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देखिये मुन्नालाल का 'अजूबा', 30 साल की मेहनत से मिल चुका लिम्का अवार्ड

रायसेन जिले के एक कारपेंटर ने अपने निजी वुड आर्ट म्यूजियम में अनोखी कलाकृतियों का कलेक्शन करके रखा है जिसे दुनियाभर में सराहा जा रहा है. इस म्यूजियम को लिम्का अवॉर्ड भी मिल चुका है, सांची घूमने आने वाले लोग इस बेहतरीन म्युजियम को देखकर हैरान रह जाते हैं और तरीफ किए बिना नहीं रह पाते हैं, मुन्ना लाल ने 30 साल की मेहनत के बाद इस म्युजियम को तैयार किया है लेकिन सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.

बौद्ध स्थली में अनोखा म्यूजियम
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Published : Aug 22, 2019, 3:18 PM IST

रायसेन। सांची यू तो विश्व में बौद्ध स्थली के लिए पहचाना जाता है, लेकिन एक और वजह़ से सांची को दुनिया में जाना जा रहा है. बौद्ध स्थली में एक ऐसा अनोखा म्यूजियम है जहां 300 से ज्यादा कलाकृतियों को संजोकर रखी गई है. लिम्का अवॉर्ड जैसे चार अवार्ड मिलने के बाद भी ना जिला प्रशासन और ना ही सरकार का सहयोग इस म्यूजियम को म‍िल रहा है. वहीं कलेक्टर ने विश्वास दिलाया है कि वुड आर्ट म्यूजियम को लाभ और प्रोत्साहन दोनों प्रदान किए जाएंगे.

बौद्ध स्थली में अनोखा म्यूजियम
वुड आर्ट म्यूजियम का खोजकर्तासांची के रहने वाले मुन्ना लाल विश्वकर्मा पेशे से कारपेन्टर है. कम पढ़े लिखे मुन्ना लाल लकड़ी का काम करके परिवार का भरण-पोषण करते थे. सुबह 5 बजे बिना भोजन किए निकलते थे और शाम या रात्रि में लकड़ियों की आर्ट लेकर आते थे. रोज सुबह पत्नी से यह कहकर जाते थे कि बच्चों से यही कहना कि मैं दुनिया के लिए अजूबा चीजें एकत्रित कर रहा हूं , जो एक अनूठा उदाहरण होगा. मुन्ना लाल ने जलाने वाली अनुपयोगी लकड़ियों को जमा करके दुनिया की अद्भुत और विलुप्त चीजों को पत्थरों में खोज निकाला. मुन्ना लाल ने अपनी पत्नी और बच्चों की परवाह ना करते हुए ऐसी अनूठी आर्ट को एकत्रित किया है जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते है.

मिल चुके है चार लिम्का अवार्ड
मुन्नालाल का लकड़ियों में कला को खोजने का शौक इस कदर बढ़ा कि आज उन्होंने 300 से अधिक कलाकृतियां एकत्रित कर ली है. वुड आर्ट म्यूजियम को अभी तक चार लिम्का अवार्ड और अन्य अवार्ड भी मिल चुके हैं. देश-विदेश से सांची आने वाले पर्यटक इन वुड आर्ट को देख आश्चर्यचकित हो जाते है. जो इस निजी म्यूजियम को देखने आता है जो अनुपयोगी लकड़ियों और पत्थरों में खोजे हुए आर्ट को देख दातों तले उंगलियां दबा लेता हैं. कला प्रेमी मानते हैं कि इस निजी म्यूजियम में जो है दुनिया के किसी म्यूजियम में नहीं है. यह म्यूजियम पर्यावरण एवं उन संस्कृतियों को सजोए हुए हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में ही पढ़ेगी लेकिन देखने को नहीं मिलेगी.

30 साल में 300 से अधिक कलाकृतियां
वुड आर्ट म्यूजियम को बनाने में 30 साल का वक्त लग गया. म्यूजियम में 300 से अधिक लकड़ियों से बनी कलाकृतियां है. म्यूजियम में बैठा हुआ शेर, लेटी हुई महिला, मोहन जोदड़ो काल के बर्तन, चम्मच कटोरी और लकड़ी के ऑक्टोपस, कुत्ता, नाग-नागिन, डायनासोर, गुरु शिष्य, ममत्व महिला, ऐनाकोंडा, बाजूका, मनुष्य का गुर्दा, अवस्त्र महिला और महिला पुरुष जननांग, प्रेम करती कला, मां दुर्गा, भारत माता, साधु, गणेश, शिवलिंग, कुबेर के वुर्ड आर्ट है. वहीं पत्थरों से बनी कृषि के प्राचीन उपकरण, पत्थरों पर जीवाणु विषाणु और ग्लोब, कश्मीर की वादियां, अंडे की आकृति, मनुष्य की फोटो, मां बच्चे को दुलार करती पत्थर पर आर्ट भी म्यूजियम में है.

रायसेन। सांची यू तो विश्व में बौद्ध स्थली के लिए पहचाना जाता है, लेकिन एक और वजह़ से सांची को दुनिया में जाना जा रहा है. बौद्ध स्थली में एक ऐसा अनोखा म्यूजियम है जहां 300 से ज्यादा कलाकृतियों को संजोकर रखी गई है. लिम्का अवॉर्ड जैसे चार अवार्ड मिलने के बाद भी ना जिला प्रशासन और ना ही सरकार का सहयोग इस म्यूजियम को म‍िल रहा है. वहीं कलेक्टर ने विश्वास दिलाया है कि वुड आर्ट म्यूजियम को लाभ और प्रोत्साहन दोनों प्रदान किए जाएंगे.

बौद्ध स्थली में अनोखा म्यूजियम
वुड आर्ट म्यूजियम का खोजकर्तासांची के रहने वाले मुन्ना लाल विश्वकर्मा पेशे से कारपेन्टर है. कम पढ़े लिखे मुन्ना लाल लकड़ी का काम करके परिवार का भरण-पोषण करते थे. सुबह 5 बजे बिना भोजन किए निकलते थे और शाम या रात्रि में लकड़ियों की आर्ट लेकर आते थे. रोज सुबह पत्नी से यह कहकर जाते थे कि बच्चों से यही कहना कि मैं दुनिया के लिए अजूबा चीजें एकत्रित कर रहा हूं , जो एक अनूठा उदाहरण होगा. मुन्ना लाल ने जलाने वाली अनुपयोगी लकड़ियों को जमा करके दुनिया की अद्भुत और विलुप्त चीजों को पत्थरों में खोज निकाला. मुन्ना लाल ने अपनी पत्नी और बच्चों की परवाह ना करते हुए ऐसी अनूठी आर्ट को एकत्रित किया है जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते है.

मिल चुके है चार लिम्का अवार्ड
मुन्नालाल का लकड़ियों में कला को खोजने का शौक इस कदर बढ़ा कि आज उन्होंने 300 से अधिक कलाकृतियां एकत्रित कर ली है. वुड आर्ट म्यूजियम को अभी तक चार लिम्का अवार्ड और अन्य अवार्ड भी मिल चुके हैं. देश-विदेश से सांची आने वाले पर्यटक इन वुड आर्ट को देख आश्चर्यचकित हो जाते है. जो इस निजी म्यूजियम को देखने आता है जो अनुपयोगी लकड़ियों और पत्थरों में खोजे हुए आर्ट को देख दातों तले उंगलियां दबा लेता हैं. कला प्रेमी मानते हैं कि इस निजी म्यूजियम में जो है दुनिया के किसी म्यूजियम में नहीं है. यह म्यूजियम पर्यावरण एवं उन संस्कृतियों को सजोए हुए हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में ही पढ़ेगी लेकिन देखने को नहीं मिलेगी.

30 साल में 300 से अधिक कलाकृतियां
वुड आर्ट म्यूजियम को बनाने में 30 साल का वक्त लग गया. म्यूजियम में 300 से अधिक लकड़ियों से बनी कलाकृतियां है. म्यूजियम में बैठा हुआ शेर, लेटी हुई महिला, मोहन जोदड़ो काल के बर्तन, चम्मच कटोरी और लकड़ी के ऑक्टोपस, कुत्ता, नाग-नागिन, डायनासोर, गुरु शिष्य, ममत्व महिला, ऐनाकोंडा, बाजूका, मनुष्य का गुर्दा, अवस्त्र महिला और महिला पुरुष जननांग, प्रेम करती कला, मां दुर्गा, भारत माता, साधु, गणेश, शिवलिंग, कुबेर के वुर्ड आर्ट है. वहीं पत्थरों से बनी कृषि के प्राचीन उपकरण, पत्थरों पर जीवाणु विषाणु और ग्लोब, कश्मीर की वादियां, अंडे की आकृति, मनुष्य की फोटो, मां बच्चे को दुलार करती पत्थर पर आर्ट भी म्यूजियम में है.

Intro:रायसेन-लकड़ियों और पत्थरों से खोजी दुनिया की सजीव निर्जीव और विलुप्त जानवरों पशु पक्षियों खिलाड़ियों भारत माता सहित सैकड़ो वुड आर्ट एवं पत्थरों पर ऊकरी प्राकृतिक कलाकृति। चार बड़े बड़े अवार्ड मिलने के बाद भी सरकार और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार आर्टिस्ट एवं उसका म्यूजियम।


Body:रायसेन जिले की बोद्ध स्थली सांची विश्व में परिचय की मोहताज नहीं है लेकिन एक कारपेंटर ने अपने बीवी बच्चों की परवाह किए वो अनूठी आर्ट को एकत्रित किया जो ऐसी लकड़ियों एवं पत्थरों से खोजी और दुनिया का अनोखा म्यूजियम बनाया जिसमें 300 से अधिक कलाकृतियों को संजोकर रखा है हम बात कर रहे हैं मुन्ना लाल विश्वकर्मा की जो कम पढ़े लिखे हैं और लकड़ी का कामकाज कर बच्चों का भरण-पोषण करते थे लेकिन जलाने वाली लकड़ी जो अनुपयोगी होती है उन्हीं से दुनिया की अद्भुत और विलुप्त चीजों को उन्हीं लकड़ियों और पत्थरों में खोज निकाला।300 से अधिक वुड आर्ट में बैठा शेर,लेटी हुई महिला, मोहन जोदड़ो कालीन वर्तन, चम्मच कटोरी ऑक्टोपस कुत्ता नाग नागिन डायनासोर गुरु शिष्य ममत्व महिला ऐनाकोड़ा वाजूका मनुष्य का गुर्दा अवस्त्र महिला एवं महिला पुरुष जननांग प्रेम करती आर्ट मा दुर्गा भारत माता साधु गणेश शिवलिंग कुबेर सहित सभी वुर्ड आर्ट है वहीं कृषि के प्राचीन उपकरण भी म्यूजियम में है पत्थरों पर जीवाणु विषाणु और ग्लोव कश्मीर की वादियां अड़ा आकृति मनुष्य की फोटो मां बच्चे को दुलार करती पत्थर पर आर्ट। 300 से अधिक आर्ट है जो दुनिया की म्यूजियम से इस म्यूजियम को अनोखा बनाती हैं अभी तक 4 लिम्का अवार्ड से अन्य वार्ड मिल चुके हैं और देश-विदेश से सांची आने वाले पर्यटक इन कलाकृतियों को देख आश्चर्यचकित होते हैं लेकिन कहावत है कि दिया तले अंधेरा यही मुन्ना लाल के लिए साबित हो रही, ना जिला प्रशासन का सहयोग और ना ही सरकार का सहयोग।वही मुन्ना लाल ने 30 वर्षों में वह सब खोया जो बच्चे और पत्नी परिवार चाहता था लेकिन दुनिया को पर्यावरण संस्कृति को बचाने के लिए अनूठी आर्ट एकत्रित कि जो दुनिया के किसी म्यूजियम में नहीं है सुबह 5 बजे बिना भोजन किए निकलते थे और शाम या रात्रि में लकड़ियों की आर्ट लेकर आते थे बच्चों से यही कहना कि मैं दुनिया के लिए अजूबा चीजे एकत्रित कर रहा हूं जो एक अनूठा उदाहरण होगा। ऐसा ही हुए लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस हीरे के जौहरी की कदर नहीं की। जो इस निजी म्यूजियम को देखने आता है जो अनुपयोगी लकड़ियों और पत्थरों से जो आर्ट खोजी है उन्हें देख दातो तले उंगलियां दबा लेते हैं दुनिया को म्यूजियम से यह अनोखा म्यूजियम है लेकिन सरकार की अपेक्षाओं से दूर है आर्ट कला प्रेमी मानते हैं कि दुनिया की हर म्यूजियम में वह नहीं है जो इस निजी म्यूजियम में है जो पर्यावरण एवं उन संस्कृतियों को सजोए हुए हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में ही पढ़ेगी लेकिन देखने को नहीं मिलेगी।


Byte-हेमंत श्रीवास्तव।

Byte-एम सी सोनी।

Byte-मुकेश मालवीय कला प्रेमी।

Byte-लक्ष्मण सिंह शाक्य।

Byte-नितिन कुमार।

Byte-राजेश स्टीफन।

Byte-मुन्ना लाल विश्वकर्मा।(121)

वही कलेक्टर ने विश्वास दिलाया कि लाभ और प्रोत्साहन दोनों प्रदान किए जाएंगे। जबकि सरकार युवाओं को योजनाएं तो बनाती है लेकिन युवा उन संस्कृतियों एवं उन वस्तुओं से कोसों दूर है जो प्राचीन कालीन सभ्यता है जो आधुनिक भारत में देखने को नहीं मिलती। आदर्श पाराशर ईटीवी भारत रायसेन।

Byte-उमाशंकर भार्गव कलेक्टर।




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