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कोरोना इफेक्ट: मूर्तिकारों पर संकट, इस बार साल भर कैसे चलेगा घर

कोरोना का असर अब मूर्तिकारों पर भी देखने को मिल रहा है, रायसेन जिले में गणेश चतुर्थी पर मूर्तिकारों के सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है.

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इस बार साल भर कैसे चलेगा घर
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Published : Aug 22, 2020, 10:25 PM IST

रायसेन। कोरोना के कहर के कारण इस बार गणेश उत्सव मनाने पर ग्रहण लग गया है. वहीं कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए, इस बार गणेश पंडाल लगाने से मना कर दिया गया है. सिर्फ छोटी प्रतिमाओं को घर पर विराजमान करने की अनुमति दी गई है. इस प्रतिबंध से रायसेन जिले के मूर्ति बनाने वाले सैकड़ों परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है,

इस बार साल भर कैसे चलेगा घर

हर साल बेहद धूमधाम से मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी पर्व इस बार धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है, मध्यप्रदेश में गणेश चतुर्थी को खास माना जाता है, महीनों पहले से ही गांव हो या शहर इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस साल संक्रमण के खतरे ने त्यौहार पर इंसानों को घरों में कैद कर दिया. वहीं गणपति बप्पा की मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, कोरोना के चलते कई त्योहार बेरंग हो गए हैं.

गणपति बप्पा के त्योहार की भी रौनक फीकी पड़ी है. कोविड-19 के चलते लोगों को घरों में ही पूजा करनी होगी. कोविड का असर मूर्ति कलाकारों पर भी देखा गया, जो हर साल गणेश उत्सव, नवरात्रि जैसे त्योहारों का इंतजार करते हैं, ताकि कमाई कर अपने परिवार का पालन पोषण कर अपनी जीविका चला सकें, लेकिन इस साल कोरोना का ग्रहण उनकी रोजी रोटी पर लग गया है.

प्रदेश के साथ रायसेन जिले में भी गणेश उत्सव के महीनों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती थीं, जिलेभर में बड़ी-बड़ी झांकियों लगाई जाती थीं, वहीं महीनों पहले बड़ी-बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर दिए जाते थे. लेकिन इस साल 12 से 15 फीट की मूर्ति दो से तीन फीट तक ही सिमट कर रह गई है, अब रायसेन की गलियों में कोरोना के चलते बप्पा के जयकारों की गूंज नहीं सुनाई देगी. बल्कि रायसेन के बाशिंदों को गणेश उत्सव घरों में ही मनाना पड़ेगा.

क्षेत्र में ऐसे सैकड़ों परिवार हैं, जो मूर्ति बनाने का काम करते हैं. मूर्तिकारों की माने तो वह साल की शुरुआत से ही मूर्ति बनाने के काम में लग जाते हैं, गणपति जी की एक बड़ी मूर्ति 10 से 25 हजार के बीच बिकती है.

लेकिन इस बार बड़ी मूर्तियों से लाभ कमाना तो दूर लागत भी नहीं निकलने वाली, जिससे मूर्तिकार परेशान हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि इस साल बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर नहीं आए हैं, जिससे हमें काफी नुकसान हुआ है.

साल भर हमारी इसी से रोजी रोटी चलती थी और हमने लगभग 60 हजार रुपए काम में लगा दिए हैं. अब ऐसे में सिर्फ छोटी मूर्ति की ही बिक्री होगी, जिसमें इतना प्रॉफिट नहीं है कि साल भर की रोजी-रोटी चला सकें.

रायसेन। कोरोना के कहर के कारण इस बार गणेश उत्सव मनाने पर ग्रहण लग गया है. वहीं कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए, इस बार गणेश पंडाल लगाने से मना कर दिया गया है. सिर्फ छोटी प्रतिमाओं को घर पर विराजमान करने की अनुमति दी गई है. इस प्रतिबंध से रायसेन जिले के मूर्ति बनाने वाले सैकड़ों परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है,

इस बार साल भर कैसे चलेगा घर

हर साल बेहद धूमधाम से मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी पर्व इस बार धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है, मध्यप्रदेश में गणेश चतुर्थी को खास माना जाता है, महीनों पहले से ही गांव हो या शहर इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस साल संक्रमण के खतरे ने त्यौहार पर इंसानों को घरों में कैद कर दिया. वहीं गणपति बप्पा की मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, कोरोना के चलते कई त्योहार बेरंग हो गए हैं.

गणपति बप्पा के त्योहार की भी रौनक फीकी पड़ी है. कोविड-19 के चलते लोगों को घरों में ही पूजा करनी होगी. कोविड का असर मूर्ति कलाकारों पर भी देखा गया, जो हर साल गणेश उत्सव, नवरात्रि जैसे त्योहारों का इंतजार करते हैं, ताकि कमाई कर अपने परिवार का पालन पोषण कर अपनी जीविका चला सकें, लेकिन इस साल कोरोना का ग्रहण उनकी रोजी रोटी पर लग गया है.

प्रदेश के साथ रायसेन जिले में भी गणेश उत्सव के महीनों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती थीं, जिलेभर में बड़ी-बड़ी झांकियों लगाई जाती थीं, वहीं महीनों पहले बड़ी-बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर दिए जाते थे. लेकिन इस साल 12 से 15 फीट की मूर्ति दो से तीन फीट तक ही सिमट कर रह गई है, अब रायसेन की गलियों में कोरोना के चलते बप्पा के जयकारों की गूंज नहीं सुनाई देगी. बल्कि रायसेन के बाशिंदों को गणेश उत्सव घरों में ही मनाना पड़ेगा.

क्षेत्र में ऐसे सैकड़ों परिवार हैं, जो मूर्ति बनाने का काम करते हैं. मूर्तिकारों की माने तो वह साल की शुरुआत से ही मूर्ति बनाने के काम में लग जाते हैं, गणपति जी की एक बड़ी मूर्ति 10 से 25 हजार के बीच बिकती है.

लेकिन इस बार बड़ी मूर्तियों से लाभ कमाना तो दूर लागत भी नहीं निकलने वाली, जिससे मूर्तिकार परेशान हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि इस साल बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर नहीं आए हैं, जिससे हमें काफी नुकसान हुआ है.

साल भर हमारी इसी से रोजी रोटी चलती थी और हमने लगभग 60 हजार रुपए काम में लगा दिए हैं. अब ऐसे में सिर्फ छोटी मूर्ति की ही बिक्री होगी, जिसमें इतना प्रॉफिट नहीं है कि साल भर की रोजी-रोटी चला सकें.

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