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नीमच: ढोल नगाड़ों के साथ निकली अनूठी शव यात्रा, जगह जगह लोगों ने किया स्वागत

जिले के ग्वालटोली में अखाड़े के उस्ताद रहे एक बुजुर्ग की अनोखी अंतिम यात्रा निकाली गई. जहां बुजुर्ग के शिष्यों ने सम्मानपूर्वक ढोल नगाड़ों, लेजम ताशों और ढोल की थाप पर करतब दिखाते हुए अपने गुरू की अंतिम यात्रा निकाली.

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Published : Jun 11, 2019, 9:16 PM IST

ढोल नगाड़ों के साथ निकली अनूठी शव यात्रा

नीमच। जिले के ग्वालटोली में अखाड़े के उस्ताद रहे एक बुजुर्ग की अनोखी अंतिम यात्रा निकाली गई. जहां बुजुर्ग के शिष्यों ने सम्मानपूर्वक ढोल नगाड़ों, लेजम ताशों और ढोल की थाप पर करतब दिखाते हुए अपने गुरू की अंतिम यात्रा निकाली. पहलवान के शिष्यों का कहना है, कि जिस तरह लोहे को आग में तपा कर शीशा तैयार किया जाता है, उसी तरह उनके गुरू तेजाराम ने अपने शिष्यों को तैयार किया था.

ढोल नगाड़ों के साथ निकली अनूठी शव यात्रा

नीमच के उपनगर ग्वालटोली की गंगा दीन व्यायामशाला के अखाड़े के उस्ताद रहे 85 वर्षीय तेजाराम कुमिया बरसों से अखाड़े में अपनी निस्वार्थ भाव से सेवाएं दे रहे थे. उन्होंने कई पीढ़ियों को नए-नए दांव पेंच लड़ाई, कलाबाजी के अनेक गुर बच्चों और युवाओं को सिखाए थे. उन्होंने अपने जीवन मे कई शिष्यों को तैयार किया है कई शिष्यों की तो तीसरी चौथी पीढ़ी तक को उन्होंने तैयार की है. वहीं तेजाराम के निधन होने की सूचना मिलते ही उनके शिष्यों ने उन्हें अंतिम सलामी देने का एक अनूठा निर्णय लिया.

शिष्यों ने तेजाराम के निवास से शमशान तक उनकी अंतिम यात्रा बड़ी ही धूमधाम से निकालने का निर्णय लिया. उनके अंतिम यात्रा में अखाड़ों में होने वाली सभी कला बाजियां व युद्ध कौशल, लड़ाई की तकनीकी का प्रयोग किया गया. उनके शिष्यों ने मंगलवार को अपने गुरु को अंतिम विदाई दी. वहीं इस निर्णय का सभी ने खुले दिल से स्वागत किया और इस शव यात्रा को देखकर रास्ते से गुजरने वाले राहगीर भी शिष्यों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाए.

नीमच। जिले के ग्वालटोली में अखाड़े के उस्ताद रहे एक बुजुर्ग की अनोखी अंतिम यात्रा निकाली गई. जहां बुजुर्ग के शिष्यों ने सम्मानपूर्वक ढोल नगाड़ों, लेजम ताशों और ढोल की थाप पर करतब दिखाते हुए अपने गुरू की अंतिम यात्रा निकाली. पहलवान के शिष्यों का कहना है, कि जिस तरह लोहे को आग में तपा कर शीशा तैयार किया जाता है, उसी तरह उनके गुरू तेजाराम ने अपने शिष्यों को तैयार किया था.

ढोल नगाड़ों के साथ निकली अनूठी शव यात्रा

नीमच के उपनगर ग्वालटोली की गंगा दीन व्यायामशाला के अखाड़े के उस्ताद रहे 85 वर्षीय तेजाराम कुमिया बरसों से अखाड़े में अपनी निस्वार्थ भाव से सेवाएं दे रहे थे. उन्होंने कई पीढ़ियों को नए-नए दांव पेंच लड़ाई, कलाबाजी के अनेक गुर बच्चों और युवाओं को सिखाए थे. उन्होंने अपने जीवन मे कई शिष्यों को तैयार किया है कई शिष्यों की तो तीसरी चौथी पीढ़ी तक को उन्होंने तैयार की है. वहीं तेजाराम के निधन होने की सूचना मिलते ही उनके शिष्यों ने उन्हें अंतिम सलामी देने का एक अनूठा निर्णय लिया.

शिष्यों ने तेजाराम के निवास से शमशान तक उनकी अंतिम यात्रा बड़ी ही धूमधाम से निकालने का निर्णय लिया. उनके अंतिम यात्रा में अखाड़ों में होने वाली सभी कला बाजियां व युद्ध कौशल, लड़ाई की तकनीकी का प्रयोग किया गया. उनके शिष्यों ने मंगलवार को अपने गुरु को अंतिम विदाई दी. वहीं इस निर्णय का सभी ने खुले दिल से स्वागत किया और इस शव यात्रा को देखकर रास्ते से गुजरने वाले राहगीर भी शिष्यों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाए.

Intro:ढोल धमाके के साथ निकली अनूठी शव यात्रा ,जगह जगह लोगो ने किया स्वागत
मंगल कुशवाह मनासाBody:अनूठी शव यात्रा

नीमच। ढोल नगाड़े , लेजम ताशे, बजाते लोग । ढोल की थाप पर अखाड़े के करतब दिखाते युवा। यह किसी उत्सव या जुलूस का नजारा नहीं है यह एक बुजुर्ग तेजाराम की अंतिम यात्रा है । यह अंतिम यात्रा उस शख्स की हैं जिसने अपना सारा जीवन अपने शागिर्दों को अखाड़े में कलाबाजियां ओर युद्ध कौशल सीखने में समर्पित कर दिया था । नीमच के ग्वालटोली में रहने वाले 85 वर्षीय उस्ताद पहलवान तेजाराम कुमिया का निधन हो गया था। जब यह बात उनके शागिर्दों को पता चले तो पहले उन्हें बहुत अफसोस हुआ । मगर उन्होंने यह निर्णय लिया कि जिस ठसक के साथ उस्ताद तेजाराम ने अपने शागिर्द को पहलवानी कलाबाजी युद्ध कौशल के अखाड़े में गुर सिखये। आज अपने गुरु को अंतिम विदाई उन्ही की दी गई शिक्षा का प्रदर्शन करते हुए देने का निर्णय सभी शागिर्दों ने लिया। तेजाराम उस्ताद गंगादीन व्यायामशाला अखाड़े के उस्ताद रहे है। उन्होंने अपने जीवन मे कई शागिर्दों को तैयार किया है कई शागिर्द की तो तीसरी चौथी पीढ़ी तैयार की है।
नीमच के उपनगर ग्वालटोली की गंगा दीन व्यायामशाला के अखाड़े के उस्ताद रहे 85 वर्षीय तेजाराम कुमिया बरसों से अखाड़े में अपनी निस्वार्थ भाव से सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने कई पीढ़ियों को नए-नए दांवपेच लड़ाई कलाबाजी के अनेक गुर बच्चों और युवाओं को सिखाए थे। तेजाराम के शागिर्द उन्हें अंतिम सलामी देने का एक अनूठा निर्णय लिया जिसमें उन्होंने यह निर्णय लिया कि तेजाराम के निवास से शमशान तक उनकी अंतिम यात्रा बड़ी ही धूमधाम से निकाली जाएगी साथ ही अखाड़ों में होने वाली सभी कला बाजियां वह लड़ाई की तकनीकी का प्रयोग अपने उस्ताद के सामने करते हुए उन्हें उनकी अंतिम यात्रा के पड़ाव तक पहुंचाया जाएगा इस निर्णय का सभी ने खुले दिल से स्वागत किया और उनकी अंतिम यात्रा में गतिविधियां की गई इस शव यात्रा को देखकर रास्ते से गुजरने वाले राहगीर भी अपने आप को नहीं रोक पाए आज की उस्तादी की और उनके शागिर्द ओ की तारीफ किए बिना नहीं रह पाए नीमच के इन युवाओं ने अपने गुरु को इस तरह सलामी देखकर गुरु शिष्य परंपरा को नई ऊंचाइयां दी है

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