ETV Bharat / state

गांव में सड़क नहीं, लड़के बैठे हैं कुंवारे... जानिए क्या है पूरा मामला - गांव में सड़क नहीं

मुरैना के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जहां आज भी गांव में सड़कों का ना होना इसका सबसे बड़ा कारण है जहां गांव कि सड़के कीचड़ से लबालब भरी हुई है और साथ ही यहां गांव में 250 से ज्यादा लड़के कुंवारे बैठे हैं.

गांव में सड़क नहीं, लड़के बैठे हैं कुंवारे
author img

By

Published : Nov 23, 2019, 12:01 AM IST

विकास के लिए सड़कों का होना बेहद जरूरी है.. लेकिन मुरैना के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में सड़कों का ना होना इसका सबसे बड़ा कारण है..जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पर है खिडोरा गांव..गांव की मुख्य सड़क कीचड़ से भरी हुई है. आलम ये है कि इस गांव में कोई आना नहीं चाहता और सबसे हैरानी की बात ये है कि इस सड़क की वजह से, यहां के लड़के कुंवारे बैठे है. कोई भी बाप अपनी बेटी इस गांव में देना नहीं चाहता.

गांव में सड़क नहीं, लड़के बैठे हैं कुंवारे

समस्या सिर्फ इतनी ही नहीं है. स्कूल जानेवाले बच्चे हर रोज परेशानियों का सामना करते हैं. किसी भी स्कूल की बस गांव की कीचड़ भरी सड़कों की वजह से आना नहीं चाहती. पैदल जानेवाले स्कूली छात्र आए दिन हादसे का शिकार होते हैं.

इस बारे में जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो उनके पास आश्वासन के सिवाय और कुछ नहीं.. जनपद सीईओ बस सरकार की योजनाओं का नाम गिनाकर पल्ला झाड़ लेते हैं.

डिजिटल इंडिया के जमाने में गांव की ये तस्वीर वाकई हैरान करती है. अब सवाल सिर्फ इतना ही है कि क्या इस गांव के लोग ऐसा ही नरकीय जीवन जीते रहेंगे.

विकास के लिए सड़कों का होना बेहद जरूरी है.. लेकिन मुरैना के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में सड़कों का ना होना इसका सबसे बड़ा कारण है..जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पर है खिडोरा गांव..गांव की मुख्य सड़क कीचड़ से भरी हुई है. आलम ये है कि इस गांव में कोई आना नहीं चाहता और सबसे हैरानी की बात ये है कि इस सड़क की वजह से, यहां के लड़के कुंवारे बैठे है. कोई भी बाप अपनी बेटी इस गांव में देना नहीं चाहता.

गांव में सड़क नहीं, लड़के बैठे हैं कुंवारे

समस्या सिर्फ इतनी ही नहीं है. स्कूल जानेवाले बच्चे हर रोज परेशानियों का सामना करते हैं. किसी भी स्कूल की बस गांव की कीचड़ भरी सड़कों की वजह से आना नहीं चाहती. पैदल जानेवाले स्कूली छात्र आए दिन हादसे का शिकार होते हैं.

इस बारे में जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो उनके पास आश्वासन के सिवाय और कुछ नहीं.. जनपद सीईओ बस सरकार की योजनाओं का नाम गिनाकर पल्ला झाड़ लेते हैं.

डिजिटल इंडिया के जमाने में गांव की ये तस्वीर वाकई हैरान करती है. अब सवाल सिर्फ इतना ही है कि क्या इस गांव के लोग ऐसा ही नरकीय जीवन जीते रहेंगे.

Intro:एंकर - एक तरफ हमारा देश बुलेट ट्रेन की ओर बढ़ रहा है, डिजिटल इंडिया का सपना भी सच होता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ एक तस्वीर ऐसी भी है जहां पर सड़क ना होने के चलते बच्चे स्कूल जाने के लिए भी परेशान है। यहां तक की सड़क ना होने का सबसे बड़ा असर गांव की आबादी पर आ रहा है, गांव के लोग गांव छोड़कर जाने को मजबूर हो रहे हैं। ये गांव है मुरैना जिले के पहाड़गढ़ ब्लॉक का खिडोरा गांव, इस गांव तक पहुंचने का मुख्य मार्ग पिछले कई सालों से बंद पड़ा हुआ है,पूरे रास्ते पर पानी और कीचड़ है। जिसके चलते वहां से निकलने वालों को इस में से होकर जाना पड़ता है जिसमें कई बार हादसों में लोग घायल हो जाते हैं। हालत ये है कि बाहर से कोई भी इस गांव में आना भी नहीं चाहता जिसके चलते गांव के नौजवानों के लिए शादी के रिश्ते तक आना बंद हो गए हैं। आज गांव में 250 से ज्यादा लड़के कुंवारे बैठे हैं।


Body:वीओ1 - मुरैना से खिडोरा गांव की दूरी महज 55 किलोमीटर है, पर विकास के मामले में ये दूरी 100 साल से भी ज्यादा महसूस हो रही है। गांव में पहुंच मार्ग ना होने से गांव के विकास की गति ही रुकी हुई है गांव वालों को कीचड़ से भरे 1 किलोमीटर से अधिक दूरी के रास्ते को तय करना पड़ता है। यही वजह है कि बाहर से कोई भी इस गांव में अपनी बेटी की शादी करना नहीं चाहता। खिडोरा गांव में 250 से अधिक कुंवारे लड़के गांव में है, पर कोई भी गांव में शादी तय करने को तैयार नहीं है। उनकी शर्त है कि गांव से बाहर हो तो वह शादी करने को तैयार है।

बाइट1 - दीपू सिकरवार - कुँवारा लड़का।
(नीली टीशर्ट पहने हुए है)


वीओ2 - खिडोरा गाँव में सड़क ना होने से स्कूल जाने वाले बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी स्कूल की बस कीचड़ की वजह से गांव में अंदर नहीं आती इसलिए बच्चों को पैदल कीचड़ में होकर बाहर जाना पड़ता है। पर इस रास्ते से निकलने में आए दिन बच्चे हादसों का शिकार होते है।

बाइट2 - शिवम सिंह - छात्र।
(स्कूल ड्रेस पहने हुए है)
बाइट3 - संतोष सिंह - छात्र।
बाइट4 - विजेंद्र सिंह - ग्रामीण।
(पीछे कुछ लोग खड़े हुए है)


वीओ3 - सालों से परेशानी झेल रहे हैं खिडोरा गांव के लोगों ने कई बार अधिकारियों और सरपंच सचिव से इस बारे में शिकायत की, पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में अब गांव वाले उम्मीद छोड़ चुके हैं कि उनकी कोई सुनवाई होगी।


बाइट5 - ज्ञान कुमारी - महिला 105 वर्षीय
बाइट6 - यशवंत सिंह सिकरवार - ग्रामीण
(पीछे दो लोग खड़े हुए है)
बाइट7 - हुकम सिंह - ग्रामीण।
(बड़ी बड़ी मूंछे वाले)



Conclusion:वीओ4 - जिम्मेदार अधिकारियों से जब इस बारे में पूछा गया तो वह इस बात से अनजान नजर आए। उन्हें यह पता ही नहीं कि वहां पर सड़क है या नहीं। हालांकि आश्वासन जरूर दिया कि अगर सड़क नहीं है तो पंच परमेश्वर योजना के तहत जल्द से जल्द सड़क पास कराकर बनवाएंगे। वहीं लड़कों की शादी न होने वाली बात पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत शादी कराने का प्रयास किया जाएगा।

बाइट8 - अजय वर्मा - सीईओ जनपद पहाडग़ढ़।


वीओ5 - आज के आधुनिक युग में डिजिटल इंडिया के युग में जिम्मेदार अधिकारियों का ये बयान देना ही अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या यही है जिनके कंधों पर जिम्मेदारी है गांव के अंतिम व्यक्ति को विकास के साथ जोड़ने की शासन की योजनाओं के साथ जोड़ने की। चलिए देखते हैं कि इनका यह आश्वासन पूरा होता है या फिर केवल एक आश्वासन बनकर रह जाता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.