नीमच। अपने गुनाह को छुपाने के लिए खुद को मृत दिखाकर फर्जी दस्तावेज और फर्जी एनकाउंटर करने वाले आरोपी बंशीलाल गुर्जर को जिला सत्र न्यायाधीश ने भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत 7 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है.
9 साल बाद आया फैसला
इस पूरे मामले में 9 साल बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है, जिसमें आरोपी को 7 वर्ष का सश्रम कारावास और 1000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया गया है. वहीं न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक मनीष जोशी द्वारा की गई.
सीबीआई ने भी की थी मामले की जांच
सीबीआई ने भी इस मामले में जांच की थी. जांच के दौरान ये मामला आईपीएस अफसर वेदप्रकाश शर्मा, मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, आईजी, तत्कालीन कलेक्टर सहित एसपी के गले की हड्डी बन गया था.
रिटायर आईजी वेदप्रकाश शर्मा जब एसपी थे. उस वक्त उन्होंने कुख्यात तस्कर बंशीलाल गुर्जर का एनकाउंटर किया था. हैरान करने वाली बात तो यह है कि जिस बंशीलाल को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था, उसे आज न्यायालय ने सजा सुनाई है.
एसपी की अहम भूमिका
तत्कालीन एसपी वेदप्रकाश शर्मा को सूचना मिली थी कि हिस्ट्रीशीटर बंशीलाल गुर्जर गांधी सागर में छिपा हुआ है. इस पर एसपी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे.
बंशीलास गुर्जर का ड्रामा
घटना के दो-तीन साल बाद वर्ष 2011-12 में बंशीलाल गुर्जर को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में देखा गया. बताया जा रहा है कि बंशी ने ही फर्जी एनकाउंटर कर खुद को बचाने के लिए यह साजिश रची थी. खुद के एनकाउंटर की जगह किसी अन्य का एनकाउंटर करवा दिया. बंशी के एनकाउंटर की खबर के बाद उस पर चल रहे सभी आपराधिक प्रकरण समाप्त हो गए. वहीं उसने शिवा गुर्जर के नाम से जरूरी कागजात बनवा लिए. इसके बाद मामला गरमाया, तो पुलिस अफसरों ने उसे उज्जैन बुलाया, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया. वर्तमान में वह नीमच जेल में विचाराधीन कैदी है.