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चमकते हीरे की खदानों के पीछे का काला सच... उड़ जाएंगे होश

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Published : Nov 26, 2019, 4:20 PM IST

पन्ना पूरी दूनिया में अपने हीरों के लिए जाना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं हीरे की खदानों में काम करने वाले मजदूर तिल-तिल कर मर रहे हैं. पूरी कहानी जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.

Laborers are becoming patients of silicosis disease every day
हीरा खदान के पीछे का काला सच

पन्ना। ये जिला यूं तो हीरे के लिए पूरी दूनिया में मशहूर है. लेकिन इन हीरों को निकालने वाले और पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. सबसे खतरनाक बीमारी है सिलिकोसिस, इस दमघुटने वाली बीमारी से मजदूर तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि इस बीमारी की पहचान और जांच की कोई भी सुविधा पन्ना में मौजूद नहीं हैं. यहां तक की इस बीमारी के लिए कोई प्रशिक्षित डॉक्टर भी नहीं है, जिसकी वजह से ये समस्या और भी गंभीर हो जाती है.

हीरा खदान के पीछे का काला सच

इस गांव में 80 फीसदी विधवाएं
पन्ना से महज 8 किलोमीटर दूर मनोहर गांव में 80 फीसदी से अधिक विधवाएं हैं, क्योंकि यहां के पुरुष बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के पत्थर खदानों में मजदूरी किया करते थे. जिस कारण उन्हें सिलिकोसिस और टीवी की बीमारी होने लगी और धीरे-धीरे उनकी मौत होने लगी.

कई मजदूरों की हो चुकी है मौत
पृथ्वी ट्रस्ट के संचालक और पत्थर खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष युसूफ बेग बताते है कि उनकी संस्था ने एक सर्वे किया है जिसमें 162 मजदूरों को सिलिकोसिस बीमारी की पुष्टि हुई है. वहीं सरकारी आंकड़ों में ऐसे बीमारों की संख्या महज 39 है. इतना ही नहीं 39 मरीजों में से 5 मजदूरों की मौत हो गई जिसके बाद सरकार ने खानापूर्ति करते हुए 3-3 लाख रुपए की सहायता कर दी, वहीं 12 ऐसे मजदूर हैं जिनकी मौत के बाद भी उनके परिजनों को कोई मुआवजा नहीं मिला है. बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर सरकार इन मजदूरों की ओर ध्यान कब देगी

पन्ना। ये जिला यूं तो हीरे के लिए पूरी दूनिया में मशहूर है. लेकिन इन हीरों को निकालने वाले और पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. सबसे खतरनाक बीमारी है सिलिकोसिस, इस दमघुटने वाली बीमारी से मजदूर तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि इस बीमारी की पहचान और जांच की कोई भी सुविधा पन्ना में मौजूद नहीं हैं. यहां तक की इस बीमारी के लिए कोई प्रशिक्षित डॉक्टर भी नहीं है, जिसकी वजह से ये समस्या और भी गंभीर हो जाती है.

हीरा खदान के पीछे का काला सच

इस गांव में 80 फीसदी विधवाएं
पन्ना से महज 8 किलोमीटर दूर मनोहर गांव में 80 फीसदी से अधिक विधवाएं हैं, क्योंकि यहां के पुरुष बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के पत्थर खदानों में मजदूरी किया करते थे. जिस कारण उन्हें सिलिकोसिस और टीवी की बीमारी होने लगी और धीरे-धीरे उनकी मौत होने लगी.

कई मजदूरों की हो चुकी है मौत
पृथ्वी ट्रस्ट के संचालक और पत्थर खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष युसूफ बेग बताते है कि उनकी संस्था ने एक सर्वे किया है जिसमें 162 मजदूरों को सिलिकोसिस बीमारी की पुष्टि हुई है. वहीं सरकारी आंकड़ों में ऐसे बीमारों की संख्या महज 39 है. इतना ही नहीं 39 मरीजों में से 5 मजदूरों की मौत हो गई जिसके बाद सरकार ने खानापूर्ति करते हुए 3-3 लाख रुपए की सहायता कर दी, वहीं 12 ऐसे मजदूर हैं जिनकी मौत के बाद भी उनके परिजनों को कोई मुआवजा नहीं मिला है. बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर सरकार इन मजदूरों की ओर ध्यान कब देगी

Intro:पन्ना।
एंकर :- पन्ना जिला यूं तो हीरे के लिए विख्यात है लेकिन इन हीरो को निकालने वाले मजदूर और पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर दमघोटू बीमारी सिलिकोसिष से तिल-तिल कर मरने को मजबूर है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिले की हीरा और पत्थर खदानों में काम करने वाले सैकड़ो मजदूरों में सिलिकोसिस की बीमारी होने के बाद भी जिले में बीमारी की पहचान करने वाले उपकरण और जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है।



Body:उक्त बीमारी का इलाज करने के लिए यहां कोई प्रशिक्षित डॉक्टर तक नहीं है मजदूरों द्वारा की गई हार तोड़ मेहनत के दम पर निकलने वाले पत्थर और हीरे के ठेकेदार तो मालामाल हो रहे हैं लेकिन दो वक्त की रोटी कमाने वाले यह गरीब मजदूर तिल तिल कर मरने को मजबूर है आपको बता दें कि पन्ना से महज 8 किलोमीटर दूर एक गांव है मनोहर जहां पर 80% से भी अधिक महिलाएं विधवा हैं कारण वहां के पुरुष बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के पत्थर खदानों में मजदूरी किया करते थे जिस कारण से उन्हें सिलिकोसिस और टीवी की बीमारी होने लगी और लगातार गांव में पुरुषों की मौतें होने लगी।Conclusion:पृथ्वी ट्रस्ट के संचालक और पत्थर खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष युसूफ बेग की मानें तो उनकी संस्था के द्वारा सर्वे में वर्तमान में 162 मजदूरों को सिलिकोसिस की बीमारी से चिन्हित किया गया था वहीं सरकार द्वारा कराए गए सर्वे में 39 मजदूर सिलिकोसिस से पीड़ित पाए गए जिसमें चिन्हित 5 मजदूरों की मौत होने के बाद सरकार ने उन्हें तीन 3-3 लाख की सहायता राशि भी प्रदान की थी लेकिन अभी भी 12 मजदूर ऐसे हैं जिनकी मौत होने के बाद भी उनके परिवार वालों को कोई भी मुआवजा नहीं मिला है पन्ना में सिलिकोसिस की बीमारी के उपचार के लिए पूर्व में पदस्थ रहे डॉक्टर सुधाकर पांडे को मलेशिया में प्रशिक्षण दिलाया गया था लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते उनका स्थानांतरण कर दिया गया और मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया जिले में हीरा और पत्थर की खदानों में काम करने वाले हजारों मजदूर सिलिकोसिस की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं जो एक चिंता का विषय है।
बाईट :- 1 मंझली बाई (विधवा महिला)
बाईट :- 2 यूसुफ बेग (अध्यक्ष पत्थर खदान मजदूर संघ)
बाईट :- 3 रामौतार (समाजसेवी)
बाईट :- 4 डॉ. एल.के. तिवारी (सीएमएचओ)
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