नरसिंहपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत मिलने वाले घर के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी जब कुछ हाथ ना आया तो एक ग्रामीण ने पेड़ पर झोपड़ी बनाकर रहने का फैसला कर लिया. वहीं योजना से संबंधित अधिकारी सर्वे में नाम न होने की बात कह नियमों का हवाला दे रहे हैं. सिस्टम से परेशान होकर इस तरह पेड़ पर आशियाना बनाने की इस दास्तां ने सरकारी अफसरशाही को कठघरे में जरूर ला दिया है.
परिवार का छोटे से घर में रहना मुश्किल
पीड़ित छोटे खान जनपद पंचायत करेली के मोहद गांव के रहने वाले हैं. छोटे की मानें तो खेत मे बने मकान में बेटी, बहू, दामाद और बेटे सभी रहते हैं. इस छोटी सी जगह में सभी का रहना मुमकिन नही था. तो ऐसे में छोटे खान ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत घर पाने की कोशिश की. उन्होंने सरपंच से लेकर अफसरों तक के पास आवास के आवेदन पत्र जमा किए, लेकिन उन्हें आवास के इंतजार में हमेशा आश्वासन ही मिलता रहा. रोज-रोज के आश्वासन से परेशान होकेर उन्होंने आखिरकार पेड़ पर आशियाना बनाने की ठानी और अब गर्मी, ठंड बरसात सभी पेड़ पर बनी झोपड़ी पर बीतती है.
प्रशासन ने कही ये बात
छोटे खान की बेटी और बहू दोनों बताती हैं कि घर में सदस्यो की संख्या अधिक है और जगह बिल्कुल सीमित है. ऊपर से बारिश का कहर लगातार जारी है. कई बार सरकारी आवास के लिए गुहार भी लगाई पर सिस्टम ने एक न सुनी. जब मामले में करेली ब्लॉक के सीईओ से बात की तो वे मामले की जानकारी होने की बात तो कहते नजर आए, लेकिन उन्होंने भी सर्वे में नाम न होने की बात कह नियमों का हवाला दे दिया. उनका कहना है कि प्रतीक्षा सूची में छोटे खान का नाम जरूर है, पर प्रदेश सरकार की ओर से प्रतीक्षा सूची पर रोक की वजह से वे छोटे खान के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) सुविधा नहीं दे सकते.
समस्या का समाधान नहीं होने पर फूटा गुस्सा, मिठाई के डिब्बे में कीचड़ डालकर नगर निगम अधिकारी को सौंपा
पीएम मोदी (Pm Modi) का सपना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत हर गरीब के सिर पर छत हो, लेकिन तस्वारों में जो दिख रहा है, और जो सुनने में आ रहा है उसमें और जमीनी हकीकत से बहुत बड़ा अंतर है. सवाल ये है कि जरुरतमंदों के अलावा जब लखपतियों को कई मंजिलों वालों सरकारी आवास का सुख मिल सकता है. तो भला इन्हें क्यों नहीं. आखिरकार सिस्टम से अमीर क्यों बच जाते हैं और गरीब ही क्यों छले जाते हैं.