मुरैना: हल्की ठंड के बीच मुरैना के देवरी में कांग्रेस की खाट पंचायत हुई. कहते हैं अगर जैसा काम करना हो वैसा ही वेश भूषा भी होनी चाहिए. बिल्कुल वैसी ही कमलनाथ या यूं कहें मध्यप्रदेश कांग्रेस की खाट पंचायत थी. खेत-खलिहान के बीच खाट और उस पर किसानों के ठाट..ऐसा लग रहा था किसान जब भी हुक्के की सुड़सुड़ाहट ले रहे थे तो वो धुआं भोपाल बीजेपी हेडक्वॉर्टर पहुंच रहा था. दिन में खलनायक सा लगने वाला मौसम भी पूरी तरह अनुकूल हो चला था.
नजारा उस युग की याद दिला रहा था जिसे कभी भारत की असली तस्वीर कहा जाता था. कमलनाथ-दिग्विजय भी पूरे जोश में दिखे. कांग्रेस एक-एक सवाल कर किसानों का दर्द कुरेदते रही. इस दौरान किसान हाथों में 'देश का झंडा तिरंगा, नहीं चलेगा दोरंगा' बैनर लेकर खाट पर बैठे थे.
'खाट' से प्रदेश में ठाट कर पाएगी कांग्रेस ?
राजनीतिक पंड़ित कहते हैं कि कांग्रेस की चुनावी खटिया पहले ही खड़ी हो चुकी थी. सिंधिया का जाना, सरकार गिरना और उपचुनाव के रिजल्ट का जख्मों में नमक छिड़कना ये कांग्रेस नहीं भूल सकती. लेकिन किसानों के नाम पर मध्यप्रदेश में जो पहले कभी नहीं हुआ वो कमलनाथ ने कर दिखाया. इससे पहले कभी मध्यप्रदेश में खाट पंचायत नहीं हुई थी. फिलहाल मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दो पावर सेंटर हैं कमलनाथ और दिग्विजय, ये भी सच्चाई है कि कांग्रेस इन दोनों के बिना प्रदेश में अधूरी है. लेकिन डबल बैड के दौर में कमलनाथ की खाट पंचायत से क्या मध्यप्रदेश अपनी खोई जमीन वापस ला पाएगी. लेकिन ये भी सच है कि जो मुद्दा कांग्रेस ने उठाया है वो जरूर उसे फर्श से अर्श तक ला सकता है. कांग्रेस को ये भी याद रखना चाहिए कि सिर्फ किसान ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की डूबती नैय्या को पार नहीं लगा सकते. उसे ऐसी ही पंचायत बेरोजगार युवाओं, भटकते मजदूरों, बिलखती बच्चियों के लिए भी करनी होगी तभी बीजेपी को उखाड़ा जा सकता है.
एमपी से उखड़ी है कांग्रेस की चुनावी खटिया !
सब जानते हैं कांग्रेस की चुनावी खटिया पिछले 16 सालों से एमपी में उखड़ी हुई है. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में उसने बेहतर प्रदर्शन किया था लेकिन फिर जो हुआ उसे बताकर आपका समय हम बर्बाद नहीं करना चाहेंगे. दलित, गरीब, किसान-मजदूरों के वोटों का खूंटा भी शिवराज ले उड़े हैं और रही सही कसर महाराज पूरी कर चुके हैं. हालांकि केंद्र सरकार को घेरने के लिए किसानों के साथ कांग्रेस ने रणनीति भी तैयार की है. शायद कांग्रेस अब रुकना नहीं चाहती तभी तो फैसला लिया गया है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए कांग्रेस के तमाम बड़े नेता किसानों के साथ दिल्ली के लिए कूच करेंगे.
राहुल की खाट पंचायत भी नहीं भूले होंगे कमलनाथ ?
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की खाट पंचायत पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के दिमाग में जरूर राहुल गांधी की खाट पंचायत की यादें भी रहीं होंगी. बात यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहली की थी जब राहुल गांधी के फर्स्ट डे और फर्स्ट शो में कांग्रेस की खटिया लुट गई थी. तब 8 हजार लोग राहुल गांधी की खाट पंचायत में पहुंचे थे और 6 हजार खाट लेकर चलते बने थे. हालांकि मुरैना के देवरी में इतनी भीड़ नहीं थी लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय ये जरूर सोच रहे होंगे कि अगर यहां भी ऐसा हो गया तो फिर क्या होगा...क्योंकि मामा आजकल फुल फॉर्म में हैं...कहीं..!
कहीं यादों में न रह जाए खाट पंचायत...!
निश्चित रूप से मध्यप्रदेश कांग्रेस का यह कार्यक्रम पूरी तरह अलहदा था, कई मायने में खाट पर बैठे किसान, नेता यह अहसास करा रहे थे कि यही भारत के गांव-गिरांव की तस्वीर है. उपचुनाव में हार कि सिकन में बैठे कांग्रेस कार्यकर्ता भी कह रहे थे कि ऐसा कार्यक्रम न इससे पहले उन्होंने देखा और न सुना. तमाम ऐसे लोग भी रहे जो जिन्होंने मोबाइल और कैमरे में कैद कर खुद के लिए इस खाट पंचायत को अपने लिए यादगार कर लिया, बस कार्यकर्ता इसे यादों में ही न ले जाएं इसका डर शायद एमपी कांग्रेस को भी होगा. क्योंकि तैयारी 2023 की हो रही है...