राजगढ़। गर्मी के सीजन में मटके की मांग बढ़ जाती है. इस मटके से लोगों की प्यास तो बुझती ही है, साथ इन्हें बनाने वाले कुम्हारों की भूख भी शांत होती है. इन्हें बेचकर वो अपना गुजारा चलाते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने मटके की बिक्री को भी डाउन कर दिया है. जिससे कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
मटका विक्रेताओं का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से धंधा पूरा चौपट हो गया है. मुश्किल से दिनभर में एक या दो मटके ही बिक पाते हैं. ऐसे में घर चलाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं मटका बनाने के लिए जो कच्चेमाल का उपयोग किया जाता है, अब वो भी नहीं मिल पा रहा है. कुम्हार दूर-दराज क्षेत्रों से मिट्टी लाए थे. लेकिन अब उनके धंधे पर ही मिट्टी पड़ गई है.
ऐसे में मटका बनाकर लोगों की प्यास बुझाने वाले कुम्हारों को लॉकडाउन खुलने का इंतजार है. जिससे हालात सामान्य हों और हर साल की तरह इस साल भी कुछ पैसे कमाकर अपना गुजारा कर सकें.