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MP Seat Scan Sarangpur: सारंगपुर में हिंदुत्व और बीजेपी संगठन मजबूत, 13 बार हुए चुनाव में 9 बार बीजेपी, 3 बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय बना विधायक

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे राजगढ़ जिले की सारंगपुर विधानसभा सीट के बारे में. यहां पूरे समय कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की नजर जमी रहती है, इसके बाद भी यह सीट बीजेपी के कब्जे में बनी हुई है. ईटीवी भारत ने इस सीट का स्कैन किया तो पता चला कि इस सीट को कब्जाने के लिए कांग्रेस के तीन बड़े नेता लगातार मूवमेंट करते हैं.

Number of voters in Sarangpur
सारंगपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 10:45 PM IST

Updated : Sep 28, 2023, 10:55 PM IST

राजगढ़। सारंगपुर (SC) विधानसभा सीट एमपी के 163 नंबर की एक सीट है. ये राजगढ़ लोकसभा सीट का हिस्सा है और भोपाल के करीब आती है. 2018 के चुनाव में यहां से बीजेपी के 58 साल के कुंवरजी कोठार जीते थे. बीते चुनाव में कुल 1,51,248 वोट डाले गए थे और उसमें से बीजेपी के कुंवरजी कोठार को 75,005 वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कला महेश मालवीय को 70,624 वोट मिले और वे 4381 वोटों से चुनाव हार गईं. इसी सीट पर ऐसा 9 बार हुआ, जब बीजेपी जीत गई. इस बार कुंवरजी कोठार का ही नाम सबसे आगे है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इनका विरोध भी है और संघ की पसंद भी नहीं बताएं जा रहे हैं. कारण है कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य समस्याएं चरम पर हैं.

Number of voters in Sarangpur
सारंगपुर में मतदाताओंं की संख्या

एकमात्र सिविल हॉस्पिटल पर निर्भर सारंगपुर: हाल यह है कि पूरे विधानसभा की जनता एकमात्र सिविल हॉस्पिटल पर निर्भर है. कॉलेज भी एकमात्र है और टीचर व डॉक्टर प्रभार पर काम कर रहे हैं. अब सवाल यह है कि आखिर बीजेपी इतनी समस्याओं और विरोध के बाद भी जीत क्यों रही है? तो इसके दो बड़े कारण सामने आए हैं. इस विधानसभा में सारंगपुर के अलावा पचोर क्षेत्र आता है, जहां संघ की सक्रियता बहुत अधिक है. वहीं बीजेपी संगठन भी बेहद मजबूत है, क्योंकि रिजर्व सीट होने की वजह से संगठन के पदाधिकारियों के हिसाब से ही काम होता है. जब भी चुनाव होते हैं तो हिंदुत्व लहर काम करती है.

सारंगपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: सांगरपुर विधानसभा में पहली बार चुनाव वर्ष 1962 में हुए. यहां पहली बार कांग्रेस ने भंवर लाल को टिकट दिया. इनके सामने कई प्रत्याशी थे, लेकिन असली चुनौती जनसंघ से थी. जनसंघ ने गंगाराम जाटव को टिकट दिया और उनके प्रत्याशी ने कांग्रेस के प्रत्याशी भंवर लाल को 2141 वोटों से हरा दिया. वर्ष 1967 के चुनाव में भी पहली बार का इतिहास दोहराया गया. जनसंघ ने दोबारा गंगाराम जाटव को टिकट दिया और कांग्रेस ने भंवर लाल की जगह बी. जाधव को टिकट दिया. इस बार भी जनसंघ के जाटव ने बाजी मारी और उन्होंने कांग्रेस के जाधव को 3561 वोट से हरा दिया. 1972 में कांग्रेस ने सज्जन सिंह विश्नार को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार अमर सिंह को कुल 1253 वोटों से हराया. 1977 में सारंगपुर विधान सभा से कांग्रेस ने सज्जन सिंह के स्थान पर हजारी शिवजी को टिकट दिया, लेकिन वे हार गए. उन्हें हराया एक निर्दलीय उम्मीदवार अमरसिंह मोतीलाल ने, अमर सिंह ने यह चुनाव 5365 वोटों से जीता.

Political history of Sarangpur Assembly
सारंगपुर विधानसभा का 2018 का रिजल्ट

कांग्रेस-बीजेपी के बीच झूलती रही सीट: अमर सिंह कोठार ने निर्दलीय चुनाव जीता तो बीजेपी ने उन्हें 1980 में सारंगपुर विधान सभा से अपना उम्मीदवार बनाया. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) ने भंवरलाल यादव को टिकट दिया. बीजेपी का दांव सही बैठा और उनके अमर सिंह ने कांग्रेस के भंवरलाल को 5746 वोटों से हराया. हालांकि कांग्रेस ने 1985 में सारंगपुर सीट बीजेपी से छीन ली. इस बार यहां से कांग्रेस ने हजारीलाल को उम्मीदवार बनाया और बीजेपी ने अमर सिंह कोठार को ही मैदान में उतारा. हजारी लाल दांगी ने बीजेपी के कोठार को 4167 वोटों से हरा दिया.

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1993 में भाजपा के अमर सिंह जीते: 1990 में बीजेपी ने फिर से अमर सिंह को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. कांग्रेस ने इस बार भैया लाल को टिकट दिया था, जो कि अमर सिंह से 16,351 वोटों से हार गए. 1993 में भी बीजेपी ने अमर सिंह को उम्मीदवार बनाया, जबकि कांग्रेस ने रतनलाल वर्मा को उम्मीदवार बनाया. अमर सिंह यह चुनाव भी 3192 वोटों से जीत गए. 1998 में एक बार फिर सारंगपुर विधानसभा सीट कांग्रेस के पाले में चली गई. इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण मोहन मालवीय चुनाव जीते और विधायक बने. उन्होंने पहली बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए, केसरी नारायण सिंह को 2071 वोटों से हराया.

Political history of Sarangpur Assembly
सारंगपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

2003 के बाद बीजेपी की हो गई सीट: बीजेपी ने तत्काल अपनी गलती सुधारते हुए पूर्व विधायक जो लगातार चुनाव जीत रहे थे अमर सिंह कोठार को 2003 में सारंगपुर विधान सभा क्षेत्र से फिर उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस ने इस बार हजारीलाल मालवीय को उम्मीदवार बनाया, लेकिन जीत बीजेपी के अमर सिंह की हुई. उन्होंने 22,609 वोटों से कांग्रेस को हराया. 2008 में भी सारंगपुर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने अमर सिंह को बढ़ती उम्र के कारण उम्मीदवार बदला और गौतम टेटवाल को टिकट दिया और वे जीत गए. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार हीरालाल मालवीय को कुल 16,310 वोटों से हराया. लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अमर सिंह के बेटे कुंवरजी कोठार को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने कृष्ण मोहन मालवीय को टिकट दिया. बीजेपी यह चुनाव 18,113 वोटों से जीत गई. 2018 में भी बीजेपी ने कुंवरजी कोठार को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने कला महेश मालवीय काे टिकट दिया. बीजेपी के कुंवर जी ने यह चुनाव 4,381 वोटों से जीत लिया.

राजगढ़। सारंगपुर (SC) विधानसभा सीट एमपी के 163 नंबर की एक सीट है. ये राजगढ़ लोकसभा सीट का हिस्सा है और भोपाल के करीब आती है. 2018 के चुनाव में यहां से बीजेपी के 58 साल के कुंवरजी कोठार जीते थे. बीते चुनाव में कुल 1,51,248 वोट डाले गए थे और उसमें से बीजेपी के कुंवरजी कोठार को 75,005 वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कला महेश मालवीय को 70,624 वोट मिले और वे 4381 वोटों से चुनाव हार गईं. इसी सीट पर ऐसा 9 बार हुआ, जब बीजेपी जीत गई. इस बार कुंवरजी कोठार का ही नाम सबसे आगे है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इनका विरोध भी है और संघ की पसंद भी नहीं बताएं जा रहे हैं. कारण है कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य समस्याएं चरम पर हैं.

Number of voters in Sarangpur
सारंगपुर में मतदाताओंं की संख्या

एकमात्र सिविल हॉस्पिटल पर निर्भर सारंगपुर: हाल यह है कि पूरे विधानसभा की जनता एकमात्र सिविल हॉस्पिटल पर निर्भर है. कॉलेज भी एकमात्र है और टीचर व डॉक्टर प्रभार पर काम कर रहे हैं. अब सवाल यह है कि आखिर बीजेपी इतनी समस्याओं और विरोध के बाद भी जीत क्यों रही है? तो इसके दो बड़े कारण सामने आए हैं. इस विधानसभा में सारंगपुर के अलावा पचोर क्षेत्र आता है, जहां संघ की सक्रियता बहुत अधिक है. वहीं बीजेपी संगठन भी बेहद मजबूत है, क्योंकि रिजर्व सीट होने की वजह से संगठन के पदाधिकारियों के हिसाब से ही काम होता है. जब भी चुनाव होते हैं तो हिंदुत्व लहर काम करती है.

सारंगपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: सांगरपुर विधानसभा में पहली बार चुनाव वर्ष 1962 में हुए. यहां पहली बार कांग्रेस ने भंवर लाल को टिकट दिया. इनके सामने कई प्रत्याशी थे, लेकिन असली चुनौती जनसंघ से थी. जनसंघ ने गंगाराम जाटव को टिकट दिया और उनके प्रत्याशी ने कांग्रेस के प्रत्याशी भंवर लाल को 2141 वोटों से हरा दिया. वर्ष 1967 के चुनाव में भी पहली बार का इतिहास दोहराया गया. जनसंघ ने दोबारा गंगाराम जाटव को टिकट दिया और कांग्रेस ने भंवर लाल की जगह बी. जाधव को टिकट दिया. इस बार भी जनसंघ के जाटव ने बाजी मारी और उन्होंने कांग्रेस के जाधव को 3561 वोट से हरा दिया. 1972 में कांग्रेस ने सज्जन सिंह विश्नार को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार अमर सिंह को कुल 1253 वोटों से हराया. 1977 में सारंगपुर विधान सभा से कांग्रेस ने सज्जन सिंह के स्थान पर हजारी शिवजी को टिकट दिया, लेकिन वे हार गए. उन्हें हराया एक निर्दलीय उम्मीदवार अमरसिंह मोतीलाल ने, अमर सिंह ने यह चुनाव 5365 वोटों से जीता.

Political history of Sarangpur Assembly
सारंगपुर विधानसभा का 2018 का रिजल्ट

कांग्रेस-बीजेपी के बीच झूलती रही सीट: अमर सिंह कोठार ने निर्दलीय चुनाव जीता तो बीजेपी ने उन्हें 1980 में सारंगपुर विधान सभा से अपना उम्मीदवार बनाया. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) ने भंवरलाल यादव को टिकट दिया. बीजेपी का दांव सही बैठा और उनके अमर सिंह ने कांग्रेस के भंवरलाल को 5746 वोटों से हराया. हालांकि कांग्रेस ने 1985 में सारंगपुर सीट बीजेपी से छीन ली. इस बार यहां से कांग्रेस ने हजारीलाल को उम्मीदवार बनाया और बीजेपी ने अमर सिंह कोठार को ही मैदान में उतारा. हजारी लाल दांगी ने बीजेपी के कोठार को 4167 वोटों से हरा दिया.

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1993 में भाजपा के अमर सिंह जीते: 1990 में बीजेपी ने फिर से अमर सिंह को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. कांग्रेस ने इस बार भैया लाल को टिकट दिया था, जो कि अमर सिंह से 16,351 वोटों से हार गए. 1993 में भी बीजेपी ने अमर सिंह को उम्मीदवार बनाया, जबकि कांग्रेस ने रतनलाल वर्मा को उम्मीदवार बनाया. अमर सिंह यह चुनाव भी 3192 वोटों से जीत गए. 1998 में एक बार फिर सारंगपुर विधानसभा सीट कांग्रेस के पाले में चली गई. इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण मोहन मालवीय चुनाव जीते और विधायक बने. उन्होंने पहली बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए, केसरी नारायण सिंह को 2071 वोटों से हराया.

Political history of Sarangpur Assembly
सारंगपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

2003 के बाद बीजेपी की हो गई सीट: बीजेपी ने तत्काल अपनी गलती सुधारते हुए पूर्व विधायक जो लगातार चुनाव जीत रहे थे अमर सिंह कोठार को 2003 में सारंगपुर विधान सभा क्षेत्र से फिर उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस ने इस बार हजारीलाल मालवीय को उम्मीदवार बनाया, लेकिन जीत बीजेपी के अमर सिंह की हुई. उन्होंने 22,609 वोटों से कांग्रेस को हराया. 2008 में भी सारंगपुर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने अमर सिंह को बढ़ती उम्र के कारण उम्मीदवार बदला और गौतम टेटवाल को टिकट दिया और वे जीत गए. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार हीरालाल मालवीय को कुल 16,310 वोटों से हराया. लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अमर सिंह के बेटे कुंवरजी कोठार को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने कृष्ण मोहन मालवीय को टिकट दिया. बीजेपी यह चुनाव 18,113 वोटों से जीत गई. 2018 में भी बीजेपी ने कुंवरजी कोठार को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने कला महेश मालवीय काे टिकट दिया. बीजेपी के कुंवर जी ने यह चुनाव 4,381 वोटों से जीत लिया.

Last Updated : Sep 28, 2023, 10:55 PM IST
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