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राजनीति में कहां है आधी आबादी, जुमलों से आगे बढ़ा है महिला सशक्तिकरण?

67 सालों के इतिहास में बीजेपी-कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों ने मुरैना लोकसभा सीट से किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया.

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Published : Mar 29, 2019, 2:57 PM IST

मुरैना। कांग्रेस हो या बीजेपी हर पार्टी के नेताओं के भाषणों में आधी आबादी का जिक्र आम है. लेकिन, राजनीतिक दल क्या सच में आधी आबादी के बारे में सोचते हैं या ये नारी सशक्तिकरण केवल जुमलों तक ही है. मुरैना लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो 67 सालों के इतिहास में बीजेपी-कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों ने यहां से किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया.

महिलाओं को प्रत्याशी बनाने पर क्या कहते हैं राजनीतिक दल, देखिए रिपोर्ट

इस बारे में जब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राकेश मावई से बात की गई तो उनका कहना था कि उनकी पार्टी महिला-पुरुषों का अंतर नहीं देखती, बल्कि जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट देती है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में महिलाओं की खासी भागीदारी के बावजूद मुरैना से बीजेपी के पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार दलील देते हैं कि मुरैना ग्रामीण आबादी वाला इलाका है और इसके भौगोलिक हालात महिलाओं के अनुकूल नहीं होने की वजह से राजनीति में महिलाएं आगे नहीं बढ़ पातीं.

हालांकि महिला कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष निधि गुप्ता इन दलीलों को नकारती हुई कहती हैं कि महिलाओं को जब-जब मौका मिला है उन्होंने साबित किया है कि वे हर काम बेहतर ढंग से कर सकती हैं.इसके साथ ही मुरैना के सियासी आंकड़ों से भी बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं की ये दलीलें बचकानी मालूम होती हैं. फिलहाल मुरैना जिले में आने वाली आठ नगरपालिकाओं में से 5 में महिला अध्यक्षों का कब्जा हैजो अपना काम बखूबी कर रही हैं.

इस वक्त मुरैना की जिला पंचायत अध्यक्ष भी एक महिला है और 7 मंडी समितियों में से 4 की अध्यक्ष भी महिलाएं ही हैं. ऐसे में कहना गलत न होगा किराजनीतिक दलों का महिला विमर्श राजनीति की बजाय सामाजिक मुद्दों में ही ज्यादा देखने को मिलता है, वो भी चुनावी फायदे के लिए. जहां एक ओर बीजेपी ट्रिपल तलाक के खिलाफ अपनी मुहिम से मुस्लिम महिलाओं के वोट हासिल करने की कोशिश में लगी दिखती है तो वहीं कांग्रेस अपनी न्याय योजना के तहत परिवार की महिलाओं के खाते में पैसे ट्रांसफर करने की बात कहकर उन्हें साधना चाहती है. ईटीवी भारत, मुरैना, मध्यप्रदेश

मुरैना। कांग्रेस हो या बीजेपी हर पार्टी के नेताओं के भाषणों में आधी आबादी का जिक्र आम है. लेकिन, राजनीतिक दल क्या सच में आधी आबादी के बारे में सोचते हैं या ये नारी सशक्तिकरण केवल जुमलों तक ही है. मुरैना लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो 67 सालों के इतिहास में बीजेपी-कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों ने यहां से किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया.

महिलाओं को प्रत्याशी बनाने पर क्या कहते हैं राजनीतिक दल, देखिए रिपोर्ट

इस बारे में जब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राकेश मावई से बात की गई तो उनका कहना था कि उनकी पार्टी महिला-पुरुषों का अंतर नहीं देखती, बल्कि जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट देती है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में महिलाओं की खासी भागीदारी के बावजूद मुरैना से बीजेपी के पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार दलील देते हैं कि मुरैना ग्रामीण आबादी वाला इलाका है और इसके भौगोलिक हालात महिलाओं के अनुकूल नहीं होने की वजह से राजनीति में महिलाएं आगे नहीं बढ़ पातीं.

हालांकि महिला कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष निधि गुप्ता इन दलीलों को नकारती हुई कहती हैं कि महिलाओं को जब-जब मौका मिला है उन्होंने साबित किया है कि वे हर काम बेहतर ढंग से कर सकती हैं.इसके साथ ही मुरैना के सियासी आंकड़ों से भी बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं की ये दलीलें बचकानी मालूम होती हैं. फिलहाल मुरैना जिले में आने वाली आठ नगरपालिकाओं में से 5 में महिला अध्यक्षों का कब्जा हैजो अपना काम बखूबी कर रही हैं.

इस वक्त मुरैना की जिला पंचायत अध्यक्ष भी एक महिला है और 7 मंडी समितियों में से 4 की अध्यक्ष भी महिलाएं ही हैं. ऐसे में कहना गलत न होगा किराजनीतिक दलों का महिला विमर्श राजनीति की बजाय सामाजिक मुद्दों में ही ज्यादा देखने को मिलता है, वो भी चुनावी फायदे के लिए. जहां एक ओर बीजेपी ट्रिपल तलाक के खिलाफ अपनी मुहिम से मुस्लिम महिलाओं के वोट हासिल करने की कोशिश में लगी दिखती है तो वहीं कांग्रेस अपनी न्याय योजना के तहत परिवार की महिलाओं के खाते में पैसे ट्रांसफर करने की बात कहकर उन्हें साधना चाहती है. ईटीवी भारत, मुरैना, मध्यप्रदेश

Intro:राजनीतिन में महिलाओं को आगे लाने की बडी बडी बाते आये दिन मंचो से भाषणों के दौरान सुनने को मिलती है , सभी महिलाओ के अधिकारों के नाम पर सत्ता के सिंघासन पर पहुचना चाहते है । भारतीय जनता पार्टी ने ट्रिपल तलाक पर कानून लाकर मुश्लिम समुदाय की आधी आबादी को अपने पक्ष में करने की कोशिश की तो कांग्रेस ने मुखिया महिला के खाते में सालाना 72 हजार रुपये देने का बादा कर डाला और सत्ता हासिल करने का एक बड़ा दाव चला है लेकिन ये कितना कारगर होगा ये तो समय ही बताएगा ।


Body:मुरैना संसदीय क्षेत्र से आज तक 67 बर्षो के कार्यकाल के दौरान किसी महिला को किसी भी राजनीतिक पार्टी ने अपना उम्मीदवार बना कर मैदान में नही उतारा ।सन 1951 से 1967 तक मुरैना भिंड संसदीय क्षेत्र एक था ,और सांसद का चुनाव न होकर मनोनयन होता था । उस समय कांग्रेस ही एक मात्र राष्टीय पार्टी थी , लेकिन इस सीट से किसी महिला को मनोनीत कर दिल्ली नही भेजा गया । 1967 के बाद चुनाव होना शुरू हुए। भिंड एवं मुरेना अलग अलग संसदीय क्षेत्र बने। इसी दौर में कांग्रेस के अलावा जन संघ फिर जनता पार्टी सहित कई रणनीतिक दलो का उदय हुआ । सभी राजनीतिक पार्टी अक्सर महिलाओं के हितों की चिंता करती नजर आती है , महिलाओं को शसक्त और ससक्त बनाने की दुहाई देती नजर आती है लेकिन किसी ने भी मुरेना लोकसभा क्षेत्र से आज तक किसी महिला को टिकिट देकर उम्मीदवार नही बनाया ।
ऐसा भी नही है कि महिला चुनाव नही जीत सकती , बसर्ते उसे मौका तो मिले । जहा महिला को मौका मिलता है वह अपनी प्रतिभा और क्षमता को सावित कर के समाज को दिखाती है । वर्तमान में मुरेना जिले की आठ नगर पालिकाओं में से 5 पर महिला अध्यक्ष है जो सफल संचालन करती है । इसके अलावा जिला पंचायत की अध्यक्ष महिला, 7 मंडी समिति में से 4 पर महिला अध्यक्ष की कुर्शी बैठी है । विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सो महिलाओं को उम्मीदवार बनाया उनमे से एक ने दिमनी विधानसभा से जीत दर्ज कर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया ।


Conclusion:लेकिन आज तक लोकसभा के चुनावों में किसी भी महिला को उम्मीदवार नही बनाया । इसकी अलग अलग लोग दल के नेता अलग अलग दलील देते है । भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष और पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार कहते है कि चम्बल अंचल की भौगोलिक स्थित बिषम होने के कारण महिलाएं क्षेत्र का भ्रमण करने में सक्षम नही है । तो कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष राकेश मावई का मानना है कि वे जिताऊ उम्मीदवार को टिकिट देते है , अभी तक ऐसे महिला कार्यकर्ता सामने नही आई होगी जो पूरे लोकसभा में अपना प्रभाव रखती हो , और जिन पदों लायक थी वहां टिकिट दिए गए । जबकि कांग्रेस की नेत्री श्रीमती
निधि गुप्ता का मानना है कि आज भी देश पुरुष प्रधान है वे चाहते ही नही कि महिलाएं आगे आये और आत्म निर्भर बन कर दिखाए । यही कारण है कि कई नेत्रियां ने टिकिट की दावेदारी की है लेकिन पार्टी के नेता उनका दावा भी बरिष्ठ नेतृत्व तन नही भेजते । ज्ञात हो कि मुरैना लोकसभा में 18लाख 20 हजार 748 मतदाता है ।इनमे से 9 लाख 86 हजार 161 पुरुष मतदाता है तो 8 लाख 34 हजार 513 महिला मतदाता है । पुरुषों लंबे समय से क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे है । लेकिन किसी भी पार्टी ने महिलाओं के हिट की बात कर वोट तो लिया पट टिकिट नही दिया ।

बाईट 1- गजराज सिंह सिकरवार -पूर्व विधायक एवं पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा
बाईट 2- श्रीमती निधि गुप्ता - पूर्व जिला अध्यक्ष महिला कांग्रेस मुरैना
बाईट - राकेश मावई - जिला अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी मुरैना
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