नरसिंहपुर: निर्विकार पथ के प्रणेता श्री बाबाश्री का बुधवार की रात इलाज के दौरान निधन होने के बाद उनकी पार्थिव देह को गोटेगांव के बगासपुर स्थित सत्यसरोवर आसनजी में लाया गया. जहां अपने गुरु का अंतिम दर्शन करने के लिए निर्विकार पथ से जुड़े श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रीबाबाश्री के निधन पर ट्वीट कर श्रद्धासुमन अर्पित की है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि श्रद्धेय श्रीबाबाश्री ने अपना जीवन समाज को दिशा दिखाने में व्यतीत किया. उनकी शिक्षा आने वाली पीढ़ियों के लोगों के जीवन का उद्धार करेगी.
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ढाई दशक से कर रहे थे नर्मदा की परिक्रमा:
जानकारी अनुसार श्रीबाबाश्री का जन्म 27 दिसंबर 1942 को नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव तहसील में हुआ था. उनके गृहस्थ जीवन का नाम बालमुकुुंंद चौरसिया था और गोटेगांव में रपटा मोहल्ला में उनका निवास था. साल 1981 में उन्होंने गृहस्थ आश्रम छोड़ दिया था. गृहस्थ जीवन में उनकी पत्नी, दो बेटिया और एक बेटा है. वे सात बार नर्मदाजी की परिक्रमा कर चुके थे. 27 अप्रैल 1984 को गंगा सप्तमी से नर्मदा परिक्रमा शुरू करने के बाद उनकी दाढ़ी बढ़नी शुरू हो गई थी. बाबाश्री 25 वर्षों से मां नर्मदा की अनवरत परिक्रमा कर रहे थे, निराहार रहकर मात्र नर्मदाजल पीकर वर्तमान में गाडरवारा से 20 किमी दूर सोकलपुर में तप, साधना में थे.
बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड
साल 2008 में उनकी दाढ़ी 1.84 मीटर यानी करीब 6 फुट थी. तब उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल हो गया. 8 साल बाद उनकी दाढ़ी की लंबाई 11 फुट 4 इंच यानी 3 मीटर 45 सेमी हो गई. इससे उन्होंने अपना ही पूर्व रिकॉर्ड तोड़ दिया. ऐसे बहुत से वर्ल्ड रिकॉर्ड उन्होंने बनाए हैं.