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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर पत्रकारों ने रखी अपनी राय, सरकार के लिए कही ये बात - world press freedom day

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने पत्रकारिता की बदलते हालातों पर खास चर्चा करते हुए शहर के कुछ पत्रकारों से चर्चा की. सरकारों और संस्थानों द्वारा मीडिया कर्मियों की भविष्य और स्वतंत्रता जुड़े पहलू एक पीड़ा के रूप में उभर कर सामने आए.

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प्रेस की स्वतंत्रता पर विशेष बातचीत
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Published : May 4, 2020, 3:04 PM IST

मुरैना। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पत्रकारों की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा के दौरान पत्रकार शिव प्रताप सिंह जादौन ने कहा कि मीडिया को चौथे स्तंभ के रूप में परिभाषित करने का अभिप्राय प्रेस की स्वतंत्रता को प्रदर्शित करता है. लेकिन जैसे-जैसे मीडिया संस्थान उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के आधिपत्य में जाने लगे, वैसे-वैसे पत्रकारों की स्वतंत्रता पर बंदिश लगना शुरू हो गई और पत्रकारिता एक नौकरी के रूप में परिभाषित होने लगी है.

प्रेस की स्वतंत्रता पर विशेष बातचीत

पत्रकार मनीष शर्मा ने विश्व प्रेस दिवस स्वतंत्रता के मौके पर कहा कि आज के समय में पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करना वाले लोगों का भविष्य केवल अस्थिरताओं से भरा है. बल्कि सदैव जोखिम में रहता है.

श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष का मानना है कि जिस तरह कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संक्रमण काल में सरकार ने जिन 4 वर्ग के लोगों को कोरोना योद्धा के रूप में परिभाषित किया है. उनमें स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी, सुरक्षाकर्मी और मीडियाकर्मी शामिल हैं. लेकिन जितना ध्यान सरकार अन्य तीन वर्गों पर देती है और उन्हें सुविधाएं मुहैया करा रही है. उनता पत्रकारों के लिए नहीं.

पत्रकार सत्येंद्र सिंह तोमर का कहना है कि आज संक्रमण काल में जितना काम पत्रकारों का जोखिम भरा है जितने स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं. लगभग उतने ही संपर्क में रहने की स्थिति सदैव मीडियाकर्मियों के साथ भी बनी रहती है. इसलिए सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए. साथ ही प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि पत्रकारों का सरकार विशेष ध्यान दे.

मुरैना। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पत्रकारों की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा के दौरान पत्रकार शिव प्रताप सिंह जादौन ने कहा कि मीडिया को चौथे स्तंभ के रूप में परिभाषित करने का अभिप्राय प्रेस की स्वतंत्रता को प्रदर्शित करता है. लेकिन जैसे-जैसे मीडिया संस्थान उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के आधिपत्य में जाने लगे, वैसे-वैसे पत्रकारों की स्वतंत्रता पर बंदिश लगना शुरू हो गई और पत्रकारिता एक नौकरी के रूप में परिभाषित होने लगी है.

प्रेस की स्वतंत्रता पर विशेष बातचीत

पत्रकार मनीष शर्मा ने विश्व प्रेस दिवस स्वतंत्रता के मौके पर कहा कि आज के समय में पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करना वाले लोगों का भविष्य केवल अस्थिरताओं से भरा है. बल्कि सदैव जोखिम में रहता है.

श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष का मानना है कि जिस तरह कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संक्रमण काल में सरकार ने जिन 4 वर्ग के लोगों को कोरोना योद्धा के रूप में परिभाषित किया है. उनमें स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी, सुरक्षाकर्मी और मीडियाकर्मी शामिल हैं. लेकिन जितना ध्यान सरकार अन्य तीन वर्गों पर देती है और उन्हें सुविधाएं मुहैया करा रही है. उनता पत्रकारों के लिए नहीं.

पत्रकार सत्येंद्र सिंह तोमर का कहना है कि आज संक्रमण काल में जितना काम पत्रकारों का जोखिम भरा है जितने स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं. लगभग उतने ही संपर्क में रहने की स्थिति सदैव मीडियाकर्मियों के साथ भी बनी रहती है. इसलिए सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए. साथ ही प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि पत्रकारों का सरकार विशेष ध्यान दे.

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