पन्ना। टाइगर रिजर्व की युवा बाघिन पी- 234 को लकवा मार जाने के बाद से 1 माह से अधिक समय से वन विहार भोपाल में इलाज चल रहा है, लेकिन सेहत में सुधार नहीं हो रहा. वहीं, बाघिन के बीमार होने से उसके दोनों शावक अनाथ की तरह जीवन जी रहे हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा ने बताया कि, ''शावकों को दूसरी जगह शिफ्ट करके पालने से उनका जंगलीपन चला जाएगा जिसके चलते वह जिंदगी भर बोझ बने रहेंगे. इसी कारण शावकों को शिफ्ट नहीं किया जाएगा, बल्कि टाइगर रिजर्व में ही प्राकृतिक आवास में ही बड़ा होने का अवसर दिया जाएगा.''
शावकों की कराएंगे पूरी सुरक्षा: साथ में फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि, ''जंगल में रहने से शावकों को बड़े जानवरों के द्वारा हमला करने का खतरा है, लेकिन हम उन्हें फिजिकली सहायता मुहैया करा सकते हैं. अगर एक बार शावक सर्वाइव कर गए तो जिंदगी भर किसी पर बोझ नहीं रहेंगे.'' उन्होंने बताया कि, ''अभी शावकों के बाडे के आसपास किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति के प्रवेश को प्रतिबंध किया गया है. बारिश का सीजन होने से हर जगह पानी है पर्यटन का दबाव कम है. इससे मॉनसून सीजन में शावकों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी.''
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अपनी मां से शिकार के गुर सीखते हैं शावकः फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि, ''शावक करीब डेढ़ से 2 साल तक अपनी मां के साथ रहते है और उससे शिकार के गुर सीखते हैं. इस हिसाब से इन शावकों की उम्र अभी कम है, हम उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं. वहीं, 1 माह से अधिक समय से इलाज के बाद भी बाघिन की सेहत में सुधार नहीं हो रहा है.''