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अनिवार्य सेनानिवृत्ति को लेकर शिक्षकों का फूटा गुस्सा, प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर शिक्षक संघ काफी नाराज है.उन्होंने अपनी सात सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने रखते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

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अनिवार्य सेनानिवृत्ति को लेकर शिक्षकों का फूटा गुस्सा
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Published : Dec 6, 2019, 11:15 AM IST

Updated : Dec 6, 2019, 2:17 PM IST

राजगढ़। अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर शिक्षक संघ काफी नाराज है, जिसको लेकर शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. शिक्षक संघ ने सरकार के सामने 7 मांगें रखी हैं.

अनिवार्य सेनानिवृत्ति को लेकर शिक्षकों का फूटा गुस्सा


जिसमें उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा रीवा, सतना, सिंगरौली और अन्य जिले के 16 शिक्षकों को 2050 के फॉर्मूले के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है, जो कि सर्वथा अनुचित है. वहीं उनके द्वारा की गई मांग कुछ इस प्रकार है-

  • सेवानिवृत्ति देने के लिए जिस परीक्षा को आधार बनाया गया है. वह अव्यवस्थाओं के बीच लापरवाही के साथ आयोजित की गई.परीक्षा विश्वसनीय नहीं है.
  • कुछ शिक्षक 30% से कम परीक्षा परिणाम की श्रेणी में नहीं आते थे. उन्हें जबरन परीक्षा में बिठाया जा रहा था, जिसके चलते उन शिक्षक ने परीक्षा नहीं दी.
  • जहां एक तरफ शिक्षकों की कई विद्यालयों में कमी है और लगातार शिक्षकों को दूसरे कामों में लगाया जाता है, जिसके वजह से उनका परीक्षा परिणाम अनुरूप नहीं आ पाता है.जिसको जल्द बंद किया जाए.
  • शिक्षकों को अपनी कार्यदक्षता सुधारने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए.
  • अनिवार्य सेवा निर्मित देने की कार्रवाई के पूर्व प्रकरणों के गहन छानबीन नहीं की गई.
  • अनिवार्य सेवा निर्मित नियम के अनुसार पूरे सेवाकाल का रिकॉर्ड देखा जाना चाहिए जो नहीं देखा गया है.

राजगढ़। अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर शिक्षक संघ काफी नाराज है, जिसको लेकर शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. शिक्षक संघ ने सरकार के सामने 7 मांगें रखी हैं.

अनिवार्य सेनानिवृत्ति को लेकर शिक्षकों का फूटा गुस्सा


जिसमें उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा रीवा, सतना, सिंगरौली और अन्य जिले के 16 शिक्षकों को 2050 के फॉर्मूले के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है, जो कि सर्वथा अनुचित है. वहीं उनके द्वारा की गई मांग कुछ इस प्रकार है-

  • सेवानिवृत्ति देने के लिए जिस परीक्षा को आधार बनाया गया है. वह अव्यवस्थाओं के बीच लापरवाही के साथ आयोजित की गई.परीक्षा विश्वसनीय नहीं है.
  • कुछ शिक्षक 30% से कम परीक्षा परिणाम की श्रेणी में नहीं आते थे. उन्हें जबरन परीक्षा में बिठाया जा रहा था, जिसके चलते उन शिक्षक ने परीक्षा नहीं दी.
  • जहां एक तरफ शिक्षकों की कई विद्यालयों में कमी है और लगातार शिक्षकों को दूसरे कामों में लगाया जाता है, जिसके वजह से उनका परीक्षा परिणाम अनुरूप नहीं आ पाता है.जिसको जल्द बंद किया जाए.
  • शिक्षकों को अपनी कार्यदक्षता सुधारने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए.
  • अनिवार्य सेवा निर्मित देने की कार्रवाई के पूर्व प्रकरणों के गहन छानबीन नहीं की गई.
  • अनिवार्य सेवा निर्मित नियम के अनुसार पूरे सेवाकाल का रिकॉर्ड देखा जाना चाहिए जो नहीं देखा गया है.
Intro:जहां मध्यप्रदेश में 20 और 50 फार्मूले के अंतर्गत 16 शिक्षकों को सेवा निर्मित किया गया है इसको लेकर शिक्षक संघ सरकार से काफी नाराज है जिसको लेकर आज शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन, कहा शिक्षक अगर गलत होता है तो उस पर ही क्यों होती है कार्रवाई ,वही डॉक्टर और जनप्रतिनिधि भी लगातार करते हैं कार्रवाई उनको क्यों नहीं दी जाती सेवानिवृत्ति


Body:मध्यप्रदेश में जहां खराब रिजल्ट के बाद शिक्षकों के लिए एक परीक्षा का आयोजन किया गया था जिसमें कई शिक्षकों को परीक्षा देनी पड़ी थी वहीं इनमें से कुछ शक फेल हो गए थे जिन पर सरकार द्वारा कार्यवाही करते हुए 20 और 50 के फार्मूले के अंतर्गत उनको सेवानिवृत्त कर दिया गया था जिसको लेकर शिक्षक संघ काफी नाराज है और लगातार सरकार के खिलाफ मुहिम चला रहा है वहीं आज इसी क्रम में राजगढ़ जिले के शिक्षक संघ ने उनके खिलाफ हुए इस व्यवहार को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया और कुल 7 मांगे सरकार के समक्ष रखी।
जिसमें उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यतः रीवा सतना सिंगरौली तथा अन्य जिले के 16 शिक्षकों को 2050 के फार्मूले के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है जो कि सर्वथा अनुचित है और वहीं उन्होंने सात मांगों में कहा कि 1.सेवानिवृत्त देने के लिए जिससे परीक्षा को आधार बनाया गया है वह अव्यवस्थाओं के बीच लापरवाही के साथ आयोजित की गई अर्थात परीक्षा विश्वसनीय नहीं है
2.कुछ शिक्षक 30% से कम परीक्षा परिणाम की श्रेणी में नहीं आते थे, उन्हें जबरन परीक्षा में बिठाया जा रहा था ,जिसके चलते कुछ शिक्षक ने परीक्षा नहीं दी जबकि कुछ ने बेमन से ही दी।
3. जहां एक तरफ शिक्षकों की कई विद्यालयों में कमी है और लगातार शिक्षकों को दूसरे कामों में लगाया जाता है जिसके वजह से उनका परीक्षा परिणाम अनुरूप नहीं आ पाता है इस को जल्द से जल्द बंद किया जाए ।
4.वहीं शिक्षकों को अपने कार्य दक्षता सुधारने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए
5.अनिवार्य सेवा निर्मित देने की कार्रवाई के पूर्व प्रकरणों के गहन छानबीन नहीं की गई
6.अनिवार्य सेवा निर्मित नियम के अनुसार पूरे सेवाकाल का रिकॉर्ड देखा जाना चाहिए जो नहीं देखा गया है ।

वहीं इसी दौरान भगवान सिंह राणावत जिला अध्यक्ष शासकीय अध्यापक संगठन ने बताया कि आजकल सोशल मीडिया पर सेवा निर्मित किए गए शिक्षकों का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक मिश्रा जी बताते हैं कि उनको आधे घंटे पहले परीक्षा की सूचना दी गई थी वही जब वे संकुल पर पहुंचे तो उनको आठवीं का पेपर दे दिया गया वहीं परीक्षा के दौरान ही उनको दसवीं के पेपर के बारे में बताया गया और उनको तुरंत ही दसवीं का पेपर दिलवा दिया गया, जिसके वजह से हड़बड़ाहट में उनसे प्रश्न उत्तर गलत हो गए और वे एक मानसिक दबाव में आ गए होंगे, वहीं उन्होंने कहा कि हम लोगों को अनेक कार्यों में लगा दिया जाता है वहीं अन्य विभाग की परीक्षा भी नहीं ली जाती है सिर्फ शिक्षा विभाग के साथ हमेशा दोगलापन किया जाता है।


Conclusion:जब हमारा संविधान एक है तो हमारे साथ ऐसी बेईमानी क्यों की जाती है वहीं चिकित्सा विभाग में जब डॉक्टरों द्वारा गलत मेडिसिन दी जाती है और हमारे साथियों की मृत्यु हो जाती है तो उनकी तो परीक्षा नहीं ली जाती है वहीं जहां हम व्यापम की परीक्षा पास करके आए हैं और वही हमारे यहां पर कई ऐसे जनप्रतिनिधि है, जिनकी कभी कोई एग्जाम नहीं ली जाती है और उनको लगातार जनप्रतिनिधि से हटने के बाद भी पेंशन दी जाती है वही हमारी पेंशन भी 20 से 30 साल कार्य करने के बाद भी ठीक से नहीं मिल पाती है।


विसुअल

ज्ञापन देते हुए
ज्ञापन के

बाइट

भगवान सिंह राणावत जिला अध्यक्ष शासकीय अध्यापक संगठन
Last Updated : Dec 6, 2019, 2:17 PM IST
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