छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): अगर किसी की शादी नहीं हो रही है और कोई युवा घोड़ी नहीं चढ़ पा रहा है, तो छिंदवाड़ा के हर्रई के पास दूल्हा देव एक ऐसा गांव है. जहां पर सेहरा चढ़ाने से कुंवारे दूल्हा बन जाते हैं. यहां दूल्हा देव का मंदिर है. माना जाता है कि दूल्हादेव के सामने शादी होने की मन्नत मांगने के बाद युवाओं की शादी हो जाती है और फिर बाकायदा युवा यहां पर पहुंचकर दूल्हादेव को सेहरा मुकुट अर्पित करते हैं.
यहां भगवान को सेहरा चढ़ाने से बन जाते हैं दूल्हा
किसी की शादी नहीं हो रही, कोई अपने कुंवारेपन से परेशान हो तो वह छिंदवाड़ा के दूल्हादेव गांव आ सकता है. ग्रामीणों की गारंटी है कि यहां आकर दूल्हादेव के सामने मन्नत मांगने के बाद कुंवारों की शादी हो जाती है. दूल्हादेव मंदिर के पुजारी अमरलाल धुर्वे ने बताया कि "बरसों पुराना यहां पर दूल्हादेव का मंदिर है. जिस भी किसी की शादी नहीं होती.
वे यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं और दूल्हा देव से शादी होने की मन्नत मांगते हैं. जब शादियां हो जाती है, तो जोड़े से यहां पर आकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं. फिर भगवान को मुकुट और सेहरा चढ़ाते हैं."
गांव का नाम है दूल्हादेव, मंदिर में साफे का लगता है अंबार
छिंदवाड़ा से नरसिंहपुर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे के अमरवाड़ा और हर्रई के बीच एक घाटी है. इसे दूल्हा देवघाटी भी कहा जाता है, सिर्फ इस दूल्हादेव घाटी में भगवान दूल्हादेव का मंदिर अकेला नहीं है, बल्कि इस गांव का नाम भी दूल्हादेव है. मंदिर के पुजारी अमरलाल धुर्वे बताते हैं कि "इस गांव का नाम दूल्हादेव क्यों पड़ा है, यह कोई नहीं जानता, लेकिन यहां पर दूल्हादेव के नाम पर एक भगवान का मंदिर स्थापित है. जहां कई सालों से मैं पूजा कर रहा हूं. इसके पहले इस मंदिर में पूजा उनके ससुर किया करते थे. लोगों की मन्नत जब पूरी हो जाती है, तो शादी होने के बाद इस मंदिर में शादी के मुकुट, साफों का अंबार लग जाता है."
कई लोगों की हो चुकी है यहां आने के बाद शादी
मंदिर के पुजारी ने बताया कि वे करीब 25 सालों से यहां सेवा कर रहे हैं. इसके पहले का तो उन्हें आंकड़ा नहीं मालूम है, लेकिन इन 25 सालों में हर साल कम से कम से कम 20 लोगों की तो यहां पर मन्नत के बाद शादी होते हुए उन्होंने देखा है. इस तरह कई लोगों का परिवार दूल्हा देव की कृपा से बस चुका है. लोग शादी होने के बाद भी घर की सुख समृद्धि की कामना के लिए लगातार दूल्हादेव के दरबार में माथा टेकने आते हैं.
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बुरी बाधाओं से भी मुक्ति का किया जाता है दावा
दूल्हा देव मंदिर के पुजारी अमरलाल धुर्वे ने ईटीवी भारत को बताया कि "सिर्फ कुंवारे ही नहीं यहां पर ऐसे भी कई लोग आते हैं. जिन्हें बुरी बाधाओं का साया होता है, यहां की विभूति खाने से वह लोग बिल्कुल ठीक हो जाते हैं. इन्हें हनुमानजी का एक रूप भी माना जाता है. दूल्हा देव में पूजा करने के लिए मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र और उप्र के लोग भी आते हैं."