राजगढ़। वैसे तो सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. राजगढ़ के जिला अस्पताल में स्टाफ और डॉक्टरों की बेहद कमी का खामियाजा मरीज भुगतने को मजबूर हैं. उन्हें प्राथमिक इलाज मिलने पर भी आफत है. डॉक्टर्स मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल्स रेफर कर देते हैं. यहां तक कि अस्पताल में स्टाफ की कमी को डॉक्टर्स भी स्वीकार करते हैं और वे भी अपनी मजबूरी बयां कर चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है.
कुछ दिनों पहले ही एक डॉक्टर ने भी सोशल मीडिया पर अस्पताल में हो रही परेशानियों को जाहिर किया था. इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. जनता भी इस दर्द से लगातार जूझ रही है, क्योंकि जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बहुत कमी है. जिसके कारण मरीजों को इंदौर या भोपाल जैसे बड़े शहर में इलाज के लिए जाना पड़ता है.
जिले में ए क्लास डॉक्टर की 88 पोस्ट हैं, लेकिन 14 डॉक्टर ही जिले में मौजूद हैं. सेकेंड क्लास डॉक्टर की भी 102 पोस्ट हैं, जिनमें से सिर्फ 72 पदों पर ही डॉक्टर अपॉइंटेड हैं. वहीं स्टाफ नर्स जिले में 320 होनी चाहिए, जबकि 163 ही स्टाफ नर्स ही यहां कार्यरत हैं.
वहीं डॉक्टरों की कमी को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CHMO) डॉ. एसएस गुप्ता ने कहा कि खाली पोस्ट और स्टाफ की कमी को लेकर उन्होंने शासन को पत्र लिखा है.