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सियासी घमासान से जनता परेशान, अधर में लटका कलेक्ट्रेट भवन का लोकार्पण

मुरैना में पिछले 6 महीने से 15 करोड़ 7 लाख रुपए की लागत से तैयार नवीन कलेक्ट्रेट का लोकार्पण सियासी घमासान के कारण टलता जा रहा है.

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Published : Mar 19, 2020, 6:05 PM IST

New collectorate is not being released due to political arrogance
सियासी घमासान के कारण नहीं हो रहा लोकार्पण

मुरैना। सियासी घमासान के चलते पिछले 6 महीने से तैयार नवीन कलेक्ट्रेट भवन का लोकार्पण लेट होता जा रहा है. 15 करोड़ 7 लाख की लागत से तैयार भवन में कलेक्टर कार्यालय के साथ-साथ अधीनस्थ कार्यालयों के अलग-अलग कक्ष बनाए गए हैं. जो सर्व सुविधा युक्त और आधुनकि तरीके से तैयार किए गए हैं. ताकि भविष्य में नतीजे उतने ही प्रासंगिक रहे जितने अभी हैं.

बीजेपी के शासन काल में स्वीकृत नवीन कलेक्ट्रेट भवन को राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए जगह उपलब्ध कराई गई, भवन की प्राथमिक लागत 15 करोड़ सात लाख थी. इसके अलावा समय-समय पर सुधार की दृष्टि से हुए परिवर्तन इसकी लागत को और अधिक बढ़ा दिए, वहीं इसके अलावा इंटीरियर डिजाइन फर्नीचर और आधुनिक सुविधाओं के साथ सजावट में भी बड़ी राशि खर्च की गई.

प्रदेश में राजनीतिक उठापटक के कारण बड़े नेता और मंत्रियों को समय नहीं मिल पाने के कारण लोकार्पण टलता जा रहा है. साथ ही अलग जिले के अधिकारियों ने आधे से अधिक सामान नवीन शाखाओं में रख दिया है, जिसके कारण अधिकारियों को काम करने में असुविधा हो रही है. उन्हें पुराने भवन में काम करना होता है और नए रिकॉर्ड के लिए नए भवन आना पड़ता है.

मुरैना। सियासी घमासान के चलते पिछले 6 महीने से तैयार नवीन कलेक्ट्रेट भवन का लोकार्पण लेट होता जा रहा है. 15 करोड़ 7 लाख की लागत से तैयार भवन में कलेक्टर कार्यालय के साथ-साथ अधीनस्थ कार्यालयों के अलग-अलग कक्ष बनाए गए हैं. जो सर्व सुविधा युक्त और आधुनकि तरीके से तैयार किए गए हैं. ताकि भविष्य में नतीजे उतने ही प्रासंगिक रहे जितने अभी हैं.

बीजेपी के शासन काल में स्वीकृत नवीन कलेक्ट्रेट भवन को राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए जगह उपलब्ध कराई गई, भवन की प्राथमिक लागत 15 करोड़ सात लाख थी. इसके अलावा समय-समय पर सुधार की दृष्टि से हुए परिवर्तन इसकी लागत को और अधिक बढ़ा दिए, वहीं इसके अलावा इंटीरियर डिजाइन फर्नीचर और आधुनिक सुविधाओं के साथ सजावट में भी बड़ी राशि खर्च की गई.

प्रदेश में राजनीतिक उठापटक के कारण बड़े नेता और मंत्रियों को समय नहीं मिल पाने के कारण लोकार्पण टलता जा रहा है. साथ ही अलग जिले के अधिकारियों ने आधे से अधिक सामान नवीन शाखाओं में रख दिया है, जिसके कारण अधिकारियों को काम करने में असुविधा हो रही है. उन्हें पुराने भवन में काम करना होता है और नए रिकॉर्ड के लिए नए भवन आना पड़ता है.

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