नीमच। एनडीपीएस एक्ट के मामलों को लेकर काली कमाई के लालच में लगातार पुलिस पर फर्जी मामले दर्ज करने के आरोप लगते आ रहे हैं. एनडीपीएस के एक मामले को लोक अभियोजन ने भी पुलिस की कार्रवाई को दागदार बताया है. पुलिस के द्वारा आरोपियों को फायदा पहुंचाने के लिए किस प्रकार लापरवाही किया जा रहा है. कोर्ट के बिना अनुमति के ही अनुसंधान के दौरान आरोपियों को मुक्त किया जा रहा है. एनडीपीएस कोर्ट ने गंभीर लापरवाही मानते हुए नीमच एसपी को 7 दिन में कार्रवाई कर कोर्ट में सौंपने के आदेश दिए हैं.
पुलिस की जांच में यह घालमेल
प्रकरण में चार बदमाश का नाम सामने आया है. उक्त बयान अभिलेख से गायब होने पर दोषी पुलिस के खिलाफ कार्रवाई कर प्रतिवेदन अदालत में दाखिल करने के लिए एसपी को आदेशित किया गया है. कोर्ट ने पुलिस द्वारा अपनाही प्रक्रिया जिसमें केस डायरी के माध्यम से ही मनमर्जी अनुसार संदेहीयू के खिलाफ केस को बिना कोर्ट की मंजूरी कर उसे गैरकानूनी करार देते हुए निर्णय में उक्त पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए लेख किया है कि यदि किसी मामले के जांच में पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलता है, तो ऐसे मामले में पुलिस खात्मा रिपोर्ट के अंतर्गत धारा 169 दंड प्रक्रिया संहिता लगाती है.
अभियुक्त के खिलाफ किए गए अनुसंधान का ब्यौरा और सामग्री होती है. पुलिस का कानूनी कार्य है कि वह किसी भी अपराध की जांच करें. पुलिस का विशेषाधिकार है कि मामले में हस्तक्षेप भी नहीं किया जाना चाहिए. पुलिस के मुताबिक जांच नहीं की जाती है, तो न्यायालय यह देखते हुए जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता है कि जांच पुलिस का विशेषअधिकार है. कोर्ट ने आगे कहा कि यदि पेश किए गए दस्तावेज में कोर्ट संतुष्ट हो जाता है कि पुलिस ने मामले में सही जांच नहीं की, तो यह कोर्ट का दायित्व है कि मामले में कानून के मुताबिक जांच सुनिश्चित करें .
मेमो के साथ आरोपी के नाम व पते भी बदले
मामले की जांच दो थाना प्रभारी को करने के बाद भी पुलिस के द्वारा मेमो में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. इससे यह तो प्रतीत हो गया है कि पुलिस के द्वारा तस्करों को बचाया जा रहा है और बेगुनाह को फंसाया जा रहा है. पुलिस के द्वारा 28 किलो अफीम के साथ गिरफ्तार आरोपियों के साथियों को बचाने का बड़ा मामला सामने आया है. जादू थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह ठाकुर नीमच सिटी राजेश चौहान जीरन थाना प्रभारी कि जांचकर्ताओं ने आरोपी धारा- 27 का मेमो 11 सितंबर 2020 को कथन दिया और लिया गया. इसमें बबलू ने 4 के नाम और पते बताए थे. जांच के दौरान मेमो पर कोर्ट द्वारा मोहर लगाई जा चुकी थी.
बाद में चालन डायरी में मेमो गायब मिला तो अभियोजन अधिकारी ने अनियमितता को लेकर आवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया 11 सितंबर 2020 को लिया गया मेमो गायब और उसकी जगह दूसरा मेमो 13 सितंबर 2020 का बबलू द्वारा सात आरोपियों के नाम बताए गए. 3 आरोपियों के नाम वही थे जो पुराने मेमो में थे मगर इस बार पते बदले थे. साथ ही सभी को भगोड़े बताया गया और मात्र बबलू के खिलाफ चालान पेश किया गया. पुलिस के द्वारा बिना न्यायालय अनुमति के ही कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया है.
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कब तक पुलिस की वर्दी दागदार होती रहेगी
नीमच में लगातार पुलिस के वर्दी दागदार हो रही है. लोक अभियोजन मनीष जोशी की पहल से क्षेत्र में एनडीपीएस एक्ट के केस में पुलिस कर्मी द्वारा अंधी और मोटी कमाई के लालच में की जा रही हद दर्जे अवैधानिक गतिविधियों का पर्दाफाश करने वाले इस मामले में न्यायाधीश विवेक कुमार ने इस केस की जांच की प्रक्रिया को गैरकानूनी करार देते हुए पुलिस अधीक्षक विधि सम्मत ढंग से जांच के आदेश भी दिए. साथ ही दस्तावेज से अभिलेख गायब होने के लिए दोषी पुलिस के विरुद्ध कार्रवाई कर प्रतिवेदन अदालत कोर्ट में रखने के निर्देश दिए.