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7 साल में एक बार होते हैं अजय पाल महाराज के दर्शन

पन्ना जिले के अजयगढ़ किले में भगवान अजय पाल महाराज के दर्शन साल भर में एक बार होते हैं, भक्तों का मानना है कि हर किसी की मुराद यहां आने से पूरी हो जाती है.

Lord Ajaypal's board opens once a year
साल में एक बार भगवान अजयपाल का खुलता है पट
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Published : Jan 26, 2021, 9:40 AM IST

पन्ना। विश्व के ज्यादातर अद्वितीय और अनोखे मंदिर भारत में स्थित हैं, सभी मंदिरों की अपनी-अपनी एक अनोखी मान्यता है. वैसे तो भक्तों को भगवान के दर्शन रोज ही होते हैं, लेकिन पन्ना जिले के अजयगढ़ किले में भगवान अजयपाल महाराज विराजे का एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान के दर्शन के लिए भक्तों को 1 साल का लंबा इंतजार करना पड़ता है. भगवान अजयपाल महाराज का नाम दूर-दूर तक विख्यात है. बता दें कि साल में एक ऐसा दिन आता है, जब भगवान अजयपाल की प्रतिमा उनके मंदिर में स्थापित की जाती है.

बता दें कि साल भर में 14 जनवरी यानी मकरसंक्रांति के दिन भगवान अजयपाल के दर्शन लोगों को होते हैं. दर्शन के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. मकर संक्रांति के दिन डुबकी लगाकर भगवान अजयपाल की पूजा-अर्चना करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी कायम है.

अजयगढ़ के ऊंची पहाड़ियों के बीचों बीच भगवान अजयपाल का मंदिर स्थित है, लेकिन साल में एक ही दिन इनकी प्रतिमा मंदिर में कड़ी सुरक्षा के बीच लाई जाती है. भक्तों का कहना है कि यह भगवान की प्रतिमा बहुत ही अमूल्य है. जिसके कारण इनकी सुरक्षा की दृष्टि से मकर संक्रांति के दिन मूर्ति को स्थापित किया जाता है, बाकी दिन प्रशासन की देखरेख में रखा जाता है.

प्रदेश के खनिज मंत्री व क्षेत्रीय विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह भी हर वर्ष भगवान अजयपाल के दर्शन करने आते हैं. भक्तों का मानना है कि हर किसी की मुराद यहां आने से पूरी हो जाती है.

पन्ना। विश्व के ज्यादातर अद्वितीय और अनोखे मंदिर भारत में स्थित हैं, सभी मंदिरों की अपनी-अपनी एक अनोखी मान्यता है. वैसे तो भक्तों को भगवान के दर्शन रोज ही होते हैं, लेकिन पन्ना जिले के अजयगढ़ किले में भगवान अजयपाल महाराज विराजे का एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान के दर्शन के लिए भक्तों को 1 साल का लंबा इंतजार करना पड़ता है. भगवान अजयपाल महाराज का नाम दूर-दूर तक विख्यात है. बता दें कि साल में एक ऐसा दिन आता है, जब भगवान अजयपाल की प्रतिमा उनके मंदिर में स्थापित की जाती है.

बता दें कि साल भर में 14 जनवरी यानी मकरसंक्रांति के दिन भगवान अजयपाल के दर्शन लोगों को होते हैं. दर्शन के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. मकर संक्रांति के दिन डुबकी लगाकर भगवान अजयपाल की पूजा-अर्चना करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी कायम है.

अजयगढ़ के ऊंची पहाड़ियों के बीचों बीच भगवान अजयपाल का मंदिर स्थित है, लेकिन साल में एक ही दिन इनकी प्रतिमा मंदिर में कड़ी सुरक्षा के बीच लाई जाती है. भक्तों का कहना है कि यह भगवान की प्रतिमा बहुत ही अमूल्य है. जिसके कारण इनकी सुरक्षा की दृष्टि से मकर संक्रांति के दिन मूर्ति को स्थापित किया जाता है, बाकी दिन प्रशासन की देखरेख में रखा जाता है.

प्रदेश के खनिज मंत्री व क्षेत्रीय विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह भी हर वर्ष भगवान अजयपाल के दर्शन करने आते हैं. भक्तों का मानना है कि हर किसी की मुराद यहां आने से पूरी हो जाती है.

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