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एक भवन में संचालिक हो रही दो आंगनबाड़ी, पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं आसान

राजगढ़ जिले की जीरापुर तहसील के अमलाबे गांव में एक ही आंगनबाड़ी में दो आंगनबाड़ी संचालित हो रहीं है. जिसके चलते बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

अमलाबे आंगनबाड़ी
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Published : Oct 12, 2019, 2:28 AM IST

राजगढ़। जीरापुर तहसील के अमलाबे गांव में आंगनबाड़ी खस्ता हाल में है.आलम ये है कि न तो बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही बुनियादी सुविधाएं. इतना ही नहीं गांव में एक आंगनबाड़ी होने के अलावा दूसरी आंगनबाड़ी भी प्रस्तावित थी, लेकिन संरपंच सचिव ने भवन ही गायब कर दिया. अब वहां केवल पिलर के गड्ढे ही दिखाई देते हैं. दूसरी आंगनबाड़ी न होने से करीब 150 से ज्यादा बच्चे एक ही आंगनबाड़ी में बैठने को मजूबर हैं.

अमलाबे आंगनबाड़ी

इतना ही नहीं आंगनबाड़ी तक पहुंचने की राह भी आसान नहीं है. बारिश के चलते पूरा रास्ता कीचड़ से सना रहता है. बच्चे रोज इसी कीचड़ से जाने को मजबूर हैं.

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कमला बाई ने बताया कि दूसरी आंगनबाड़ी स्वीकृत तो हुई लेकिन, अभी तक बनी नहीं है. गांव के ही निवासी दिलीप सिंह बताते हैं कि सरपंच सचिव ने आंगनबाड़ी की राशि निकाल ली थी, लेकिन उनकी शिकायत पर राशि फिर से पंचायत फंड में जमा करवा दी गई.

जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े ने बताया कि उन्होंने परियोजना अधिकारी से बात की है. जिस पर उन्हें जानकारी मिली कि आमलाबे गांव में जगह की कमी के चलते दो आंगनवाड़ी एक ही जगह संचालित हो रही हैं. जिस पर सीडीपीओ को निर्देश दिया है कि कोई व्यवस्था करके आंगनबाड़ी को दूसरी जगह संचालित किया जाए. वहीं कीचड़ से सने रास्ते पर उन्होंने कहा कि सरपंच से बात करके वहां पर व्यवस्था करवा दी जाएगी.

राजगढ़। जीरापुर तहसील के अमलाबे गांव में आंगनबाड़ी खस्ता हाल में है.आलम ये है कि न तो बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही बुनियादी सुविधाएं. इतना ही नहीं गांव में एक आंगनबाड़ी होने के अलावा दूसरी आंगनबाड़ी भी प्रस्तावित थी, लेकिन संरपंच सचिव ने भवन ही गायब कर दिया. अब वहां केवल पिलर के गड्ढे ही दिखाई देते हैं. दूसरी आंगनबाड़ी न होने से करीब 150 से ज्यादा बच्चे एक ही आंगनबाड़ी में बैठने को मजूबर हैं.

अमलाबे आंगनबाड़ी

इतना ही नहीं आंगनबाड़ी तक पहुंचने की राह भी आसान नहीं है. बारिश के चलते पूरा रास्ता कीचड़ से सना रहता है. बच्चे रोज इसी कीचड़ से जाने को मजबूर हैं.

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कमला बाई ने बताया कि दूसरी आंगनबाड़ी स्वीकृत तो हुई लेकिन, अभी तक बनी नहीं है. गांव के ही निवासी दिलीप सिंह बताते हैं कि सरपंच सचिव ने आंगनबाड़ी की राशि निकाल ली थी, लेकिन उनकी शिकायत पर राशि फिर से पंचायत फंड में जमा करवा दी गई.

जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े ने बताया कि उन्होंने परियोजना अधिकारी से बात की है. जिस पर उन्हें जानकारी मिली कि आमलाबे गांव में जगह की कमी के चलते दो आंगनवाड़ी एक ही जगह संचालित हो रही हैं. जिस पर सीडीपीओ को निर्देश दिया है कि कोई व्यवस्था करके आंगनबाड़ी को दूसरी जगह संचालित किया जाए. वहीं कीचड़ से सने रास्ते पर उन्होंने कहा कि सरपंच से बात करके वहां पर व्यवस्था करवा दी जाएगी.

Intro:राजगढ़ जिले के आंगनवाड़ी में एक साथ संचालित हो रही है दो आंगनबाड़ी दोनों आंगनवाड़ी के मिलाकर डेट 100 बच्चे एक साथ बैठने को है मजबूर वही कीचड़ से भरे रास्ते में निकलने को मजबूर है मासूम बच्चे और अव्यवस्थाओं के बीच में जल रहा है मासूमों का भविष्य


Body:चाहे सरकार मासूमों के लिए अनेक वादे करती हो और मासूमों की जिंदगी को संवारने के लिए अनेक योजनाएं सरकारों द्वारा लागू की जाती है परंतु धरातल पर आकर उनकी हकीकत कुछ और ही बयां करती है जहां एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार मासूमों के अच्छे भरण पोषण और एक स्वस्थ भविष्य बनाने के लिए गांव से लेकर शहरों तक के बच्चों को आंगनवाड़ी में होने वाले क्रियाकलापों के द्वारा विकास चाहती हो परंतु मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में इसकी हकीकत कुछ और ही बयां करती है, राजगढ़ जिले की जीरापुर तहसील के अंतर्गत आने वाले आमलाबे ग्राम में आंगनबाड़ियों में काफी अव्यवस्थाएं देखने को मिली, जिसमें सबसे बड़ी अव्यवस्था यह थी कि वहां पर एक आंगनवाड़ी केंद्र में एक साथ दो आंगनवाड़ी संचालित हो रही थी, और वही दोनों आंगनवाडी के मिलाकर कुल डेढ़ सौ बच्चे वहां पर पंजीकृत है और वह छोटी सी एक आंगनवाड़ी में बैठने को मजबूर है। वही सोचने वाली बात है कि एक साथ दो आंगनवाड़ी एक छोटे से आंगनवाड़ी केंद्र में कैसे संचालित होती होगी और वहां पर एक साथ डेढ़ सौ बच्चे कैसे वहां पर बैठते होंगे और वह कैसे आंगनवाड़ी में संचालित होने वाले क्रियाकलाप करते होंगे।

बच्चों को निकलना पड़ता है पानी के बीच मे से :-

वहीं आंगनवाड़ी एक साथ दो आगनबाडी संचालित हो रही है वही आगे जो रास्ता निकलता है उसमें काफी बार पानी भरा रहता है जिसके बीच में से ही बच्चों को निकल कर आना पड़ता है और नन्हे मुन्ने बच्चे कीचड़ से सने उस पानी से निकल कर ही आंगनवाड़ी के अंदर प्रवेश करते हैं।


Conclusion:दूसरी आंगनबाड़ी की बिल्डिंग नही बनी :-

वहीं एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि वहां पर दूसरी आंगनवाड़ी बनने के लिए तो आई थी, परंतु वह अभी तक नहीं बनी है वही वहां पर आंगनवाड़ी के नजदीक ही दूसरी आंगनवाड़ी के गड्ढे तो खुदे हुए हैं जो आज तक नहीं बन पाई है वहीं उन्होंने सरपंच पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा ही आंगनवाड़ी नहीं बन पाई।

वहीं ग्रामीणों ने भी सरपंच पर आरोप लगाया है कि वहां पर दूसरी आंगनवाड़ी तो बनने को आई थी ,परंतु उस सरपंच ने उस आंगनवाडी को बनाने वाले पैसे निकाल लिए और कुछ माह बाद ग्रामीणों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी पैसे वापस जमा कर दिए गए ,परंतु आज भी दूसरे आंगनवाड़ी की समस्या बनी हुई है और बच्चों को इससे जूझना पड़ रहा है।

वही जब इस बारे में जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरी परियोजना अधिकारी से बात हुई थी की आमलाबे गाँव मे 2 आंगनवाड़ी जगह की कमी के कारण एक ही जगह संचालित हो रही थी ,परन्तु मैंने सीडीपीओ को आदेश दे दिया है कि गांव में ही कोई व्यवस्था करके आंगनबाड़ी को दूसरी जगह संचालित किया जाए। वहीं कीचड़ से सने रास्ते पर उन्होंने कहा कि सरपंच से बात करके वहां पर व्यवस्था करवा दी जाएगी।


परंतु सोचने वाली बात है कि कैसे अभी तक अधिकारियों की नजर से ही आंगनवाड़ी बची हुई थी और किस प्रकार यहां पर ऐसे यह संचालित हो रही थी और किस प्रकार यहां पर बच्चे बैठते होंगे और किस प्रकार उनका भरण-पोषण होता होगा?

वही सोचने वाली बात है कि जहां अधिकारी सरपंच की मदद लेने की बात करते हैं ,वहीं ग्रामीण सरपंच पर आरोप लगाते हैं कि दूसरी आंगनवाडी सरपंच द्वारा नहीं बनाई गई है वहीं आरोप के आधार पर किस प्रकार बच्चों को किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त हो पाएगी?



विसुअल

आंगनवाड़ी के
बच्चों के पानी से निकलते हुए

बाइट

कमला बाई आमलाबे की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
दिलीप सिंह ग्रामीण
चंद्रसेना भिड़े जिला कार्यक्रम अधिकारी
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