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बाजारों में आने को तैयार मिट्टी के दीपक, क्या इस दीपावली पर रोशन होंगे कुम्हारों के घर - Clay lamp

दिवाली का त्योहार पास आ रहा है, ऐसे में घरों को रोशन करने के लिए बाजारों में दीयों का आना शुरु हो गया है. हालांकि इस बार चीन से सीमा विवाद को लेकर देशभर में चीन के सामानों का विरोध हो रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि क्या इस बार की दिवाली वाकई कुम्हारों के घरों में रोशनी ला पाएगी.

Deepawali and earthen lamp
दिपावली और दीए
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Published : Nov 5, 2020, 10:21 PM IST

निवाड़ी। लोगों के जीवन में रोशनी भरने वाला दीपावली का त्योहार नजदीक है. निवाड़ी जिले के ढिमरपुरा मजरा गांव में दीपक बनाने वाले दशरथ प्रजापति दीपावली पर दूसरों के घरों को रोशन करने के लिए दीपक बनाते हैं. उनका कहना है कि चीन के चकाचौंध वाले सामान के आगे दीपकों की चमक और बिक्री दोनों ही कम हो गई है. उनके मुताबिक जितनी लागत दीपक बनाने एवं घड़े बनाने में लगती है उसके हिसाब से उतनी कमाई नहीं हो पाती है लेकिन पुश्तैनी काम है इसलिए यह काम करते हैं.

क्या इस बार रोशन होंगे कु्म्हारों के घर

दीय बनाने के लिए लेनी पड़ती हर चीज मोल

इन लोगों को किसी भी प्रकार की शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, ना ही यहां पर दीए और घड़े बनाने वाले लोगों को मिट्टी निकालने के लिए सरकारी जमीन दी गई है. जिस कारण दीपक एवं घड़ी बनाने के लिए मिट्टी से लेकर लकड़ी एवं गोबर के कंडे तक खरीदकर इन सब को पकाना पड़ता है जिस कारण लागत ज्यादा आती है और फायदा कम रह जाता है.

Potter Dasharatha Prajapati
कुम्हार दशरथ प्रजापति

बाजार में आने के लिए तैयार चार हजार दीय

कुम्हार दशरथ प्रजापति बताते हैं कि वो इन दीयों को काफी मेहनत से बनाते हैं. वो बताते हैं कि चार सौ रुपये वह कंडे खरीदते हैं. उन्होंने कहा कि 100 दीयों को बनाने में 100 रुपये का खर्चा आता है. दशरथ प्रजापति ने कहा कि चीन की झालरों ने कारण देसी दीयों की मिट्टी ही कुठ दी है. उनके मुताबिक दिपावली पर कोई ठोस पैमाना नहीं रहता है कि दीयों की ब्रिकी बढ़ेगी या कम होगी. दिपावली से पहले दशरत प्रजापति ने चार हजार के आसपास दीए तैयार कर लिए हैं. वो यह भी कहते हैं कि उन्हें सरकार की ओर से एक भी रुपये का लाभ नहीं दिया जाता है.

Cook lamps on the heat
आंच पर पकते दीये

पीढ़ी-दर-पीढ़ी कार्य

निवाड़ी जिले के ढिमरपुरा मजरा गांव के कुम्हार समाज के कई परिवारों द्वारा दीपावली पर्व पर परम्परा स्वरूप मिट्टी के दीए बनाने का काम आज भी जारी है. हालांकि, महंगाई और चाइनीज दीयों के चलन ने वतन की माटी से तैयार होने वाले इन दीयों की चमक को फीकी करने की कोशिश जरूर की है. लेकिन, इन सब के बीच आज भी शंकर लाल प्रजापत का पूरा परिवार इस बड़े त्योहार दीपावली के लिए व्यापक मात्रा में मिट्टी के दीये तैयार किए जा रहा है.

निवाड़ी। लोगों के जीवन में रोशनी भरने वाला दीपावली का त्योहार नजदीक है. निवाड़ी जिले के ढिमरपुरा मजरा गांव में दीपक बनाने वाले दशरथ प्रजापति दीपावली पर दूसरों के घरों को रोशन करने के लिए दीपक बनाते हैं. उनका कहना है कि चीन के चकाचौंध वाले सामान के आगे दीपकों की चमक और बिक्री दोनों ही कम हो गई है. उनके मुताबिक जितनी लागत दीपक बनाने एवं घड़े बनाने में लगती है उसके हिसाब से उतनी कमाई नहीं हो पाती है लेकिन पुश्तैनी काम है इसलिए यह काम करते हैं.

क्या इस बार रोशन होंगे कु्म्हारों के घर

दीय बनाने के लिए लेनी पड़ती हर चीज मोल

इन लोगों को किसी भी प्रकार की शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, ना ही यहां पर दीए और घड़े बनाने वाले लोगों को मिट्टी निकालने के लिए सरकारी जमीन दी गई है. जिस कारण दीपक एवं घड़ी बनाने के लिए मिट्टी से लेकर लकड़ी एवं गोबर के कंडे तक खरीदकर इन सब को पकाना पड़ता है जिस कारण लागत ज्यादा आती है और फायदा कम रह जाता है.

Potter Dasharatha Prajapati
कुम्हार दशरथ प्रजापति

बाजार में आने के लिए तैयार चार हजार दीय

कुम्हार दशरथ प्रजापति बताते हैं कि वो इन दीयों को काफी मेहनत से बनाते हैं. वो बताते हैं कि चार सौ रुपये वह कंडे खरीदते हैं. उन्होंने कहा कि 100 दीयों को बनाने में 100 रुपये का खर्चा आता है. दशरथ प्रजापति ने कहा कि चीन की झालरों ने कारण देसी दीयों की मिट्टी ही कुठ दी है. उनके मुताबिक दिपावली पर कोई ठोस पैमाना नहीं रहता है कि दीयों की ब्रिकी बढ़ेगी या कम होगी. दिपावली से पहले दशरत प्रजापति ने चार हजार के आसपास दीए तैयार कर लिए हैं. वो यह भी कहते हैं कि उन्हें सरकार की ओर से एक भी रुपये का लाभ नहीं दिया जाता है.

Cook lamps on the heat
आंच पर पकते दीये

पीढ़ी-दर-पीढ़ी कार्य

निवाड़ी जिले के ढिमरपुरा मजरा गांव के कुम्हार समाज के कई परिवारों द्वारा दीपावली पर्व पर परम्परा स्वरूप मिट्टी के दीए बनाने का काम आज भी जारी है. हालांकि, महंगाई और चाइनीज दीयों के चलन ने वतन की माटी से तैयार होने वाले इन दीयों की चमक को फीकी करने की कोशिश जरूर की है. लेकिन, इन सब के बीच आज भी शंकर लाल प्रजापत का पूरा परिवार इस बड़े त्योहार दीपावली के लिए व्यापक मात्रा में मिट्टी के दीये तैयार किए जा रहा है.

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