किडनी खराब हो जाने से उनकी जान जा चुकी है. उन्होंने ये भी बताया कि डायलिसिस की मशीन सही करवाने में एक लाख रुपए खर्च आएगा, अगर डायलिसिस मशीन का कक्ष बदल दिया जाए तो मशीनों को सही कराकर फिर से चलाया जा सकता है.

Intro:कब सुधार होगा जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में ,बंद व्यवस्था में बंद हुई दोनों डायलिसिस,पहली डायलिसिस मशीन खराब होने के बाद मिली जानकारी के अनुसार 5 लोग गवा चुके हैं अपनी जान ,जिनमें 50 साल से कम उम्र वाले तीन व्यक्ति भी शामिल ,वहीं कई लोगों को महंगे दामों पर करवानी पड़ती है डायलिसिस


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का जिला अस्पताल इस समय काफी समस्याओं से जूझ रहा है जहां एक तरफ डॉक्टरों की कमी के कारण लगाता जिला अस्पताल में काफी परेशानियां मरीजों को झेलनी पड़ रही है वहीं उपकरणों के खराब होने के कारण भी कई मरीज लगातार परेशानियां झेल रहे हैं वही एक ऐसा ही मामला सामने आया है ,जिसमें जिला अस्पताल में डायलिसिस कराने के लिए लाई गई दोनों मशीनें एक के बाद एक खराब हो गई ,वहीं जहां पहली डायलिसिस मशीन अगस्त माह में खराब हुई थी और वहीं दूसरी डायलिसिस मशीन लगातार नमी के वजह से 30 अक्टूबर को खराब हो गई और इसके बाद जहां डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और महंगे व्यवस्था पर इंदौर और भोपाल जाना पड़ता है और वहां पर महंगे दामों पर डायलिसिस करवाना पड़ता है। जहां 1 हफ्ते में मरीज को दो बार डायलिसिस करवाना पड़ता है, जिसके लिए उसको काफी रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं वहीं जहां जिले के अनेक गरीब और ऐसे परिवारों से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति भी मौजूद है ,जो इन महंगे दामों पर अपना इलाज नहीं करवा पाते हैं ,वहीं मिली जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जो पहली डायलिसिस खराब हो जाने के बाद आज दिनांक तक अपना दम तोड़ चुके हैं।

वहीं इनमें से एक परिवार से बात करने पर पता लगा कि पहली डायलिसिस खराब हो जाने के बाद उनको लगातार परेशानियां झेलनी पड़ रही थी और उनके ससुर नारायण सिंह जो हिरण कैरी के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे उन्होंने सितंबर के माह में अपनी अंतिम सांस ली ।

वही करेड़ी के प्रेम बताते हैं कि उनको लगातार अगस्त माह से परेशानियां झेलनी पड़ रही है, जहां पहले तो उनको हफ्ते में दो बार डायलिसिस हो जाया करती थी, परंतु जब अगस्त माह में पहली मशीन खराब हुई तो उनका नंबर 7 से 15 दिनों के बीच में आने लगा, वहीं जब स्थिति बिगड़ने लगी तो वहां इंदौर अपना इलाज करवाने के लिए जाने लगे ,जहां 1 हफ्ते के लगभग 3000 से 4000 रुपए का खर्चा डायलिसिस करवाने के लिए आता है, वही अन्य चीजें करके लगभग 1 हफ्ते में ₹5000 लग जाया करते है, वहीं वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति हैं और उनके पिताजी उनकी सब्जी की दुकान लगाते हैं, जो तबीयत खराब होने से पहले वह लगाया करते थे और वह एक काफी गरीब परिवार के व्यक्ति हैं, जो हर हफ्ते ₹5000 का खर्चा करने की क्षमता नहीं रखता है।


Conclusion:वही इस बारे में डायलिसिस के अधिकारी डॉक्टर सुधीर कलावत से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा सिविल सर्जन को इस बारे में बताया गया था, जिस पर सिविल सर्जन ने तुरंत भोपाल को पत्र लिखा था वही हमारी कंपनी के इंजीनियर से बात हुई थी तो उन्होंने कहा कि नमी के कारण यहां मशीनें खराब हुई है वहीं जब उनसे पूछा गया कि सुनने में आया है कि 3 से 4 मरीज डायलिसिस खराब हो जाने के कारण उनकी जान चली गई है तो उन्होंने कहा कि हां मुझे भी ऐसी बात सुनने में आई थी, कि कुछ मरीजों की जान डायलिसिस खराब हो जाने की वजह से चली गई है ,वहीं ऐसा हो सकता है क्योंकि जब डायलिसिस समय नहीं हो पाता है तो मरीज की तबीयत बिगड़ने लगती है और डायलिसिस ना होने के कारण मरीज की जान को काफी खतरा रहता है, वहीं उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में आसपास के ग्रामीण डायलिसिस करवाने के लिए आते हैं, जो काफी गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और जो इंदौर और भोपाल अपना इलाज करवाने के लिए नहीं जा पाते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि डायलिसिस की मशीन को सही करवाने के लिए ₹100000 का खर्चा आएगा और अगर डायलिसिस मशीन का कक्ष बदल दिया जाए तो डायलिसिस मशीनों को सही करवा कर फिर से सुचारू रूप से चलाया जा सकता है।



विसुअल

बंद पड़ी डायलिसिस मशीन
जिला अस्पताल के
डायलिसिस मशीन कक्ष के
नमी खाती दीवारें

बाइट

बिरम सिंह
प्रेम
डॉ सुधीर कलावत डायलीसिस प्रभारी
Last Updated : Nov 19, 2019, 11:23 AM IST
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