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बेटी के इलाज के लिए गरीबी से हारे मां-बाप, सोशल मीडिया से लोग कर रहे मदद

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Published : Oct 21, 2019, 4:15 PM IST

Updated : Oct 21, 2019, 5:56 PM IST

रायसेन की रहने वाली 5 साल की मासूम पलक मालवीय गंभीर बीमारी से परेशान है. लेकिन मां-बाप के पास पैसा नहीं होने के कारण वह इलाज करवाने के लिए परेशान हो रहे थे. तब एक पत्रकार और ईटीवी भारत ने उनकी मदद की.

बेटी के इलाज

रायसेन। कहते हैं कि दुनिया में भगवान हैं तो वह किसी ना किसी रूप में मदद के लिए आ ही जाते हैं. कुछ ऐसा ही रायसेन में उस समय हुआ जब एक 5 साल की बच्ची के इलाज के लिए दर दर भटक रहे एक गरीब परिवार की मदद के लिए एक रिपोर्टर आगे आया और सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई. कई लोगों से मदद का हाथ बढ़ाया लेकिन यह सिस्टम पर एक बड़ा तमाचा भी है.

बेटी के इलाज लिए सोशल मीडिया से लोग कर रहे मदद

जहां प्रदेश सरकार बच्चियों को लेकर तमाम योजनाओं चलाकर लाभ देने का ढ़िढोरा पीटती है, वहीं इस बच्ची के इलाज के लिए अभी तक शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलना कमलनाथ सरकार में सरकारी तंत्र पर कई सवालिया निशान खड़े करती है. यह मासूम आज जिंदगी और मौत से लढ़ रही है. लेकिन शासन प्रशासन को कोई सुध नहीं.

रायसेन जिले की बरेली तहसील के भोड़िया निवासी 5 साल की मासूम पलक मालवीय गंभीर बीमारी से परेशान है. वहीं गरीब माता-पिता हमीदिया में भर्ती कराया. यहां सही इलाज नहीं किया गया और गरीब मां-बाप को यहां से भगा भी दिया. पैसे की कोई व्यवस्था नहीं थी ऐसे में मां-बाप बच्ची को लेकर घर आ गए.

सोशल मीडिया से लोगों ने की आर्थिक मदद

पूरे मामले की जानकारी मिलते ही ईटीवी भारत की टीम के साथ एक अन्य पत्रकार देवराज दुबे ने बच्ची की हालत देख देरी ना करते हुए भोपाल के प्राइवेट जेके हॉस्पिटल में भर्ती कराया. जहां अब 3 दिन बाद बच्ची की हालत में सुधार आया है. वहीं केंद्र सरकार की योजना आयुष्मान कार्ड ना होने के कारण सोशल मीडिया पर बच्ची के इलाज के खर्च के लिए पैसे की गुहार लगाई. जिसके बाद कई लोगों ने तत्काल मदद की और अभी भी लोग मदद कर रहे हैं.

अब विधायक दे रहे मदद का आश्वासन

3 दिन से पीआईसीयू में बच्ची का इलाज चल रहा है वहीं अब तक 35 से 40 हजार का खर्च आ चुका है. कल शाम ही बच्ची का आयुष्मान कार्ड बना है लेकिन बीमारी बड़ी होने के कारण आयुष्मान के अलावा भी बाहर से दवा लगेगी. वहीं स्थानीय विधायक ने हॉस्पिटल पहुंचकर मासूम के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और बच्ची के इलाज के लिए पूरी मदद का आश्वासन दिया.
लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि आश्वासन देने से बच्ची का इलाज नहीं हो सकता और अभी तक प्रशासन कहां सोया हुआ था.

रायसेन। कहते हैं कि दुनिया में भगवान हैं तो वह किसी ना किसी रूप में मदद के लिए आ ही जाते हैं. कुछ ऐसा ही रायसेन में उस समय हुआ जब एक 5 साल की बच्ची के इलाज के लिए दर दर भटक रहे एक गरीब परिवार की मदद के लिए एक रिपोर्टर आगे आया और सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई. कई लोगों से मदद का हाथ बढ़ाया लेकिन यह सिस्टम पर एक बड़ा तमाचा भी है.

बेटी के इलाज लिए सोशल मीडिया से लोग कर रहे मदद

जहां प्रदेश सरकार बच्चियों को लेकर तमाम योजनाओं चलाकर लाभ देने का ढ़िढोरा पीटती है, वहीं इस बच्ची के इलाज के लिए अभी तक शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलना कमलनाथ सरकार में सरकारी तंत्र पर कई सवालिया निशान खड़े करती है. यह मासूम आज जिंदगी और मौत से लढ़ रही है. लेकिन शासन प्रशासन को कोई सुध नहीं.

रायसेन जिले की बरेली तहसील के भोड़िया निवासी 5 साल की मासूम पलक मालवीय गंभीर बीमारी से परेशान है. वहीं गरीब माता-पिता हमीदिया में भर्ती कराया. यहां सही इलाज नहीं किया गया और गरीब मां-बाप को यहां से भगा भी दिया. पैसे की कोई व्यवस्था नहीं थी ऐसे में मां-बाप बच्ची को लेकर घर आ गए.

सोशल मीडिया से लोगों ने की आर्थिक मदद

पूरे मामले की जानकारी मिलते ही ईटीवी भारत की टीम के साथ एक अन्य पत्रकार देवराज दुबे ने बच्ची की हालत देख देरी ना करते हुए भोपाल के प्राइवेट जेके हॉस्पिटल में भर्ती कराया. जहां अब 3 दिन बाद बच्ची की हालत में सुधार आया है. वहीं केंद्र सरकार की योजना आयुष्मान कार्ड ना होने के कारण सोशल मीडिया पर बच्ची के इलाज के खर्च के लिए पैसे की गुहार लगाई. जिसके बाद कई लोगों ने तत्काल मदद की और अभी भी लोग मदद कर रहे हैं.

अब विधायक दे रहे मदद का आश्वासन

3 दिन से पीआईसीयू में बच्ची का इलाज चल रहा है वहीं अब तक 35 से 40 हजार का खर्च आ चुका है. कल शाम ही बच्ची का आयुष्मान कार्ड बना है लेकिन बीमारी बड़ी होने के कारण आयुष्मान के अलावा भी बाहर से दवा लगेगी. वहीं स्थानीय विधायक ने हॉस्पिटल पहुंचकर मासूम के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और बच्ची के इलाज के लिए पूरी मदद का आश्वासन दिया.
लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि आश्वासन देने से बच्ची का इलाज नहीं हो सकता और अभी तक प्रशासन कहां सोया हुआ था.

Intro:रायसेन-कहते दुनिया मे भगवान है तो वह किसी न किसी रूप में आकर मदद करता है कुछ ऐसा ही मामला रायसेन जिले से सामने आया है यह मामला कमलनाथ के राज पर कई सवालिया निशान खड़े करता है जहां एक 5 साल की बच्ची के इलाज के लिए दर दर भटक रहे एक गरीब परिवार की मदद के लिए आगे आया रिपोर्टर और सोशल मीडिया पर लगाई मदद की गुहार वही कई लोगों से मिली मदद,लेकिन सिस्टम पर एक बड़ा तमाचा भी है जहां प्रदेश सरकार बच्चियों को लेकर तमाम योजनाओं चलाकर मंचो पर लाभ देने का ढ़िढोरा पीटती लेकिन यह बच्ची के इलाज के लिए अभी तक शासन प्रशासन से कोई बढ़ी मदद नही मिली।वही यह मासूम आज जिंदगी और मौत से लढ़ रही है।लेकिन शासन प्रशासन को कोई सुध नही।देखे इस स्पेशल रिपोर्ट में


Body:अजब एमपी के गजब सिस्टम बेरुखी जहां रायसेन जिले की बरेली तहसील के भोड़िया निवासी 5 वर्षीय मासूम पलक मालवीय गंभीर बीमारी से परेशान थी वही गरीब माता-पिता बरेली ने रायसेन और हमीदिया में भर्ती कराया जहां सही इलाज नहीं किया जा रहा था और गरीब मां-बाप को हमीदिया से भगा दिया जिसके बाद गरीब मां-बाप के पास पैसे की कोई व्यवस्था नहीं थी इस कारण बच्ची को लेकर घर आ गए कुछ दिनों बाद जब एक पेपर में न्यूज़ को पढ़कर न्यूज़ बनाने पहुंचे प्रिंट मीडिया के संवाददाता देवराज दुबे और ईटीवी भारत की टीम ने बच्ची की हालत देख देरी ना करते हुए भोपाल की प्राइवेट जेके हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहां अब 3 दिन बाद बच्ची की हालत में सुधार आया है वही केंद्र सरकार की योजना आयुष्मान कार्ड ना होने पर कार्ड बनने का फॉर्म भारत सोशल मीडिया पर बच्ची के इलाज खर्च के लिए पैसे की गुहार लगाई जिसके बाद कई लोगों ने तत्काल मदद की और अभी लोग मदद कर रहे हैं 3 दिन से पीआईसीयू में बच्ची का इलाज चल रहा है वहीं अब तक लगातार तीन दिन में 35 से 40 हजार का खर्च आ चुका है कल शाम ही बच्ची का आयुष्मान कार्ड बना है पर बीमारी बड़ी होने के कारण आयुष्मान के अलावा भी बाहर से दवा लगेगी। वहीं स्थानीय विधायक ने हॉस्पिटल पहुंचकर मासूम बच्ची पलक के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। और बच्ची के इलाज के लिए पूरी मदद का आश्वासन दिया। लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि आश्वासन देने से बच्ची का इलाज तो नहीं हो सकता। वही बच्ची की मदद के लिए सोशल मीडिया पर जैसे ही सूचना डाली गई जानकारी लगते ही लोगों ने इलाज के लिए पैसे की हेल्प की। लेकिन शासन प्रशासन द्वारा इस मासूम बच्ची के इलाज के लिए कोई विशेष मदद के निर्देश अभी तक नहीं दिए गए हैं।जबकि ऐसा नहीं है कि इस मासूम की जानकारी शासन प्रशासन को ना हो।

Byte-रेखा बाई पीड़ित बच्ची की माँ।

Byte-देवराज दुबे मदद करने वाला रिपोर्टर।

Byte-बच्ची का पिता।

PTC-आदर्श पाराशर रायसेन।


Conclusion:जहां केंद्र और राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लाख दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है आदर्श पाराशर ईटीवी भारत रायसेन।
Last Updated : Oct 21, 2019, 5:56 PM IST
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