मुरैना। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लॉकडाउन से हर वर्ग प्रभावित है, किसान भी इससे अछूता नहीं है. वहीं 3 मार्च को तेज आंधी के साथ बारिश और ओले से किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. जिसके चलते प्रशासन ने सिर्फ सब्जी वाले किसानों की क्षति का आकलन करने के लिए सर्वे कराया है. लेकिन चेना गांव में मोसम्मी के बागान लगाने वाले किसानों को सरकार से भी कोई राहत की उम्मीद नजर नहीं आ रही है.
मुरैना में जौरा तहसील के गांव में किसानों ने मोसम्मी की खेती करना शुरू किया है. जिसमें उन्हें उम्मीद के अनुसार मोसम्मी फल का उत्पादन भी मिलने लगा था, लेकिन आंधी, बारिश और ओले ने किसानों के मोसम्मी की बागान को बर्बाद कर दिया. मोसम्मी के बागान में इस समय फलों के आने की शुरुआत हुई है और छोटे-छोटे फल पेड़ों में बड़ी मात्रा में लगे थे. जो अगले 2 माह में पूरी तरह तैयार होकर किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकते थे. लेकिन इन छोटे-छोटे मोसम्मी के फलों से ओले और बारिश की मार बर्दाश्त नहीं हुई और ये आधे से अधिक मात्रा में जमींदोज हो गए, यानी मोसम्मी की 50 फीसदी फसल नष्ट हो गई.
वहीं आंधी, बारिश और ओले के बाद भी प्रशासन ने राजस्व अमले के मैदानी कर्मचारियों को खेतों में खड़ी सब्जी आदि की फसलों के नुकसान का सर्वे करने के निर्देश दिए. लेकिन चेना गांव में लगभग 50 बीघा से अधिक क्षेत्र में लगी मोसम्मी की फसल के नुकसान का आकलन करने कोई नहीं गया. मोसम्मी उत्पादक किसान विजय सिंह यादव का कहना है कि क्षेत्र में लगी मोसम्मी में 50 फीसदी का नुकसान ओलावृष्टि के कारण हुआ है. लगभग 20 लाख से अधिक नुकसान किसानों को हुआ है. लेकिन अभी तक अधिकारी को सूचना देने के बाद भी कोई नहीं आया और कोरोना में ड्यूटी होने का बहाना बताकर किसानों को टालते जा रहे हैं.