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सेहत का खजाना है पोषण वाटिका, यहां जैविक खाद से हो रहा सब्जियों का उत्पादन

रसायनों के अवैज्ञानिक उपयोग के कारण हमारा भोजन रासायनिक रूप से जहरीला होता है और घातक बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है. जिससे बचाव के लिए सुरक्षित भोजन पर जोर दिया जा रहा है. निवाड़ी जिले के ग्राम नामापुरा में जैविक खाद का उपयोग कर पोषण वाटिका में सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है.

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सेहत का खजाना है पोषण वाटिका
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Published : Oct 12, 2020, 10:01 AM IST

Updated : Oct 12, 2020, 12:57 PM IST

निवाड़ी। फलों और सब्जी की खेती में रसायन के उपयोग से बिमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है. जहां शहरों में अब घर-घर में किचन गार्डन तैयार किया जा रहा है. इस किचन गार्डन को पोषण वाटिका भी कहा जाता है. जिसमें बिना केमिकल की साग-सब्जियां घरों में ही उगाई जाती है. निवाड़ी जिले के ग्राम नामापुरा में भी शहरी किचन गार्डन की तर्ज पर पोषण वाटिका बनाई जा रही है. जिसमें जैविक खाद डालकर इसको शुद्ध तरीके से सब्जियां उगाई जा रही है. जैविक खाद से जमीन को भी पोषण दिया जा रहा है. पोषण वाटिका में सात खंड बनाकर हफ्ते के सात दिन के लिए सब्जी लगाई जा रही है. जिसके लिए गोबर और गोमूत्र को मिलाकर जैविक खाद तैयार कर सब्जियों को पोषण दिया जा रहा है.

आज के दौर में अच्छी फसल के लिए किसान रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं, जिसकी जमीन को भी आदत पड़ चुकी है. लेकिन इससे फल और सब्जियां अपना पोषण खो देती हैं. जिससे बचाव के लिए जैविक खेती ही एक तरीका है. जैविक खाद के उपयोग से मनुष्य के शरीर के साथ-साथ जमीन को भरपूर मात्रा में पोषण मिलता है. जिसके लिए किचन गार्डन नामक पैटर्न तैयार किया गया है. जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण वाटिका कहा जाता है.

पोषण से भरपूर सात खंड

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पोषण से भरपूर सात खंड

पोषण वाटिका को कम जमीन में बनाया जाता है. जिसमें सात प्रकार के खंड तैयार किए जाते हैं. इन सात खंडों को सर्क्यूलर फॉर्म में सप्ताह के सात दिनों के आधार पर बनाया जाता है. जिसके हर एक खंड में सात दिन में सात प्रकार की सब्जी लगाई जाती है. इन खंडों में आकार के हिसाब से सब्जी लगाई जाती है. जिसमें पहले खंड में छोटे आकार की या पत्तेदार सब्जी और आखिरी खंड में बड़ी झाड़ियों वाली सब्जियां लगाई जाती हैं. इस तरह सप्ताह के सात दिन सात प्रकार की सब्जी का पोषण मिलता है. सब्जी लगाने के इस पैटर्न से सूरज की किरणें भी सब्जी की जरूरत के हिसाब से पहुंचती हैं.

गोबर और गोमूत्र की जैविक खाद

गोबर और गोमूत्र की जैविक खाद

निवाड़ी जिले के नामापुरा ग्राम में पोषण वाटिका में उपयोग की जाने वाली जैविक खाद को घंजीवा अमृत कहा जाता है. घंजीवा अमृत को बनाने के लिए 5-7 दिन पुराना एक क्विंटल गोबर फर्श पर फैलाया जाता है, एक किलो गुड़ और दो किलो बेसन का घोल बनाकर गोबर पर छिड़काव किया जाता है. जिसके बाद गोबर के उपले बनाकर सुखाया जाता है. इस बात का ध्यान रखा जाता है कि गोबर के उपलों को छांव में सुखाया जाए. उपलों के सूखने के बाद उसे मसलकर बोरी में बंद करके रख दिया जाता है. जिसका समय-समय पर पोषण वाटिका पर छिड़काव किया जाता है. साथ ही गोमुत्र को इकट्टा कर जीवामृत तैयार किया जाता है. जिसका उपयोग जैविक खेती में होता है.

निवाड़ी। फलों और सब्जी की खेती में रसायन के उपयोग से बिमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है. जहां शहरों में अब घर-घर में किचन गार्डन तैयार किया जा रहा है. इस किचन गार्डन को पोषण वाटिका भी कहा जाता है. जिसमें बिना केमिकल की साग-सब्जियां घरों में ही उगाई जाती है. निवाड़ी जिले के ग्राम नामापुरा में भी शहरी किचन गार्डन की तर्ज पर पोषण वाटिका बनाई जा रही है. जिसमें जैविक खाद डालकर इसको शुद्ध तरीके से सब्जियां उगाई जा रही है. जैविक खाद से जमीन को भी पोषण दिया जा रहा है. पोषण वाटिका में सात खंड बनाकर हफ्ते के सात दिन के लिए सब्जी लगाई जा रही है. जिसके लिए गोबर और गोमूत्र को मिलाकर जैविक खाद तैयार कर सब्जियों को पोषण दिया जा रहा है.

आज के दौर में अच्छी फसल के लिए किसान रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं, जिसकी जमीन को भी आदत पड़ चुकी है. लेकिन इससे फल और सब्जियां अपना पोषण खो देती हैं. जिससे बचाव के लिए जैविक खेती ही एक तरीका है. जैविक खाद के उपयोग से मनुष्य के शरीर के साथ-साथ जमीन को भरपूर मात्रा में पोषण मिलता है. जिसके लिए किचन गार्डन नामक पैटर्न तैयार किया गया है. जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण वाटिका कहा जाता है.

पोषण से भरपूर सात खंड

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पोषण से भरपूर सात खंड

पोषण वाटिका को कम जमीन में बनाया जाता है. जिसमें सात प्रकार के खंड तैयार किए जाते हैं. इन सात खंडों को सर्क्यूलर फॉर्म में सप्ताह के सात दिनों के आधार पर बनाया जाता है. जिसके हर एक खंड में सात दिन में सात प्रकार की सब्जी लगाई जाती है. इन खंडों में आकार के हिसाब से सब्जी लगाई जाती है. जिसमें पहले खंड में छोटे आकार की या पत्तेदार सब्जी और आखिरी खंड में बड़ी झाड़ियों वाली सब्जियां लगाई जाती हैं. इस तरह सप्ताह के सात दिन सात प्रकार की सब्जी का पोषण मिलता है. सब्जी लगाने के इस पैटर्न से सूरज की किरणें भी सब्जी की जरूरत के हिसाब से पहुंचती हैं.

गोबर और गोमूत्र की जैविक खाद

गोबर और गोमूत्र की जैविक खाद

निवाड़ी जिले के नामापुरा ग्राम में पोषण वाटिका में उपयोग की जाने वाली जैविक खाद को घंजीवा अमृत कहा जाता है. घंजीवा अमृत को बनाने के लिए 5-7 दिन पुराना एक क्विंटल गोबर फर्श पर फैलाया जाता है, एक किलो गुड़ और दो किलो बेसन का घोल बनाकर गोबर पर छिड़काव किया जाता है. जिसके बाद गोबर के उपले बनाकर सुखाया जाता है. इस बात का ध्यान रखा जाता है कि गोबर के उपलों को छांव में सुखाया जाए. उपलों के सूखने के बाद उसे मसलकर बोरी में बंद करके रख दिया जाता है. जिसका समय-समय पर पोषण वाटिका पर छिड़काव किया जाता है. साथ ही गोमुत्र को इकट्टा कर जीवामृत तैयार किया जाता है. जिसका उपयोग जैविक खेती में होता है.

Last Updated : Oct 12, 2020, 12:57 PM IST
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