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प्रभुराम चौधरी के सिर सांची का ताज, कांग्रेस के मदनलाल चौधरी को दी शिकस्त - Prabhuram Chaudhary

रायसेन के सांची का ताज बीजेपी के प्रभुराम चौधरी के सिर पर चला गया है. बीजेपी के प्रभुराम चौधरी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मदन लाल चौधरी को हरा दिया.

Prabhuram Chaudhary
प्रभुराम चौधरी
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Published : Nov 10, 2020, 5:20 PM IST

रायसेन। मध्यप्रदेश में तमाम राजनीतिक उठापटक के बाद हुए उपचुनाव के परिणाम आ गए हैं. रायसेन के सांची का ताज बीजेपी के प्रभुराम चौधरी के सिर पर चला गया है. बीजेपी के प्रभुराम चौधरी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मदन लाल चौधरी हरा दिया और सांची का ताज अपने नाम कर दिया है.

History of Sanchi Seat
सांची सीट का इतिहास

दो चौधरियों के बीच था मुकाबला

सांची का मुख्य मुकाबला दो चौधरियों के बीच रहा. दल बदल कर बीजेपी में पहुंचे प्रभु राम चौधरी को कांग्रेस के उम्मीदवार मदन लाल चौधरी ने टक्कर दी. इन दोनों का सियासी भविष्य करीब 32 हजार अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं ने तय किया.

दलबदल के बाद कांग्रेस के पुराने सिपाही प्रभु राम चौधरी के खिलाफ कांग्रेस ने मदन लाल चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा था. कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले प्रभु राम का राजनीतिक सफर 3 गुना ज्यादा है. मदन लाल चौधरी का राजनीतिक सफर वर्ष 2000 में कृषि उपज मंडी सदस्य के रूप में शुरू हुआ. वे सरपंच भी रहे. 2015 में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में बराबर वोट मिलने पर मदन लाल चौधरी ने टॉस उछालकर चुनाव जीता था, उनकी पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य रही हैं. मदन लाल चौधरी के सामने क्षेत्र में खुद को स्थापित करने का ये मौका था, लेकिन वो हार गए.

विधानसभा सीट का जातिगत गणित

सांची विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के 32,000 मतदाता हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 22000 के करीब हैं. इसके अलावा लोधी और किरार मतदाता भी हैं.2018 के चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में 2013 की तुलना में 9000 ज्यादा वोट पड़े थे. इसका फायदा कांग्रेस को हुआ था.

2018 के चुनाव परिणाम

2018 के चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ प्रभु राम चौधरी और बीजेपी उम्मीदवार मुदित शेजवार के बीच हार जीत का अंतर 10000 वोटों का रहा था. कांग्रेस को 89,567 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार मुदित शेजवार को 78,754 वोट प्राप्त हुए थे.

सांची सीट का इतिहास

बात अगर इतिहास की करें तो पांच विधानसभा चुनावों में शेजवार वर्सेज प्रभुराम चौधरी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में 6 बार आमने सामने आ चुके हैं, जिनमें से 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रभुराम चौधरी और गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार के बीच हुआ चुनाव भी शामिल है.

डॉक्टर प्रभु राम चौधरी ने 1985 के विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर बीजेपी के डॉक्टर गौरी शंकर शेजवार को चुनाव हराया था. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में शेजवार के बेटे मुदित शेजवार प्रभु राम से चुनाव हारे हैं. सांची विधानसभा सीट के पिछले 10 चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो 7 विधानसभा चुनाव में डॉ गौरीशंकर शेजवार ने झंडा बुलंद किया है. उन्होंने 1977 में जनसंघ के टिकट पर जीत दर्ज की थी. वे साल 1990 से 2003 तक लगातार चार बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.

रायसेन। मध्यप्रदेश में तमाम राजनीतिक उठापटक के बाद हुए उपचुनाव के परिणाम आ गए हैं. रायसेन के सांची का ताज बीजेपी के प्रभुराम चौधरी के सिर पर चला गया है. बीजेपी के प्रभुराम चौधरी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मदन लाल चौधरी हरा दिया और सांची का ताज अपने नाम कर दिया है.

History of Sanchi Seat
सांची सीट का इतिहास

दो चौधरियों के बीच था मुकाबला

सांची का मुख्य मुकाबला दो चौधरियों के बीच रहा. दल बदल कर बीजेपी में पहुंचे प्रभु राम चौधरी को कांग्रेस के उम्मीदवार मदन लाल चौधरी ने टक्कर दी. इन दोनों का सियासी भविष्य करीब 32 हजार अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं ने तय किया.

दलबदल के बाद कांग्रेस के पुराने सिपाही प्रभु राम चौधरी के खिलाफ कांग्रेस ने मदन लाल चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा था. कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले प्रभु राम का राजनीतिक सफर 3 गुना ज्यादा है. मदन लाल चौधरी का राजनीतिक सफर वर्ष 2000 में कृषि उपज मंडी सदस्य के रूप में शुरू हुआ. वे सरपंच भी रहे. 2015 में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में बराबर वोट मिलने पर मदन लाल चौधरी ने टॉस उछालकर चुनाव जीता था, उनकी पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य रही हैं. मदन लाल चौधरी के सामने क्षेत्र में खुद को स्थापित करने का ये मौका था, लेकिन वो हार गए.

विधानसभा सीट का जातिगत गणित

सांची विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के 32,000 मतदाता हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 22000 के करीब हैं. इसके अलावा लोधी और किरार मतदाता भी हैं.2018 के चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में 2013 की तुलना में 9000 ज्यादा वोट पड़े थे. इसका फायदा कांग्रेस को हुआ था.

2018 के चुनाव परिणाम

2018 के चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ प्रभु राम चौधरी और बीजेपी उम्मीदवार मुदित शेजवार के बीच हार जीत का अंतर 10000 वोटों का रहा था. कांग्रेस को 89,567 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार मुदित शेजवार को 78,754 वोट प्राप्त हुए थे.

सांची सीट का इतिहास

बात अगर इतिहास की करें तो पांच विधानसभा चुनावों में शेजवार वर्सेज प्रभुराम चौधरी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में 6 बार आमने सामने आ चुके हैं, जिनमें से 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रभुराम चौधरी और गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार के बीच हुआ चुनाव भी शामिल है.

डॉक्टर प्रभु राम चौधरी ने 1985 के विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर बीजेपी के डॉक्टर गौरी शंकर शेजवार को चुनाव हराया था. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में शेजवार के बेटे मुदित शेजवार प्रभु राम से चुनाव हारे हैं. सांची विधानसभा सीट के पिछले 10 चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो 7 विधानसभा चुनाव में डॉ गौरीशंकर शेजवार ने झंडा बुलंद किया है. उन्होंने 1977 में जनसंघ के टिकट पर जीत दर्ज की थी. वे साल 1990 से 2003 तक लगातार चार बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.

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