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मिशन चंद्रयान-2 का साक्षी बना किसान का बेटा, परिजनों को मिल रही बधाई

जिस चंद्रयान-2 की कामयाबी पर पूरी दुनिया भारत की तारीफ कर रही है. उस यान को चांद तक पहुंचाने में हजारों लोगों की मेहनत लगी है. मध्यप्रदेश के एक साधारण किसान का बेटा भी मिशन चंद्रयान-2 की कामयाबी का साक्षी रहा, जो इसरो में बतौर इंजीनियर तैनात है और मिशन चंद्रयान-2 की टीम का हिस्सा भी रहा.

विवेक पाटीदार
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Published : Jul 24, 2019, 7:58 PM IST

नीमच। एक दिन पहले 22 जुलाई को दोपहर 2.43 पर हिंदुस्तान का GSLV MK।।।-M1 व्हीकल चंद्रयान-2 को लेकर अंतरिक्ष की ओर जैसे ही निकला. भारत के दूसरी बार चांद पर कदम रखने की संभावना बेहद प्रबल हो गयी. भारत के मिशन चंद्रयान-2 की सफलता पर तमाम देशों ने बधाई दी, लेकिन इस सफलता पर बधाई के असली हकदार वो लोग हैं, जिनकी मेहनत की बदौलत भारत ने ये मुकाम हासिल किया है. जिनमें गांव से लेकर शहर तक और किसान से लेकर महिला तक की प्रमुख भूमिका रही. नीमच जिले के मनासा तहसील के देवरी खवासा गांव निवासी विवेक पाटीदार ने भी इस अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. जो इसरो में इंजीनियर पद पर तैनात हैं. विवेक के पिता बाबूलाल पाटीदार व माता मंजू बाई आज भी गांव में खेती करते हैं. बेटे की इस सफलता पर माता-पिता ने खुशी जताई है.

चंद्रयान-2 के साक्षी विवेक पाटीदार

चंद्रयान-2 की सफलता के साथ ही विवेक के गांव में भी जश्न शुरू हो गया था, विवेक के माता-पिता को लोगों ने उनके बेटे की सफलता पर बधाई दी. विवेक ने गांव के सरस्वती शिशु मंदिर से पढ़ाई शुरू की, फिर जवाहर नवोदय विद्यालय रामपुरा. और उसके बाद इंदौर से हायर सेकेंड्री की पढ़ाई की. इसके बाद आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर गुवाहाटी से इलेक्ट्रिकल से इंजीनियरिंग किया. फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र में बतौर वैज्ञानिक चयन हुआ. अब बेटे की कामयाबी पर माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे हैं तो गर्व से सीना भी चौड़ा हो गया है.

नीमच। एक दिन पहले 22 जुलाई को दोपहर 2.43 पर हिंदुस्तान का GSLV MK।।।-M1 व्हीकल चंद्रयान-2 को लेकर अंतरिक्ष की ओर जैसे ही निकला. भारत के दूसरी बार चांद पर कदम रखने की संभावना बेहद प्रबल हो गयी. भारत के मिशन चंद्रयान-2 की सफलता पर तमाम देशों ने बधाई दी, लेकिन इस सफलता पर बधाई के असली हकदार वो लोग हैं, जिनकी मेहनत की बदौलत भारत ने ये मुकाम हासिल किया है. जिनमें गांव से लेकर शहर तक और किसान से लेकर महिला तक की प्रमुख भूमिका रही. नीमच जिले के मनासा तहसील के देवरी खवासा गांव निवासी विवेक पाटीदार ने भी इस अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. जो इसरो में इंजीनियर पद पर तैनात हैं. विवेक के पिता बाबूलाल पाटीदार व माता मंजू बाई आज भी गांव में खेती करते हैं. बेटे की इस सफलता पर माता-पिता ने खुशी जताई है.

चंद्रयान-2 के साक्षी विवेक पाटीदार

चंद्रयान-2 की सफलता के साथ ही विवेक के गांव में भी जश्न शुरू हो गया था, विवेक के माता-पिता को लोगों ने उनके बेटे की सफलता पर बधाई दी. विवेक ने गांव के सरस्वती शिशु मंदिर से पढ़ाई शुरू की, फिर जवाहर नवोदय विद्यालय रामपुरा. और उसके बाद इंदौर से हायर सेकेंड्री की पढ़ाई की. इसके बाद आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर गुवाहाटी से इलेक्ट्रिकल से इंजीनियरिंग किया. फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र में बतौर वैज्ञानिक चयन हुआ. अब बेटे की कामयाबी पर माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे हैं तो गर्व से सीना भी चौड़ा हो गया है.

Intro:नीमच-किसान का बेटा बना वैज्ञानिक ,चंद्रायन -2 में निभाई अहम भूमिकाBody:नीमच

किसान का बेटा बना वैज्ञानिक चंद्रायन -2 में निभाई अहम भूमिका


भारत के अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि मिल गई चंदयान-2 की सफलतम लॉन्चिंग कर विश्व मैं इतिहास रचा दिया हे देश के गौरव के इस पल के साथ ही मध्यप्रदेश के नीमच जिले के मनासा तहसील के छोटे से गांव देवरी खवासा के रहने वाले विवेक पाटीदार ने भी अपनी भूमिका निभाई है जो इंजीनियर पद पर हैं इनके पिता बाबूलाल पाटीदार माता मंजू बाई है गांव में खेती करते हैं ओर सादरण जीवन यापन कर रहे विवेक इनका एकलौता पुत्र है वो ही देश की सेवा लगा दिया और विवेक के माता पिता को व ईस्ट मित्रो ने विवेको इसरो में अपना योगदान देना पर बधाई दी इनका पूरा परिवार देवरी खवासा मैं ही है विवेक ने सरस्वती शिशु मंदिर मैं पढ़ाई कर बाद में जवाहर नवोदय विद्यालय रामपुरा में अध्ययन किया उसके बाद इंदौर से हाई सेकेंडरी परीक्षा में आईआईटी की परीक्षा से उत्तीर्ण होकर गुवाहाटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करके अपने इच्छित लक्ष्य भारतीय अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक पद पर चयनित होकर माता-पिता व जिले का नाम रोशन किया वह इस मिशन में सहभागिता दी पिता बाबूलाल पाटीदार ने अपने पुत्र को बधाई दी व उज्ज्वल भविष्य की कामनाये की

जब चंद्रायन -2 की उड़ान टीवी पर देख रहे माता पिता व परिवार वालो को खुशी का ठिकाना नही रहा -खुशी में मारे आंखों से आंसू छलक उठे बाबुलाल जी ने अपने बेटे पर गर्व करते हुए

मेरे बेटे ने मेरा ही नही पूरे देश का नाम रोशन किया है Conclusion:
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