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प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को ढूंढने में लगी है मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम

नरसिंहपुर में मोहाली आईएसआर के पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम नर्मदा की तलछटी में आदिमकाल के जीवजंतु और प्राचीन सभ्यता के अवशेष को खोजने शोध में जुटी हुई है.

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Published : Feb 3, 2020, 10:46 AM IST

Updated : Feb 3, 2020, 11:49 AM IST

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प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को ढूंढने में लगी है मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम

नरसिंहपुर। जिले में मोहाली आईएसआर के पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने आकर नर्मदा की तलछटी में आदिमकाल की जीवजंतु और प्राचीन सभ्यता के अवशेष को खोजने शोध में जुटी हुई है. इस वैज्ञानिकों की टीम ने नरसिंहपुर के देवाकछार, उमरिया, गवारी, समनापुर, महादेव पिपरिया सहित 28 स्थलों को चिन्हित किया है.

प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को ढूंढने में लगी है मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम

चिन्हित जगहों पर आदिम युग के औजार और अवशेष मिले है. जो 12 हजार से 10 लाख हजार साल पुरानी सभ्यता का इतिहास बताते है. वैज्ञानिकों की टीम का कहना है की कभी नर्मदा में किनारे लेख हुआ करता था, जहां ऑस्ट्रिच, जिराफ, हिप्पो, गेंडा, मगरमच्छ पाए जाते थे, जो पर्यावरण को संतुलित किया करते थे. लेकिन, इनके लगातार शिकार और पर्यावरण में बदलाव की वजह से धीरे-धीरे विलुप्त हो गए. अब मिट्टी के नमूने और खुदाई के दौरान निकले इनके फोसिल से इनके इतिहास को समझा जा सकता है.

वैज्ञानिको द्वारा पर्यावरण में होने वाले बदलाव के कारणों और विलुप्त हुए जीव-जंतुओं के इतिहास पर शोधकर दुनिया के सामने लाया जाएगा. वहीं महादेव पिपरिया सहित कई जगह पर जीवजंतु और आदिम युग की सभ्यता के शैलचित्र भी टीम को मिले है. जो अध्ययन और संरक्षण के आभाव में विलुप्ति की कगार पर है. जिन्हे सहेजे जाने की भी आवश्यकता पर भी मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम ने जोर दिया है.

नरसिंहपुर। जिले में मोहाली आईएसआर के पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने आकर नर्मदा की तलछटी में आदिमकाल की जीवजंतु और प्राचीन सभ्यता के अवशेष को खोजने शोध में जुटी हुई है. इस वैज्ञानिकों की टीम ने नरसिंहपुर के देवाकछार, उमरिया, गवारी, समनापुर, महादेव पिपरिया सहित 28 स्थलों को चिन्हित किया है.

प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को ढूंढने में लगी है मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम

चिन्हित जगहों पर आदिम युग के औजार और अवशेष मिले है. जो 12 हजार से 10 लाख हजार साल पुरानी सभ्यता का इतिहास बताते है. वैज्ञानिकों की टीम का कहना है की कभी नर्मदा में किनारे लेख हुआ करता था, जहां ऑस्ट्रिच, जिराफ, हिप्पो, गेंडा, मगरमच्छ पाए जाते थे, जो पर्यावरण को संतुलित किया करते थे. लेकिन, इनके लगातार शिकार और पर्यावरण में बदलाव की वजह से धीरे-धीरे विलुप्त हो गए. अब मिट्टी के नमूने और खुदाई के दौरान निकले इनके फोसिल से इनके इतिहास को समझा जा सकता है.

वैज्ञानिको द्वारा पर्यावरण में होने वाले बदलाव के कारणों और विलुप्त हुए जीव-जंतुओं के इतिहास पर शोधकर दुनिया के सामने लाया जाएगा. वहीं महादेव पिपरिया सहित कई जगह पर जीवजंतु और आदिम युग की सभ्यता के शैलचित्र भी टीम को मिले है. जो अध्ययन और संरक्षण के आभाव में विलुप्ति की कगार पर है. जिन्हे सहेजे जाने की भी आवश्यकता पर भी मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम ने जोर दिया है.

Intro:नरसिंहपुर में मोहाली आईएसआर के पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने आकर नर्मदा की तलछटी में आदिमकाल की जीवजंतु और प्राचीन सभ्यता के अवशेष को खोजने शोध में जुटी हुई इस वैज्ञानिकों की टीम ने नरसिंहपुर के देवाकछार,उमरिया,गवारी, समनापुर ,महादेव पिपरिया सहित 28 स्थलों को चिन्हित किया हैBody: - नरसिंहपुर में मोहाली आईएसआर के पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने आकर नर्मदा की तलछटी में आदिमकाल की जीवजंतु और प्राचीन सभ्यता के अवशेष को खोजने शोध में जुटी हुई इस वैज्ञानिकों की टीम ने नरसिंहपुर के देवाकछार,उमरिया,गवारी, समनापुर ,महादेव पिपरिया सहित 28 स्थलों को चिन्हित किया है जहां अनुसंधान और संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि यहां हमें आदिम युग के औजार और अवशेष मिले है जो 12 हजार से 10 लाख हजार साल पुरानी सभ्यता का इतिहास बताते है साथ ही जो शोध की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है इन वैज्ञानिकों की टीम का कहना है की कभी नर्मदा में किनारे लेख ( दलदल) हुआ करता था और यहां आस्ट्रीज,जिराफ, हिप्पो,गैंडा,मगरमच्छ पाए जाते थे जो पर्यावरण को संतुलित किया करते थे लेकिन इनके लगातार शिकार और पर्यावरण में बदलाव की वजह से धीरे-धीरे विलुप्त हो गए अब मिट्टी के नमूने और खुदाई के दौरान निकले इनके फोसिल से इनके इतिहास को समझा जा सकता है और उनकी टीम इसी अनुसंधान में जुटी हुई है ताकि पर्यावरण में होने वाले बदलाव के कारणों और विलुप्त हुए जीवजंतुओं के इतिहास पर शोध कर दुनिया के सामने लाया जा सकें वहीं महादेव पिपरिया सहित कई जगह पर जीवजंतु और आदिम युग की सभ्यता के शैलचित्र भी टीम को मिले है जो अध्ययन और संरक्षण के आभाव में विलुप्ति की कगार पर है जिन्हे सहेजे जाने की भी आवश्यकता पर भी मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम ने जोर दिया है


बाइट 01 -टोसाबंता प्रधान आईएएसआर मोहाली साइंटिस्ट

बाइट 02 - दीप्ति , जूनियर साइंटिस्ट मोहालीConclusion:पर्यावरण में होने वाले बदलाव के कारणों और विलुप्त हुए जीवजंतुओं के इतिहास पर शोध कर दुनिया के सामने लाया जा सकें वहीं महादेव पिपरिया सहित कई जगह पर जीवजंतु और आदिम युग की सभ्यता के शैलचित्र भी टीम को मिले है जो अध्ययन और संरक्षण के आभाव में विलुप्ति की कगार पर है जिन्हे सहेजे जाने की भी आवश्यकता पर भी मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम ने जोर दिया है
Last Updated : Feb 3, 2020, 11:49 AM IST
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