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केंद्रीय जेल में अनूठी पहल, कैदियों को सुनाई जा रही भागवत कथा

नरसिंहपुर की केंद्रीय जेल में बन्द कैदियों के लिए जेल प्रशासन ने अनूठी पहल की है. उन्हें जेल में ही भागवत कथा सुनाई जा रही है. कैदियों ने इसके लिए जेल प्रबंधन का धन्यवाद किया है.

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Published : Nov 23, 2019, 9:28 AM IST

केंद्रीय जेल में अनूठी पहल

नरसिंहपुर। मन का बोझ कम करने और पश्चाताप की गहरी खाई से छुटकारा पाने का मुख्य साधन आध्यात्म की ओर जाना होता है. शहर स्थित केंद्रीय जेल में कैदियों को अपराध की दुनिया छोड़ आध्यात्म को मन में आत्मसात करने की अनूठी पहल की जा रही है. प्रशासन द्वारा जेल परिसर में भागवत कथा का आयोजन किया गया है, जिसका वाचन धर्माचार्य रमन महाराज कर रहे हैं.

कैदियों का मानना है कि इस धार्मिक आध्यात्मिक आयोजन से उनके मन को शांति मिल रही है. कैदियों का कहना है कि उन्होंने जो भूल की है, उसे सुधारने का मौका मिल रहा है. जेल अधीक्षक की इस पहल का कैदियों ने स्वागत किया और धन्यवाद भी किया.

केंद्रीय जेल में भागवत कथा का आयोजन

जेल की महिला अधीक्षक का मानना है कि आपराधिक मानसिकता को दूर करने के दो ही रास्ते हैं, परिवार का प्रेम या फिर धर्म. बंदियों की मानसिकता में परिवर्तन लाने के लिए ही धार्मिक अनुष्ठान का सहारा लिया जा रहा है.

नरसिंहपुर। मन का बोझ कम करने और पश्चाताप की गहरी खाई से छुटकारा पाने का मुख्य साधन आध्यात्म की ओर जाना होता है. शहर स्थित केंद्रीय जेल में कैदियों को अपराध की दुनिया छोड़ आध्यात्म को मन में आत्मसात करने की अनूठी पहल की जा रही है. प्रशासन द्वारा जेल परिसर में भागवत कथा का आयोजन किया गया है, जिसका वाचन धर्माचार्य रमन महाराज कर रहे हैं.

कैदियों का मानना है कि इस धार्मिक आध्यात्मिक आयोजन से उनके मन को शांति मिल रही है. कैदियों का कहना है कि उन्होंने जो भूल की है, उसे सुधारने का मौका मिल रहा है. जेल अधीक्षक की इस पहल का कैदियों ने स्वागत किया और धन्यवाद भी किया.

केंद्रीय जेल में भागवत कथा का आयोजन

जेल की महिला अधीक्षक का मानना है कि आपराधिक मानसिकता को दूर करने के दो ही रास्ते हैं, परिवार का प्रेम या फिर धर्म. बंदियों की मानसिकता में परिवर्तन लाने के लिए ही धार्मिक अनुष्ठान का सहारा लिया जा रहा है.

Intro:मन का बोझ कम करने पश्चाताप की गहरी खाई से छुटकारा पाने का एक ही साधन होता वह है अध्यात्म की ओर जाना .....नरसिंहपुर की केंद्रीय जेल में बन्द कैदियों को भी अपराध की दुनिया को छोड़ आध्यात्म को मन में आत्मसात करने की अनूठी पहल की जा रही हैBody:- मन का बोझ कम करने पश्चाताप की गहरी खाई से छुटकारा पाने का एक ही साधन होता वह है अध्यात्म की ओर जाना .....नरसिंहपुर की केंद्रीय जेल में बन्द कैदियों को भी अपराध की दुनिया को छोड़ आध्यात्म को मन में आत्मसात करने की अनूठी पहल की जा रही है


- मन में गुनाहों का बोझ लिए जेल की सलाखों के बीच दिन गुजारने वाले बंदियों के अंतर्मन का अंधेरा दूर कर उनके मन में आध्यात्मिक आदर्शो का अलख जगाने जेल प्रशासन द्वारा जेल के अंदर भागवत कथा और स्कंध पुराण का वाचन धर्माचार्य रमन महाराज द्वारा कराया जा रहा है जिसे जेल में बन्द अपने अपराधों की सजा काट रहे बंदी भाव विभोर होकर सुन पश्चाताप की अग्नि में जल अपने अंतर्मन को शुद्ध करने में जुटे है ताकि जब कभी वह इस कारगार से मुक्त हो तो समाज उन्हें स्वीकार कर सके

बाइट 01 - अजय उदैनिया कैदी


- जेल में बंद केदी मानते हैं कि इस धार्मिक आध्यात्मिक आयोजन से उनके अंतर्मन में शांति मिल रही है और उनके द्वारा जाने अनजाने जो भूल हुई है उसे सुधारने का हमे मौका मिल रहा है जेल अधीक्षक की इस पहल से हमें अपने द्वारा किए गए गुनाहों का अपराधबोध हो रहा है और आध्यात्म की ओर जाने से हमारे अंदर दया भाव का निर्माण हो रहा है ताकि जब हम जेल की इस चार दिवारी से बाहर जाने लगे तो खुद को समाज के अनुरूप बेहतर इंसान बनकर जीवन जी सकें


बाइट 01 अभिषेक कैदी

बाइट 02 शिशुपाल कैदी

-ईश्वर की भक्ति भाव में खुद को आत्मसात किए इन बंदियों को देख कोई भी नहीं कह सकता कि उनके हाथों कभी ऐसे भी गुनाह हुए है जिससे किसी का परिवार ही उजड़ गया हो और अब इसी का प्रश्चित करने हुए अपराध से आध्यात्म की ओर ले जाने बंदीगृह द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं जेल की महिला अधीक्षक का भी यही मानना है कि अपराधिक मानसिकता को दूर करने के दो ही रास्ते है परिवार का प्रेम या फिर धर्म ....बंदियों की मानसिकता में परिवर्तन लाने के लिए ही हम धार्मिक अनुष्ठान का सहारा ले रहे है क्युकी एक धर्म ही है जो हमें सही गलत का आभास करता है और नैतिक अनैतिक के बीच का फर्क बताता है हमारी इस कोशिश का बंदियों के मन से प्रभाव भी देखा जा है और उनके व्यवहार में बदलाव की आने लगा है


बाइट - 03 सैफाली तिवारी ,जेल अधीक्षक , केंद्रीय जेल नरसिंहपुर


- कारागार की काली कोठारी से सुधारगृह के बदलाव की इस पहल से समाज में भी सकारात्मक रूप से इसका असर पड़ता दिखाई देगा और महात्मा गांधी ने भी यही संदेश दिया था कि अपराध से ध्रना करो अपराधी से नहीं ऐसे में इस जेल की कवायत से यहां बन्द बंदियों को भी नई दिशा मिलती नजर आ रही है और वह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते नजर आ रहे है .........Conclusion:
- कारागार की काली कोठारी से सुधारगृह के बदलाव की इस पहल से समाज में भी सकारात्मक रूप से इसका असर पड़ता दिखाई देगा और महात्मा गांधी ने भी यही संदेश दिया था कि अपराध से ध्रना करो अपराधी से नहीं ऐसे में इस जेल की कवायत से यहां बन्द बंदियों को भी नई दिशा मिलती नजर आ रही है और वह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते नजर आ रहे है
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