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जिला अस्पताल में डॉक्टर्स और स्टाफ की भारी कमी, मरीजों को किया जा रहा रेफर

राजगढ़ के जिला अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी है, जिसके कारण मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. इस बात को खुद यहां के डॉक्टर्स भी स्वीकार करते हैं.

डॉक्टर्स और स्टाफ की भारी कमी
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Published : Jul 26, 2019, 3:12 PM IST

राजगढ़। वैसे तो सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. राजगढ़ के जिला अस्पताल में स्टाफ और डॉक्टरों की बेहद कमी का खामियाजा मरीज भुगतने को मजबूर हैं. उन्हें प्राथमिक इलाज मिलने पर भी आफत है. डॉक्टर्स मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल्स रेफर कर देते हैं. यहां तक कि अस्पताल में स्टाफ की कमी को डॉक्टर्स भी स्वीकार करते हैं और वे भी अपनी मजबूरी बयां कर चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है.

अस्पताल में डॉक्टर्स और स्टाफ की भारी कमी


कुछ दिनों पहले ही एक डॉक्टर ने भी सोशल मीडिया पर अस्पताल में हो रही परेशानियों को जाहिर किया था. इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. जनता भी इस दर्द से लगातार जूझ रही है, क्योंकि जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बहुत कमी है. जिसके कारण मरीजों को इंदौर या भोपाल जैसे बड़े शहर में इलाज के लिए जाना पड़ता है.
जिले में ए क्लास डॉक्टर की 88 पोस्ट हैं, लेकिन 14 डॉक्टर ही जिले में मौजूद हैं. सेकेंड क्लास डॉक्टर की भी 102 पोस्ट हैं, जिनमें से सिर्फ 72 पदों पर ही डॉक्टर अपॉइंटेड हैं. वहीं स्टाफ नर्स जिले में 320 होनी चाहिए, जबकि 163 ही स्टाफ नर्स ही यहां कार्यरत हैं.


वहीं डॉक्टरों की कमी को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CHMO) डॉ. एसएस गुप्ता ने कहा कि खाली पोस्ट और स्टाफ की कमी को लेकर उन्होंने शासन को पत्र लिखा है.

राजगढ़। वैसे तो सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. राजगढ़ के जिला अस्पताल में स्टाफ और डॉक्टरों की बेहद कमी का खामियाजा मरीज भुगतने को मजबूर हैं. उन्हें प्राथमिक इलाज मिलने पर भी आफत है. डॉक्टर्स मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल्स रेफर कर देते हैं. यहां तक कि अस्पताल में स्टाफ की कमी को डॉक्टर्स भी स्वीकार करते हैं और वे भी अपनी मजबूरी बयां कर चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है.

अस्पताल में डॉक्टर्स और स्टाफ की भारी कमी


कुछ दिनों पहले ही एक डॉक्टर ने भी सोशल मीडिया पर अस्पताल में हो रही परेशानियों को जाहिर किया था. इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. जनता भी इस दर्द से लगातार जूझ रही है, क्योंकि जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बहुत कमी है. जिसके कारण मरीजों को इंदौर या भोपाल जैसे बड़े शहर में इलाज के लिए जाना पड़ता है.
जिले में ए क्लास डॉक्टर की 88 पोस्ट हैं, लेकिन 14 डॉक्टर ही जिले में मौजूद हैं. सेकेंड क्लास डॉक्टर की भी 102 पोस्ट हैं, जिनमें से सिर्फ 72 पदों पर ही डॉक्टर अपॉइंटेड हैं. वहीं स्टाफ नर्स जिले में 320 होनी चाहिए, जबकि 163 ही स्टाफ नर्स ही यहां कार्यरत हैं.


वहीं डॉक्टरों की कमी को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CHMO) डॉ. एसएस गुप्ता ने कहा कि खाली पोस्ट और स्टाफ की कमी को लेकर उन्होंने शासन को पत्र लिखा है.

Intro:जिले का चिकित्सा क्षेत्र जूझ रहा है स्टाफ की कमी से, जिले मे ना सिर्फ डॉक्टर बल्कि अन्य स्टाफ की भी कमी है जिले में लगातार इसके वजह से जिले से रेफर होते हैं मरीज वहीं जिले के चिकित्सा क्षेत्र के वजह से जनता लगातार हो रही है परेशान , डॉक्टर भी कर चुके हैं इस दर्द को जाहिर


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिला लगातार चिकित्सा सुविधा को लेकर परेशान हो रहा है जहां एक और मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक चिकित्सा राजगढ़ की जनता को बहुत कम नसीब हो पा रही है और इसके पीछे एक सबसे बड़ा कारण है जिले में चिकित्सा स्टाफ की कमी होना, जिले में ना सिर्फ डॉक्टर्स की कमी है बल्कि अन्य स्टाफ भी जिले में कम है ,वही इस बात का दर्द एक डॉक्टर ने भी सोशल मीडिया पर लिख कर जाहिर किया था। दरअसल बात ऐसी है कि 2 दिन पूर्व व्हाट्सएप सोशल नेटवर्किंग साइट पर हेल्थ ग्रुप मैं अपना दुख दर्द जाहिर करते हुए अपने अस्पताल के बारे में लिखा था कि उनके अस्पताल में स्टाफ की कमी है जिससे वह लगातार जूझ रहे हैं और वही इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। वहीं जहां डॉक्टर स्टाफ की कमी को लेकर अपना दुख जाहिर कर चुके हैं वहीं जनता भी इस दर्द से लगातार जूझ रही है क्योंकि जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बहुत कमी है वही चिकित्सा स्टाफ भी बहुत कम है जिसके वजह से यहां पर मरीजों को लगातार भोपाल या इंदौर जैसे बड़े शहरों में रेफर किया जाता है जहां पर उनका इलाज हो सके।
जिले में जहां क्लास 1 स्पेशलिस्ट डॉक्टर की 88 की पोस्ट है परन्तु इन पोस्ट के मुकाबले सिर्फ 14 ही डॉ मौजूद है और वही जिले में सेकंड क्लास के डॉक्टरों की कुल 102 पोस्ट हैं परंतु इनमें भी सिर्फ 72 पोस्टों पर ही डॉक्टर अपॉइंटेड है वही इस मुकाबले में स्टाफ नर्स की तो और ज्यादा कमी है स्टाफ नर्स जिले में 320 होनी चाहिए थी परंतु उनके मुकाबले से 163 ही स्टाफ नर्स कार्यरत है वही ऐसा ही कुछ हाल जिले के उप स्वास्थ्य केंद्र भी बयां करते हैं जिनमें 165 उप स्वास्थ्य केंद्र जिले में है परंतु उन उप स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त स्टाफ नहीं होने के कारण वे लगभग बंद ही रहते हैं जिसके वजह से गांव की जनता को शहर आना पड़ता है और लगातार परेशानियों से जूझना पड़ता है।


Conclusion:वहीं इस बारे में जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एस एस गुप्ता ने बताया कि जिले में स्टाफ की बहुत कमी है और वहीं उन्होंने डॉक्टर नरेश कुमार के मैसेज पर कहा कि हां मैंने डॉक्टर नरेश का व्हाट्सएप पर कमेंट देखा था ,परंतु वहां पर कुछ स्टाफ को छोड़कर बाकी स्टाफ पर्याप्त है वहीं कुछ पोस्ट वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने की वजह से ही कुछ पोस्ट वहां पर अपॉइंटेड नहीं है। वही जो वहां पर कुछ पोस्ट खाली है उनको हम शासन को लिख रहे हैं, महीन जिला चिकित्सालय में भी जो पोस्ट खाली है उनके बारे में लगातार शासन को बताया जा रहा है।


विसुअल

हॉस्पिटल की
मरीजों की इन्तेजार करते हुए

बाइट

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एस एस गुप्ता
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