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शिक्षामंत्री के क्षेत्र में स्कूल शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही, दो साल से अपनी मार्कशीट के लिए परेशान हो रही छात्रा

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Published : Jul 29, 2019, 8:26 PM IST

एक मामला प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र के सांची ब्लॉक के ग्राम पिपलिया से सामने आया है. जहां की एक छात्रा लगभग दो साल से अपनी मार्कशीट के लिए दर-दर भटक रही है.

शिक्षामंत्री के क्षेत्र में स्कूल शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही

रायसेन| मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल चलें अभियान सहित कई प्रकार की योजनाएं चला रही है. लेकिन भोपाल शिक्षा मंडल के अधिकारी स्कूल चलें अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को पूर्ण रूप से सफल नहीं होने दे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र के सांची ब्लॉक के ग्राम पिपलिया से सामने आया है. जहां की एक छात्रा लगभग दो साल से अपनी मार्कशीट के लिए दर-दर भटक रही है.

छात्रा ने साल 2017-18 में पिपलिया के शासकीय हाईस्कूल से दसवीं कक्षा की परीक्षा 73 प्रतिशत अंक लेकर पास की थी. लेकिन परीक्षा पास करने के बाद छात्रा को स्कूल प्रबंधन द्वारा मार्कशीट नहीं दी गई और कहा गया की माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से अंकसूची नहीं आई है.

शिक्षामंत्री के क्षेत्र में स्कूल शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही

जिसके बाद छात्रा ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की वेबसाइट पर ऑनलाइन डुप्लीकेट मार्कशीट निकलवा कर 11वीं कक्षा में प्रवेश तो ले लिया था, लेकिन 11 वीं कक्षा पास करने के बाद 12वीं कक्षा में प्रवेश लेने के लिए स्कूल वाले 10वीं क्लास की ओरिजिनल मार्कशीट मांग रहे हैं और परिजनों से कह रहे हैं कि मार्कशीट लाओ नहीं तो एडमिशन नहीं होगा. छात्रा और उसके परिजन पिछले 18 महीने से स्कूल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और संकुल केंद्र दीवानगंज के चक्कर लगा लगाकर थक गए हैं, लेकिन उन्हें मार्कशीट नहीं मिली. अच्छे अंकों से पास हुई छात्रा जिसका सपना पढ़ लिखकर आईएएस ऑफिसर बनने का है तो उसका भविष्य शिक्षा विभाग की लापरवाही की भेंट चढ रहा गया है. छात्रा ने बताया कि तीन साल पहले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव ने मिल बांचे कार्यक्रम में हमारे स्कूल में पढ़ाया था, तब से ही मन में ठान लिया था कि मुझे भी आईएएस ऑफिसर बनना है.

शासकीय हाईस्कूल ग्राम खोहा के प्रभारी प्राचार्य आशीष डुमरी का कहना है कि उन्होंने एक सप्ताह पहले ही स्वयं जाकर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल में मार्कशीट की खोजबीन की है. छात्रा के भाई ने बताया कि दो साल से उसकी बहन की 10वीं की मार्कशीट के लिए स्कूल सहित सभी अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर वो लोग थक गए हैं. उसका कहना है कि उनका गांव और स्कूल भी प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, उसके बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

रायसेन| मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल चलें अभियान सहित कई प्रकार की योजनाएं चला रही है. लेकिन भोपाल शिक्षा मंडल के अधिकारी स्कूल चलें अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को पूर्ण रूप से सफल नहीं होने दे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र के सांची ब्लॉक के ग्राम पिपलिया से सामने आया है. जहां की एक छात्रा लगभग दो साल से अपनी मार्कशीट के लिए दर-दर भटक रही है.

छात्रा ने साल 2017-18 में पिपलिया के शासकीय हाईस्कूल से दसवीं कक्षा की परीक्षा 73 प्रतिशत अंक लेकर पास की थी. लेकिन परीक्षा पास करने के बाद छात्रा को स्कूल प्रबंधन द्वारा मार्कशीट नहीं दी गई और कहा गया की माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से अंकसूची नहीं आई है.

शिक्षामंत्री के क्षेत्र में स्कूल शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही

जिसके बाद छात्रा ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की वेबसाइट पर ऑनलाइन डुप्लीकेट मार्कशीट निकलवा कर 11वीं कक्षा में प्रवेश तो ले लिया था, लेकिन 11 वीं कक्षा पास करने के बाद 12वीं कक्षा में प्रवेश लेने के लिए स्कूल वाले 10वीं क्लास की ओरिजिनल मार्कशीट मांग रहे हैं और परिजनों से कह रहे हैं कि मार्कशीट लाओ नहीं तो एडमिशन नहीं होगा. छात्रा और उसके परिजन पिछले 18 महीने से स्कूल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और संकुल केंद्र दीवानगंज के चक्कर लगा लगाकर थक गए हैं, लेकिन उन्हें मार्कशीट नहीं मिली. अच्छे अंकों से पास हुई छात्रा जिसका सपना पढ़ लिखकर आईएएस ऑफिसर बनने का है तो उसका भविष्य शिक्षा विभाग की लापरवाही की भेंट चढ रहा गया है. छात्रा ने बताया कि तीन साल पहले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव ने मिल बांचे कार्यक्रम में हमारे स्कूल में पढ़ाया था, तब से ही मन में ठान लिया था कि मुझे भी आईएएस ऑफिसर बनना है.

शासकीय हाईस्कूल ग्राम खोहा के प्रभारी प्राचार्य आशीष डुमरी का कहना है कि उन्होंने एक सप्ताह पहले ही स्वयं जाकर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल में मार्कशीट की खोजबीन की है. छात्रा के भाई ने बताया कि दो साल से उसकी बहन की 10वीं की मार्कशीट के लिए स्कूल सहित सभी अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर वो लोग थक गए हैं. उसका कहना है कि उनका गांव और स्कूल भी प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, उसके बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

Intro:मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लियें स्कूल चलें अभियान सहित कई प्रकार की योजनाएं चला तो रही है। लेकिन शिक्षा मंडल भोपाल के अधिकारी स्कूल चलें अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को पूर्ण रूप से सफल नही होने दे रहे हैं। जी हां ऐसा ही एक मामला प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री डा.प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र के साँची ब्लाक के ग्राम पिपलिया में आया है। जहां की एक छात्रा कुमारी रोशनी ठाकुर लगभग 2 साल से अपनी अंकसूची पाने के लिये दर-दर भटक रही है।Body:रोशनी ठाकुर पुत्री मालम सिंह ठाकुर निवासी पिपलिया ने शासकीय हाईस्कूल खोहा से वर्ष 2017-18 में दसवी कक्षा की परीक्षा 73 प्रतिशत अंक लेकर फर्स्ट डिवीजन से पास की थी। रोशनी स्कूल की नियमित छात्र थी वह अपने गाँव से तीन किलोमीटर पेदल चलकर प्रतिदिन स्कूल जाती थी। परीक्षा पास करने के बाद छात्रा को स्कूल प्रबंधन द्वारा अंकसूची नही दी गयी। और कहा गया की माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से अंकसूची अप्राप्त है। जबकि अन्य छात्रो को अंकसूची प्रदाय कर दी गयी है। छात्रा ने जैसे तैसे माध्यमिक शिक्षा मंडल की वेबसाइट द्वारा ऑनलाइन कम्प्यूटर से डुप्लीकेट अंकसूचि निकलवा कर 11 वी कक्षा में प्रवेश तो ले लिया था। लेकिन 11 वीं कक्षा पास करने के उपरांत 12 वीं कक्षा में प्रवेश लेने के लिए स्कूल वाले 10वी क्लास की ओरिजिनल अंकसूची मांग रहे हैं। और परिजनों से कह रहे हैं कि अंकसूची लाओ नहीं तो दाखिला नहीं होगा। छात्रा और उसके परिजन पिछले 18 महीने से इस स्कूल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और संकुल केंद्र दीवानगंज के चक्कर लगा लगाकर थक गए हैं। लेकिन अंकसूची नहीं मिली है। जब शिक्षा मंडल भोपाल गए तो वहां के अधिकारियों ने यह कहकर टाल दिया कि हमने तो अंकसूची डाक से पहुंचा दी थी। आपने गुमा दी होगी सवाल यह उठता है कि डाक से वही अंकसूची पहुंचाई जाती है जिन छात्रों की पूरक आती है या जो छात्र अन्य कोई एग्जाम देते हैं इस छात्रा ने तो 73प्रतिशत अंक लाकर फर्स्ट डिवीजन से परीक्षा पास की थी। छात्रा के भाई गब्बर सिंह ठाकुर ने बताया कि सभी अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है व सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की रायसेन जाकर जनसुनवाई में कलेक्टर महोदय को व जिला शिक्षा अधिकारी को भी आवेदन दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई और ना ही अंकसूची मिली अब जबकि छात्रा को 12वीं क्लास में एडमिशन लेना है ऐसे में दसवीं की ओरीजिनल अंक सूची नहीं होने से उसका भविष्य खराब हो जाएगा। उस पर स्कूल प्रबंधन का कारनामा देखो एक तो अंकसूची नहीं दी ऊपर से अंकसूची नहीं देने का प्रमाण पत्र प्राचार्य द्वारा जारी कर दिया गया। जिसमें स्पष्ट किया गया कि स्कूल द्वारा अंकसूची नहीं दी गई है यह छात्रा हमारे स्कूल की नियमित छात्रा है। जबकि छात्रा रोशनी ठाकुर 3 किलोमीटर पैदल प्रतिदिन चलकर स्कूल जाती थी। अच्छे अंको से पास हुई है जिसका सपना पढ़ लिखकर आईएएस ऑफिसर बनने का है तो उसका भविष्य शिक्षा विभाग की लापरवाही की भेंट चढ रहा गया है। छात्रा रोशनी ठाकुर ने बताया कि 3 वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव ने मिल बांचे कार्यक्रम में हमारे स्कूल में पढ़ाया था तब से ही मन में ठान लिया था कि मुझे भी आईएएस ऑफिसर बनना है लेकिन अब मेरा क्या होगा ईश्वर ही मालिक है।
आशीष डुमरी प्रभारी प्राचार्य शासकीय हाईस्कूल ग्राम खोहा काकहना है मैंने 1 सप्ताह पहले ही स्वयं जाकर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल में अंकसूची की खोजबीन की है। मैं डुप्लीकेट अंकसूची निकलवाने का प्रयास कर रहा हूं।
छात्रा के भाई गब्बर सिंह ठाकुर ने बताया कि 2 साल से मेरी छोटी बहन की 10वीं कक्षा की अंक सूची के लिए स्कूल सहित सभी अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर थक चुका हूं। अब मेरी बहन का एडमिशन कक्षा 12वीं में नहीं हो पा रहा है जबकि मेरा गांव और स्कूल भी प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। उसके बाद भी मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मैंने मंगलवार को जिला कलेक्टर रायसेन और जिला शिक्षा अधिकारी को पुनः शिकायत की है

Byte1 रोशनी ठाकुर
Byte 2 गब्बर सिंह ठाकुर भाई
Byte 3 आशीष डुमरी प्रभारी प्राचार्यConclusion:
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