नीमच। भाजपा के किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष बलवंत दास बैरागी ने सरकारी तंत्र से परेशान होकर दो दिन पहले जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद एक सुसाइड नोट भी किसान के जेब में मिला था, जिसमें किसान ने लिखा था कि "कुएं और रास्ता रोकने जमीन पर गोपाल दास, लाल दास, सुनीता, जसोदा बाई पति मोहनदास गुलाब गप्पू आदि ने कब्जा कर रखा है, और न्यायालय द्वारा पक्ष में फैसला देने के बाद भी पटवारी, आरआई सहित अन्य अधिकारी समस्या का समाधान करने की जगह परेशान कर रहे हैं, मेरे बेटे को एनडीपीएस में फंसाने की धमकी दी जा रही है''.
मरने के बाद परिवार को परेशान ना किया जाए: इस घटना के बाद अब कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिसमें बैरागी ने यह बात एक बार फिर दोहराई और कहा कि ''मैं मरना नहीं चाहता था. मगर मैं बहुत परेशान हो गया हूं, बहुत पैसा खर्च हो चुका है. मैंने भाजपा के सभी पदाधिकारी को भी बताया है और अब लोग मुझे कहते हैं की भाजपा का नेता होने के बाद भी तेरा काम नहीं हो रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि जमीन के नामांतरण को लेकर वे विधायक, भाजपा के जिलाध्यक्ष सहित तमाम नेताओं के सामने हाथ जोड़ चुके हैं. पटवारी और गिरदावर को नामांतरण के लिए रुपये भी दिए, बावजूद उनका काम नहीं हुआ. इसीलिए मैं यह दुनिया छोड़कर जा रहा हूं, मेरा प्रशासन से निवेदन है कि कभी हो जाए तो काम करवा देना, नहीं तो कोई बात नहीं, मेरे बाद मेरे परिवार को परेशान नहीं किया जाए''.
पटवारी 2017 में छात्र को मारी थी गोली: अब तक शासन और प्रशासन पर आरोप लगते हैं और शिकायत नहीं होती है, लेकिन पहली बार देखने को मिला है कि समस्या का निराकरण नहीं होने के चलते भाजपा किसान मोर्चा के मंडल उपाध्यक्ष को जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा है. मामले में सुसाइड नोट के आधार पर पटवारी और आरआई को तो निलंबित कर दिया गया है. वहीं पूरे मामले में सामने आया है कि जिस पटवारी के द्वारा मृतक को परेशान किया जा रहा था उस पटवारी ने 2017 में छात्र संघ चुनाव के दौरान एक छात्र को भी गोली मार दी थी, पटवारी एक बार फिर किसान की मौत का हत्यारा बन गया है.
11 वीडियो हुए वायरल, सभी में चौंकाने वाला सच: बलवंत दास सुसाइड केस के बाद कुल 11 वीडियो वायरल हुए हैं. इन 11 वीडियो में बलवंत दास ने भूमि नामांतरण को लेकर आ रही परेशानी का जिक्र करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों सहित परिवार के गोपाल दास, लाला दास, सुनिता, जसोदा बाई पति मोहनदास, गुलाब सिंह, गट्टू सिंह व बलबहादुर सहित अन्य परिजनों पर आरोप लगाया है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि मैंने कई बार नामांतरण के लिए भाजपा के विधायक, जिलाध्यक्ष सहित तमाम जनप्रतिनिधियों के सामने गुहार लगाई. गिरदावर व पटवारी को 25-25 हजार रुपये भी दिए, लेकिन मेरे पक्ष में कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्टा मुझे लगातार एनडीपीएस एक्ट में फंसाने की धमकियां मिल रही है. मेरे केस में 3-3 तहसीलदार बदल गए हैं. तहसील कार्यालय जीरन के चक्कर काट-काटकर परेशान हो गया हूं. रविदास के कहने पर पटवारी रोज खेत पर आकर प्रताड़ित करता है.