श्योपुर। लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. सभी पार्टियों ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है लेकिन, मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र ऐसा राजनीतिक क्षेत्र है, जहां पार्टियां अपना टिकट लोकप्रियता के आधार पर नहीं जातिगत आधार देती हैं.
मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट अनारक्षित सीट है, यहां 19.97 प्रतिशत अनुसूचित जाति के और 6.73 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते है. निर्वाचन आयोग द्वार जारी किए गए 2014 के आंकड़ों के के आधार पर साल 2014 में इस सीट पर 17 लाख 2 हजर 492 मतदाता थे. इनमें 9 लाख 38 हजार 466 पुरूष और 7 लाख 64 हजार 26 महिला मतदाता थे. 2014 के आम चुनाव में इस सीट के लिए 50.18 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस क्षेत्र में दलित और ठाकुर जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. वहीं ब्राह्मण वोट इस सीट पर जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.
खास बात ये है कि यहां का मतदाता पार्टी या नेता की लोकप्रियता देखकर नहीं बल्कि अपने समाज के प्रत्याशी को देखकर मतदान करते हैं. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां भी इसको ध्यान में रखकर उम्मीदवार उतारती हैं कि किस समाज के वोट ज्यादा हैं. यही एक बड़ा कारण है कि बीजेपी पिछले पंद्रह सालों से ब्राह्मण या क्षत्रिय प्रत्याशी पर दांव लगा रही है.
इस बार भी बीजेपी ने क्षत्रिय समाज के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा है. जबकि पिछली बार ब्राह्मण समाज के अनूप मिश्रा को मैदान में उतारा था. वहीं कांग्रेस ने क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखने वाले और प्रदेश सरकार के वर्तमान मंत्री डॉ गोविंद सिंह को मैदान में उतारा था. पिछले चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की कांटे की टक्कर हो सकती थी, लेकिन क्षत्रिय समाज के वृन्दावन सिंह सिकरवार ने बसपा से टिकिट लेकर कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ और सांसद अनूप मिश्रा चुनाव जीते थे.
इस बार बीजेपी ने क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को टिकिट दिया है. इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस इस बार ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है. चर्चाये है कि हाल ही में बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए दिमनी के पूर्व विधायक बलबीर सिंह डंडोतिया को टिकिट दिया जा सकता है. या फिर विजयपुर के पूर्व विधायक रामनिवास रावत और वैश्य समाज के रमेश गर्ग को भी टिकट मिल सकता है.