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चंबल में आई बाढ़ ने छीने आशियाने, खुले में रहने को मजबूर ग्रामीण

चंबल नदी में आई बाढ़ से 27 गांव के ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लोग  सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं, बाढ़ ग्रस्त ग्रामीण प्रशासन से मुआवजा राशि मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

चंबल में आई बाढ़ ने छीने आशियाने
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Published : Sep 22, 2019, 11:26 PM IST

मुरैना। चंबल नदी में आई बाढ़ से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लोगों के मकान खंडहर में तब्दील हो गये हैं. बाढ़ प्रभावित गांवों में चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ है, जिस वजह से लोग सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं.

चंबल में आई बाढ़ ने छीने आशियाने
प्रशासन बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, लोगों को सुरक्षित निकालने से लेकर भोजन की पूरी व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है. वक्त के साथ चंबल नदी का पानी कम होने पर जब ग्रामीण अपने घरों पर वापस आए तो सब कुछ तहस-नहस हो चुका था. बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि चंबल नदी में आई बाढ़ से वे पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं. बाढ़ में उनके घर के सामान के साथ खाने का अनाज भी बह गया है. ग्रामीण अब प्रशासन से मुआवजा राशि मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

मुरैना। चंबल नदी में आई बाढ़ से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लोगों के मकान खंडहर में तब्दील हो गये हैं. बाढ़ प्रभावित गांवों में चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ है, जिस वजह से लोग सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं.

चंबल में आई बाढ़ ने छीने आशियाने
प्रशासन बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, लोगों को सुरक्षित निकालने से लेकर भोजन की पूरी व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है. वक्त के साथ चंबल नदी का पानी कम होने पर जब ग्रामीण अपने घरों पर वापस आए तो सब कुछ तहस-नहस हो चुका था. बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि चंबल नदी में आई बाढ़ से वे पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं. बाढ़ में उनके घर के सामान के साथ खाने का अनाज भी बह गया है. ग्रामीण अब प्रशासन से मुआवजा राशि मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
Intro:मुरैना - चंबल नदी का पानी उतरने के बाद चारों तरफ दिख रहा है बर्बादी का आलम , बाढ़ पीडित गांवों में चारों तरफ कीचड़ ओर घरों के खंडहर में तब्दील हो गये हैं, वहीँ लोग भी अभी गांव के बाहर जंगल या सडक किनारे रहने को मजबूर है।मुरैना जिले में ऐसे 27 गांव हैं जिन ग्रामीणों का पूरी तरह से नुकसान हुआ है। ग्रामीणों की माने तो प्रशासन खाने की इतनी व्यवस्था नहीं कर पा रहा हैं ,लेकिन बाढ़ पीड़ित गावों के आसपास के लोगों की मानें तो आसपास के गांव वाले कभी मदद कर बाढ़ पीड़ित लोगों की भोजन की पूरी व्यवस्था कर रहे हैं , बाढ़ पीड़ितों का कहना की चंबल में आई बाढ़ से हम तो पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। बाढ़ में हमारा घर का सामान सहित खाने का अनाज भी बह गया है। चंबल में पानी कम होने पर जब ग्रामीण अपने घरों को वापस हुए तो गावों में कई माकन टूटे हुए मिले हैं। ग्रामीणों को अब रहने की और खाने की चिंता सताने लगी है,साथ ही गांव के कुआं व हैडपम्पों में गन्दा पानी पीने से लोग बीमार हो रहे है। कई माल्लह जाति के लोगों ने जमीन तो बटाई पर की है, लेकिन बाढ़ से सब बरबाद हो गई है , अब शासन प्रशासन से जो मुआवजा राशि मिलेगी वह तो जमीन मालिक को मिलेगी , हम तो पूरी तरह बरबाद हो गये , इस बर्बादी से कैसे निजात मिलेगी , अब तो प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर ही भरोसा हैं कि मुख्यमंत्री ही हमारी रहने खाने व मुहावजे की व्यवस्था करायें , ............

Body:बाइट 1- महादेवी ----- बाढ़ पीडित महिला 
बाइट -2  सुखदेई  ----- बाढ़ पीडित महिला Conclusion:
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