ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव): चैट जीपीटी हो, जैमिनी या चैटसोनिक जैसे एआई बेस्ड चैटबॉट्स लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एआई ने एक बूम लाया है और अब भारत भी अपना एआई मॉडल तैयार करने की ओर बढ़ गया है. मध्यप्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले रजत आर्य और उनके भाई चिराग आर्य इन दिनों मुंबई में रहकर इसरो यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ एक खास प्रोजेक्ट पर रिसर्च कर रहे हैं. ये अनुसंधान भारत के पहले एआई मॉडल '169pie' पर किया जा रहा है. जिसे इन्हीं दोनों भाइयों ने मिलकर तैयार किया है. उनकी इस उपलब्धि को फोर्ब्स ने भी अपनी सूची में शामिल किया है.
विदेशों पर डिपेंडेंसी हटाने के विचार ने किया इंस्पायर
ईटीवी भारत से बातचीत में स्वदेशी आई मॉडल डेवलप करने वाले रजत आर्य ने बताया कि "हमेशा से ही यह बात खटकती थी कि, भारत का अपना कोई एआई मॉडल नहीं है. हमारी डिपेंडेंसी विदेशों के एआई मॉडल्स पर ज्यादा है. इस बात से इंस्पिरेशन मिली कि हमे विदेशों पर डिपेंडेंसी हटानी है. आज के समय में हमारे फोन तक में जितने भी ऐप्स हैं वो भी विदेशी कंट्रीज की हैं. हमारा खुद का कोई प्लेटफॉर्म है ही नहीं. यही डिपेंडेंसी कम करने का प्रयास है की भविष्य में अगर जरूरत पड़े तो इस फील्ड में किसी दूसरे देश पर हम निर्भर ना हों.''
कैसे काम करता है 169pie.ai?
असल में रजत और उनके छोटे भाई चिराग ने जो एआई मॉडल तैयार किया है वह एक एजुकेशन बेस्ड मॉडल है. जो एनसीआरटी किताबों की मदद से इकट्ठा किया डेटा छात्रों को उपलब्ध कराता है. हालांकि अभी यह वेब बेस्ड एआई प्रोग्राम है, और जल्द ही इसका ऐप भी लॉन्च हो सकता है.
कैसे मददगार बनेगा आर्य बंधुओं का स्वदेशी एआई?
169pie.ai के फाउंडर रजत आर्य ने बताया कि, ''एआई को लोगों ने लग्जरी मान लिया है, जबकि इसे सबके लिए होना चाहिए. एक किसान से लेकर आम आदमी को भी इसका उपयोग करना चाहिए. क्योंकि यह आपका काम आसान कर सकता है. हमारा एआई मॉडल विदेशी एआई मॉडल्स की तरह चार्जेबल नहीं है इसे सभी के लिए मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है." रजत ने यह भी कहा कि, ''8वीं से 12वीं तक के छात्रों को स्टडी मैटेरियल फ्री में मिलेगा.''
169pie.ai नाम के पीछे क्या है कहानी?
रजत आर्य ने ईटीवी भारत को बताया, ''अपने स्टार्टअप के लिए यह नाम उन्होंने गणित की संख्या 13 के स्क्वेयर और मैथ के स्थिरांक Pi से इंस्पायर होकर चुना था. क्योंकि यह चक्र (सर्कल) की परिधि और व्यास का अनुपात है.''
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कैसे तय किया इसरो का सफर
भारत के किसी भी युवा के लिए आज के समय में इसरो के साथ जुड़ना बड़ी बात होती है, और ग्वालियर के रजत और चिराग आर्य ने यह उपलब्धि अपने ज्ञान और मेहनत से हासिल की. रजत ने बताया कि, ''सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद उन्होंने गवर्मेंट और गवर्मेंट एजेंसी के लिए कई प्रोजेक्ट किए. उनके द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर इन एजेंसियों के मापदंडों पर खरे उतरे. क्योंकि गवर्मेंट एजेंसी में प्राइवेसी और सिक्योरिटी बहुत ही अहम मापदंड हैं. दूसरे देशों के सॉफ्टवेयर और कहीं न कहीं डेटा लीक होने का खतरा होता है. लेकिन उनके द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट पूरी तरह सुरक्षित हैं और यह पूरी तरह की प्राइवेसी का पालन करते हैं. इसी बात का फायदा मिला और आज उनका बनाया एआई मॉडल इसरो में रिसर्च का विषय है. जिस पर लगातार काम किया जा रहा है.''
फोर्ब्स ने टॉप 30 भारतीय सूची में किया शामिल
रजत और चिराग दोनों भाइयों की उपलब्धि उनकी मेहनत दर्शा रही है. देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत ही है जो आज ये दोनों भाई देश का गर्व माने जाने वाली स्पेस एजेंसी के साथ काम कर रहे हैं. इसके अलावा बिहार गवर्मेंट के साथ भी वे प्रोजेक्ट कर रहे हैं. उनके कदम अब सफलता की ओर बढ़ रहे हैं. क्योंकि देश के पहले एआई मॉडल बनाने वाले डेवलपर बन गए हैं. उन्हें फोर्ब्स ने 30 भारतीयों की सूची में शामिल किया है.