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Neemuch News: कचोली स्कूल के प्रिंसिपल ने खेल मैदान को बना दिया खेत, बच्चों से शिक्षा की जगह करवाया जा रहा निंदाई गुड़ाई का काम

नीमच में कचोली स्कूल के प्रिंसिपल ने खेल मैदान को खेत मैदान बना दिया है. बच्चों को शिक्षा की जगह निंदाई गुड़ाई का काम करवाया जा रहा है. ग्रामीणों ने कचोली स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

kacholi school playground
नीमच में कचोली स्कूल के प्रिंसिपल ने खेल मैदान को बना दिया खेत
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Published : Jul 9, 2023, 4:13 PM IST

नीमच। प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर कई तरह की योजनाए बना रही है, ताकि बच्चे स्कूल में जाये पढ़ाई करे और देश के अच्छे नागरिक बने. मां बाप के अपने नौनिहालो को यह सोचकर स्कूल भेजते हैं कि शिक्षित होकर उनका व देश का नाम रोशन करेंगे. मगर मनासा तहसील के गांव कचोली के शासकीय माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्या को शायद सरकार ने इसलिए स्कूल में नियुक्त किया है ताकि वे स्कूल में पढ़ाई नहीं बल्कि खेती बाड़ी का ज्ञान गांव के बच्चों को सिखाये जो उन्हें पहले से ही विरासत में मिला है. इसलिए ही तो प्रिंसिपल ने स्कूल के खेल मैदान को खेत बना डाला. उन्हें बच्चों का भविष्य किताबों की जगह खेती बाड़ी में दिखाई दे रहा है. प्रिंसिपल ने खेल मैदान के करीब एक से डेढ़ बीघा हिस्से पर खेत बनाकर सोयाबीन ओर मक्का की फसल बुआई कर दी है. जो अब अंकुरित होकर छोटे छोटे पौधों का रूप ले चुकी है.

स्कूली बच्चों के परिजन नाराज: प्रिंसिपल द्वारा खेल मैदान को खेत में तबदील करने से ग्रामीण और बच्चों के परिजन नाराज है. जिसके चलते शनिवार शाम 5 बजे करीब उन्होंने स्कूल परिसर के बाहर नारेबाजी कर अपना विरोध प्रकट किया. उनका आरोप है कि प्राचार्य ने खेल मैदान को बर्बाद करने के बाद अब बच्चों को भविष्य को खेती के काम में लगाकर चौपट करने का बीड़ा उठा लिया है. तभी तो पढ़ाई लिखाई की जगह बच्चों से खेती करवाई जा रही है. ग्रामीणों की मानें तो मैदान की हकाई जुताई करने के बाद खेत बने मैदान में सोयाबीन और मक्का की फसल बोई गई है. जबकि प्रिंसिपल मैदान को उधेड़ कर वाटिका बनाने की बात कर रही है, जो किसी के गले नहीं उतर रहा. क्योंकि इस निर्णय के बारे में किसी को भी कानों कान खबर नहीं हुई.

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जांच के बाद होगी कार्रवाई: सवाल यह खड़ा होता है कि अगर वाटिका बनाई जा रही थी तो उसमें फल फूल के पौधो की जगह सोयाबीन और मक्का फसल क्यों बोई गई. स्कूल में बच्चों से पढ़ाई करवाने की जगह खेत में निदाई गुड़ाई क्यों करवाई जा रही है. स्कूल की प्राचार्य का कहना है कि "विद्यालय परिसर में बड़ी-बड़ी झाड़ियां और घास उग रही थी. बंजर पड़ी जमीन की हकाई जुताई करवाकर उसे नरम किया गया है. जिसमें पौधे लगाकर वाटिका तैयार की जाएगी. मनासा एसडीएम पवन बारिया का कहना है कि "उनके संज्ञान में मामला आया है. तहसीलदार को निर्देशित किया है कि, मौके पर पटवारी को भेजकर जांच करवाई जाएगी. जांच रिपोर्ट आने पर आगे नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी."

नीमच। प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर कई तरह की योजनाए बना रही है, ताकि बच्चे स्कूल में जाये पढ़ाई करे और देश के अच्छे नागरिक बने. मां बाप के अपने नौनिहालो को यह सोचकर स्कूल भेजते हैं कि शिक्षित होकर उनका व देश का नाम रोशन करेंगे. मगर मनासा तहसील के गांव कचोली के शासकीय माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्या को शायद सरकार ने इसलिए स्कूल में नियुक्त किया है ताकि वे स्कूल में पढ़ाई नहीं बल्कि खेती बाड़ी का ज्ञान गांव के बच्चों को सिखाये जो उन्हें पहले से ही विरासत में मिला है. इसलिए ही तो प्रिंसिपल ने स्कूल के खेल मैदान को खेत बना डाला. उन्हें बच्चों का भविष्य किताबों की जगह खेती बाड़ी में दिखाई दे रहा है. प्रिंसिपल ने खेल मैदान के करीब एक से डेढ़ बीघा हिस्से पर खेत बनाकर सोयाबीन ओर मक्का की फसल बुआई कर दी है. जो अब अंकुरित होकर छोटे छोटे पौधों का रूप ले चुकी है.

स्कूली बच्चों के परिजन नाराज: प्रिंसिपल द्वारा खेल मैदान को खेत में तबदील करने से ग्रामीण और बच्चों के परिजन नाराज है. जिसके चलते शनिवार शाम 5 बजे करीब उन्होंने स्कूल परिसर के बाहर नारेबाजी कर अपना विरोध प्रकट किया. उनका आरोप है कि प्राचार्य ने खेल मैदान को बर्बाद करने के बाद अब बच्चों को भविष्य को खेती के काम में लगाकर चौपट करने का बीड़ा उठा लिया है. तभी तो पढ़ाई लिखाई की जगह बच्चों से खेती करवाई जा रही है. ग्रामीणों की मानें तो मैदान की हकाई जुताई करने के बाद खेत बने मैदान में सोयाबीन और मक्का की फसल बोई गई है. जबकि प्रिंसिपल मैदान को उधेड़ कर वाटिका बनाने की बात कर रही है, जो किसी के गले नहीं उतर रहा. क्योंकि इस निर्णय के बारे में किसी को भी कानों कान खबर नहीं हुई.

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