रायसेन। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सोमेश्वर धाम शिव मंदिर में बंद भगवान शिव को आजाद कराने के लिए रायसेन पहुंच चुकी हैं. हालांकि, उनके आने से पहले रायसेन दुर्ग को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया है. मुख्य तीन रास्तों पर चौकसी बढ़ा दी गई है. पत्रकारों के साथ आमजन को वहां जाने से रोका जा रहा है. अब देखना होगा कि उमा भारती भगवान शिव का अभिषेक कर पाती हैं या नहीं.
जिला प्रशासन ने दिया नियमों का हवाला: जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर अरविंद दुबे ने एक दिन पहले ही पत्र जारी कर उमा भारती को मंदिर की वस्तुस्थिति से अवगत कराया था. प्रशासन ने उमा भारती को एएसआई के नियमों का हवाला दिया है, जिसके मुताबिक साल में सिर्फ एक बार शिवरात्रि पर मंदिर को महज 12 घंटे के लिए ही खोले जाने का प्रावधान है. अन्य कोई नियम ना होने की वजह से शिव मंदिर को नहीं खोला जा सकता.
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भगवान शिव को आजाद कराने की मांग: किले में स्थित शिव मंदिर में सदियों से ताला लगा हुआ है. हाल ही में आयोजित हुई शिव महापुराण में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने इस बात का खुलासा कर लोगों को नींद से जगाया है और शिवराज सरकार से शिव मंदिर का ताला खोलने की मांग की. उनके समर्थन में कई नेता और अब कई संगठन भी खड़े हो गए हैं. जिसके बाद से ही मध्यप्रदेश की राजनीति गरमा गई है.
इस डर से नहीं खुलता मंदिर: रायसेन के किले में बना सोमेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था. परमारकालीन राजा उदयादित्य ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर में उस वक्त केवल राजघराने की महिलाएं ही पूजा करती थीं. इसमें 2 शिवलिंग हैं. फिलहाल किले और मंदिर की देखरेख पुरात्तव विभाग करता है. मंदिर पर लगे ताले की चाबी भी विभाग के पास ही है. पुरातत्व विभाग को इस बात की चिंता है कि मंदिर बहुत ऊंचाई पर है. इस ऊंचाई पर इसकी देखभाल करना मुश्किल है. इसलिए अगर इस पर ताला नहीं लगाया और किसी ने कोई हरकत कर दी या तोड़फोड़ कर दी, तो सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है.
शेरशाह ने भी किया यहां शासन, जानें किले का इतिहास- रायसेन फोर्ट 1100 ईसवी में बना हुआ प्राचीन किला है. बलुआ पत्थर से बने इस किले के चारों ओर बड़ी-बड़ी चट्टानों की दीवारें हैं. किले में नौ दरवाजे और 13 बुर्ज हैं. इस किले का शानदार इतिहास रहा है यहां कई राजाओं ने शासन किया है, जिनमें से एक शेरशाह सूरी भी था. अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध इस किले को जीतने में उसे पसीने छूट गए थे. तारीखे शेरशाही के मुताबिक, चार महीने की घेराबंदी के बाद वो यह किला जीत पाया था. उस समय इस किले पर राजा पूरनमल का शासन था. उन्हें जैसे ही ये पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है, तो उन्होंने दुश्मनों से अपनी पत्नी रानी रत्नावली को बचाने के लिए उनका सिर खुद ही काट दिया था. राजा पूरनमल के पास पारस पत्थर होने की कहानी भी बताई जाती है. पारस पत्थर के बारे में माना जाता है कि वह लोहे को सोने में बदल देता है, लेकिन जब राजा राजसेन हार गए तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में ही स्थित एक तालाब में फेंक दिया था.
(Shiva locked in temple) (Uma bharti challenge for administration)