नीमच। जिले के ग्वालटोली में अखाड़े के उस्ताद रहे एक बुजुर्ग की अनोखी अंतिम यात्रा निकाली गई. जहां बुजुर्ग के शिष्यों ने सम्मानपूर्वक ढोल नगाड़ों, लेजम ताशों और ढोल की थाप पर करतब दिखाते हुए अपने गुरू की अंतिम यात्रा निकाली. पहलवान के शिष्यों का कहना है, कि जिस तरह लोहे को आग में तपा कर शीशा तैयार किया जाता है, उसी तरह उनके गुरू तेजाराम ने अपने शिष्यों को तैयार किया था.
नीमच के उपनगर ग्वालटोली की गंगा दीन व्यायामशाला के अखाड़े के उस्ताद रहे 85 वर्षीय तेजाराम कुमिया बरसों से अखाड़े में अपनी निस्वार्थ भाव से सेवाएं दे रहे थे. उन्होंने कई पीढ़ियों को नए-नए दांव पेंच लड़ाई, कलाबाजी के अनेक गुर बच्चों और युवाओं को सिखाए थे. उन्होंने अपने जीवन मे कई शिष्यों को तैयार किया है कई शिष्यों की तो तीसरी चौथी पीढ़ी तक को उन्होंने तैयार की है. वहीं तेजाराम के निधन होने की सूचना मिलते ही उनके शिष्यों ने उन्हें अंतिम सलामी देने का एक अनूठा निर्णय लिया.
शिष्यों ने तेजाराम के निवास से शमशान तक उनकी अंतिम यात्रा बड़ी ही धूमधाम से निकालने का निर्णय लिया. उनके अंतिम यात्रा में अखाड़ों में होने वाली सभी कला बाजियां व युद्ध कौशल, लड़ाई की तकनीकी का प्रयोग किया गया. उनके शिष्यों ने मंगलवार को अपने गुरु को अंतिम विदाई दी. वहीं इस निर्णय का सभी ने खुले दिल से स्वागत किया और इस शव यात्रा को देखकर रास्ते से गुजरने वाले राहगीर भी शिष्यों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाए.