पन्ना। जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का जिन दवाओं का वितरण किया जा रहा था, उनमें से कई दवाइयां जून 2023 में एक्सपायर होने वाली थीं. इस बारे में विकास खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. केपी राजपूत का कहना है कि जो दवाइयां एक्सपायरी डेट की थीं, उनको जिला अस्पताल के स्टोर में वापस भेज दिया गया है. एक्सपायरी डेट में कम से कम 6 महीने का मार्जिन होना ही चाहिए, जिससे उनके सुरक्षित रखने और वितरण में कोई परेशानी ना आए. लेकिन सवाल ये है कि 2021 में बनी दवाइयों की खेप 2023 में क्यों भेजी जा रही है.
आखिर 2 साल तक ये दवाएं कहां थीं : बता दें कि मध्यप्रदेश में एंबुलेंस की घटिया व्यवस्था से हरेक व्यक्ति परिचित है. अब मरीजों को वितरित की जाने वाली दवाओं पर सवाल उठा है.सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के होने का दावा करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. अस्पतालों में कुछ दवाइयां एक्सपायरी डेट की भेज दी जाती हैं. मौके पर देखा गया कि एक्सपायरी डेट की दवाओं को अलग कर कर रखा गया था. साथ ही जिन दवाओं का वितरण किया जा रहा था, उनमें से ही दवाइयां जून 2023 में एक्सपायर होने वाली थीं. सवाल ये है कि 20121 में बनी ये दवाएं 2 साल तक कहां पड़ी रहीं.
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ये कौन माफिया हैं : इससे लगता है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी माफिया सक्रिय हैं. जो एक्सपायरी दवाओं को खपाने के लिए अस्पतालों को जरिया बना रहे हैं. आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. यदि एक्सपायरी डेट नजदीक आने पर दवा को औने-पौने दामों पर खरीदा गया तो इस राशि में बंदरबांट कौन कर रहा है. दूसरा सवाल यह है कि 1 महीने बाद लाखों रुपए की ये दवाइयां जब एक्सपायर हो जाएंगी तो इनको नष्ट कर दिया जाएगा और इसके साथ ही शासकीय खजाने का लाखों रुपए जो नष्ट होगा, उसका जिम्मेदार कौन है.