रायसेन। 'पढ़ेगा इंडिया, तो बढ़ेगा इंडिया' यह नारा उस तस्वीर के आगे फीका पड़ता दिखाई देता है, जिसमें स्कूल जाने की उम्र में बच्चे थैला लेकर बाल मजदूरी करते दिखाई देते हैं. इसे प्रशासन की उदासीनता कहें या बाल संरक्षण के प्रति लापरवाही. शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर आकर सब फीकी पड़ जाती हैं.
स्कूल बैग उठाने की उम्र में कचरा उठा रहे बच्चे, ऐसे कैसे बढ़ेगा इंडिया
रायसेन को दीवानगंज में स्कूल जाने की उम्र में बच्चे थैला लेकर कचरा बीनते दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में देश के उज्जवल भविष्य के सपने देखना बेकार है.
स्कूल बैग उठाने की उम्र में कचरा उठा रहे बच्चे
रायसेन। 'पढ़ेगा इंडिया, तो बढ़ेगा इंडिया' यह नारा उस तस्वीर के आगे फीका पड़ता दिखाई देता है, जिसमें स्कूल जाने की उम्र में बच्चे थैला लेकर बाल मजदूरी करते दिखाई देते हैं. इसे प्रशासन की उदासीनता कहें या बाल संरक्षण के प्रति लापरवाही. शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर आकर सब फीकी पड़ जाती हैं.
Intro:पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया यह नारा उस तस्वीर के आगे फीका पड़ता दिखाई देता है जिसमें स्कूल जाने की उम्र में बच्चे थैला लेकर बाल मजदूरी करते दिखाई देते हैं।
जी हां हमारे सिस्टम की उदासीनता कहें या बाल संरक्षण के प्रति लापरवाही। शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनती है मगर जमीनी स्तर पर आकर कितनी सही साबित होती हैं यह तस्वीर देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं।Body:Vo1मामला है रायसेन जिले के सांची विधानसभा के दीवानगंज का यहां पर घुमक्कड़ जाति का एक मोहल्ला है। सुबह जिस टाइम दूसरे घरों के बच्चे स्कूल के लिए हाथ में बसता लेकर निकलते हैं। इस मोहल्ले के बच्चे हाथ में थैला लेकर कचरा बीनने के लिए बाल मजदूरी करने जाते हैं। यह हाल है प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभु राम चौधरी की विधानसभा क्षेत्र का आखिर इन बच्चों का बचपन इनसे कौन छीन रहा है। कौन है जिम्मेदार। करोड़ों रुपए की सरकारी योजनाएं बनती है मगर इन बच्चों तक आखिर क्यों नहीं पहुंच पाती हैं। यह तो हमने एक जगह की तस्वीरें दिखाए हैं आपको। न जाने और कितने बच्चे होंगे जिनका भविष्य अंधकार में जा रहा है। भले ही हमारे देश में डिजिटल क्रांति की बात की जा रही है मेकिंग इंडिया की बात की जा रही है मगर बाल मजदूरी हमारे देश में नासूर बना हुआ है।
Byte नीता अहिरवार सुपरवाइजर महिला बाल विकास सेक्टर दीवानगंज।
Byte गीता नायक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दीवानगंज।
Byte राजश्री बंशकार आंगनवाड़ी सहायिका दीवानगंजConclusion:
जी हां हमारे सिस्टम की उदासीनता कहें या बाल संरक्षण के प्रति लापरवाही। शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनती है मगर जमीनी स्तर पर आकर कितनी सही साबित होती हैं यह तस्वीर देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं।Body:Vo1मामला है रायसेन जिले के सांची विधानसभा के दीवानगंज का यहां पर घुमक्कड़ जाति का एक मोहल्ला है। सुबह जिस टाइम दूसरे घरों के बच्चे स्कूल के लिए हाथ में बसता लेकर निकलते हैं। इस मोहल्ले के बच्चे हाथ में थैला लेकर कचरा बीनने के लिए बाल मजदूरी करने जाते हैं। यह हाल है प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभु राम चौधरी की विधानसभा क्षेत्र का आखिर इन बच्चों का बचपन इनसे कौन छीन रहा है। कौन है जिम्मेदार। करोड़ों रुपए की सरकारी योजनाएं बनती है मगर इन बच्चों तक आखिर क्यों नहीं पहुंच पाती हैं। यह तो हमने एक जगह की तस्वीरें दिखाए हैं आपको। न जाने और कितने बच्चे होंगे जिनका भविष्य अंधकार में जा रहा है। भले ही हमारे देश में डिजिटल क्रांति की बात की जा रही है मेकिंग इंडिया की बात की जा रही है मगर बाल मजदूरी हमारे देश में नासूर बना हुआ है।
Byte नीता अहिरवार सुपरवाइजर महिला बाल विकास सेक्टर दीवानगंज।
Byte गीता नायक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दीवानगंज।
Byte राजश्री बंशकार आंगनवाड़ी सहायिका दीवानगंजConclusion: