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Morena Mayor Election 2022: चंबल का किंग कौन! कांग्रेस-BJP प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आज, जानिए हार-जीत का सियासी समीकरण

आज मुरैना मेयर पद पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा, आइए जानते हैं क्या है इस सीट का सियासी समीकरण और किन ताकत और कमजोरियों के साथ प्रत्याशी चुनावी मैदान पर उतरे हैं- (Morena Mayor Election 2022) (MP Urban Body Election 2022)

Morena Mayor Election 2022 result
मुरैना मेयर चुनाव 2022
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Published : Jul 20, 2022, 6:30 AM IST

मुरैना। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ और संसदीय क्षेत्र मुरैना में नगर पालिक निगम के महापौर पद के प्रत्याशी के भाग्य का फैसला आज होना है, जिसके लिए 13 जुलाई को लगभग एक लाख 34 हजार से अधिक मतदाताओं ने वोट किया था. मतदान के बाद शहर भर में जनता का जो रुख दिखाई दे रहा है, इस हिसाब से ग्वालियर की तरह मुरैना में भी बीजेपी और कांग्रेस की कड़ी टक्कर मारी जा रही है. यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं. (Morena Mayor Election 2022) (MP Urban Body Election 2022)

ये हैं चुनाव मैदान में: चंबल अंचल की ग्वालियर सीट के बाद सबसे हॉट सीट कहीं जाने वाली मुरैना निगम नगर निगम में अगले महापौर के लिए आज फैसला होना है, आज मुरैना नगर निगम की मतगणना है और नगर निगम इसलिए खास है क्योंकि यह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ और संसदीय क्षेत्र है. यही कारण है कि नगरी निकाय चुनाव में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरी ताकत के साथ प्रचार-प्रसार में लगे रहे, लेकिन यहां कांग्रेस भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाया है. ग्वालियर के बाद इस सीट पर भी कांग्रेस की कड़ी मानी जा रही है. इस निकाय चुनाव में बीजेपी ने महापौर उम्मीदवार के रूप में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मीना मुकेश जाटव पर दांव खेला गया, तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व सांसद बाबूलाल सोलंकी की भाई की बहू शारदा राजेंद्र सोलंकी को मैदान में उतारा है. इसके अलावा बसपा से एडवोकेट ममता मौर्य और आम आदमी पार्टी से ललिता पवन जाटव के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी अनीता चौधरी चुनाव मैदान में है.

ऐसे हो सकता है कांग्रेस को फायदा: इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के द्वारा टिकट वितरण में भारी लापरवाही बरती गई, जिस कारण कई वार्डों में दोनों ही पार्टियों को भारी नुकसान होने की संभावना है और अलावा निर्दलीय प्रत्याशी बढ़त बना रहे हैं. इस बार वोटिंग परसेंट कम होने से इसका लाभ कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है, क्योंकि मतदाता का रुख और शहर की हवा ने कांग्रेस प्रत्याशी का मनोबल बढ़ा दिया है. इसका एक कारण यह भी है कि भाजपा प्रत्याशी से शहर के मतदाता परिचित नहीं है और शारदा सोलंकी एक ऐसे परिवार से हैं, जिसे पूरा शहर जानता है. शारदा के पति पहले नगर निगम में महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि वे चुनाव हार गए थे, लेकिन ये अंतर बहुत ही कम था. इसके अलावा जिस तरीके से कांग्रेस प्रत्याशी ने शहर भर में प्रचार, जनसंपर्क किया और घर घर तक पहुंचे, उसका भी लाभ उन्हें मिल सकता है.

MP Local Body Election: ग्वालियर, जबलपुर निकाय चुनाव की हार ने बढ़ाई BJP की चिंता, जानें जेपी नड्डा ने तोमर और सिंधिया से की क्या बात

ऐसे बिगड़ी भाजपा की हवा: राजनीतिक सूत्रों की मानें तो भाजपा प्रत्याशी के पिछड़ने का कारण पार्टी के लोग हैं, क्योंकि भाजपा नेताओं द्वारा वार्ड प्रत्याशी के टिकट वितरण में काफी धांधली का आरोप है. वहीं भाजपा महापौर प्रत्याशी का मैनेजमेंट देखने वाले लोगों ने भी प्रत्याशी की हवा खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, चुनाव में शुरू से ही भाजपा के लोग महापौर प्रत्याशी का दुष्प्रचार गरीब प्रत्याशी के रूप में करते नजर आए और इससे हवा ना बनते हुए हवा बिगड़ गई. हालांकि फिर भी महापौर प्रत्याशी को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है, जिसकी स्थिति आज तक मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएगी.

बीजेपी महापौर प्रत्याशी मीना मुकेश जाटव की ताकत और कमजोरी
ताकत:
- पार्टी और संगठन पूरी ताकत के साथ लगा रहा.
- केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के वर्चस्व को लेकर मिलेगी मदद
कमजोरी:
- चुनाव लड़ने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं.
- आम जनता के लिए नया चेहरा और कोई पहचान नहीं.
- निगम के पिछले बीजेपी के कार्यकाल से आम जनता असंतुष्ट और नाराज.
- कार्यकर्ताओं को टिकट न मिलने पर नाराजगी और गुटबाजी.

कांग्रेस प्रत्याशी शारदा राजेन्द्र सोलंकी की ताकत और कमजोरी
ताकत:
- प्रत्याशी का पहले से ही पूरा परिवार राजनीतिक.
- प्रत्याशी के ससुर बाबूलाल सोलंकी दो बार रह चुके सांसद.
- बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और गुटबाजी का मिलेगा फायदा.
- निगम में बीजेपी के पिछले कार्यकाल से मिलेगा फायदा.
कमजोरी:
- कांग्रेस में गुटबाजी के कारण बड़े नेताओं ने नहीं किया प्रचार प्रसार.
- टिकट वितरण को लेकर भी नाराजगी.

नरेंद्र सिंह तोमर की साख दांव पर: मुरैना नगर के महापौर उम्मीदवार को लेकर फैसला होना है. बीजेपी के लिए यह सीट काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि यहां पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की साख दांव पर लगी है, इसके अलावा ग्वालियर में मिली करारी हार के बाद अब बीजेपी को इस सीट की काफी चिंता है. अब जनता अपना नया महापौर किस पार्टी का चुनती है, ये तो आज शाम तक ही स्पष्ट हो पाएगा.

मुरैना। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ और संसदीय क्षेत्र मुरैना में नगर पालिक निगम के महापौर पद के प्रत्याशी के भाग्य का फैसला आज होना है, जिसके लिए 13 जुलाई को लगभग एक लाख 34 हजार से अधिक मतदाताओं ने वोट किया था. मतदान के बाद शहर भर में जनता का जो रुख दिखाई दे रहा है, इस हिसाब से ग्वालियर की तरह मुरैना में भी बीजेपी और कांग्रेस की कड़ी टक्कर मारी जा रही है. यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं. (Morena Mayor Election 2022) (MP Urban Body Election 2022)

ये हैं चुनाव मैदान में: चंबल अंचल की ग्वालियर सीट के बाद सबसे हॉट सीट कहीं जाने वाली मुरैना निगम नगर निगम में अगले महापौर के लिए आज फैसला होना है, आज मुरैना नगर निगम की मतगणना है और नगर निगम इसलिए खास है क्योंकि यह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ और संसदीय क्षेत्र है. यही कारण है कि नगरी निकाय चुनाव में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरी ताकत के साथ प्रचार-प्रसार में लगे रहे, लेकिन यहां कांग्रेस भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाया है. ग्वालियर के बाद इस सीट पर भी कांग्रेस की कड़ी मानी जा रही है. इस निकाय चुनाव में बीजेपी ने महापौर उम्मीदवार के रूप में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मीना मुकेश जाटव पर दांव खेला गया, तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व सांसद बाबूलाल सोलंकी की भाई की बहू शारदा राजेंद्र सोलंकी को मैदान में उतारा है. इसके अलावा बसपा से एडवोकेट ममता मौर्य और आम आदमी पार्टी से ललिता पवन जाटव के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी अनीता चौधरी चुनाव मैदान में है.

ऐसे हो सकता है कांग्रेस को फायदा: इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के द्वारा टिकट वितरण में भारी लापरवाही बरती गई, जिस कारण कई वार्डों में दोनों ही पार्टियों को भारी नुकसान होने की संभावना है और अलावा निर्दलीय प्रत्याशी बढ़त बना रहे हैं. इस बार वोटिंग परसेंट कम होने से इसका लाभ कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है, क्योंकि मतदाता का रुख और शहर की हवा ने कांग्रेस प्रत्याशी का मनोबल बढ़ा दिया है. इसका एक कारण यह भी है कि भाजपा प्रत्याशी से शहर के मतदाता परिचित नहीं है और शारदा सोलंकी एक ऐसे परिवार से हैं, जिसे पूरा शहर जानता है. शारदा के पति पहले नगर निगम में महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि वे चुनाव हार गए थे, लेकिन ये अंतर बहुत ही कम था. इसके अलावा जिस तरीके से कांग्रेस प्रत्याशी ने शहर भर में प्रचार, जनसंपर्क किया और घर घर तक पहुंचे, उसका भी लाभ उन्हें मिल सकता है.

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ऐसे बिगड़ी भाजपा की हवा: राजनीतिक सूत्रों की मानें तो भाजपा प्रत्याशी के पिछड़ने का कारण पार्टी के लोग हैं, क्योंकि भाजपा नेताओं द्वारा वार्ड प्रत्याशी के टिकट वितरण में काफी धांधली का आरोप है. वहीं भाजपा महापौर प्रत्याशी का मैनेजमेंट देखने वाले लोगों ने भी प्रत्याशी की हवा खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, चुनाव में शुरू से ही भाजपा के लोग महापौर प्रत्याशी का दुष्प्रचार गरीब प्रत्याशी के रूप में करते नजर आए और इससे हवा ना बनते हुए हवा बिगड़ गई. हालांकि फिर भी महापौर प्रत्याशी को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है, जिसकी स्थिति आज तक मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएगी.

बीजेपी महापौर प्रत्याशी मीना मुकेश जाटव की ताकत और कमजोरी
ताकत:
- पार्टी और संगठन पूरी ताकत के साथ लगा रहा.
- केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के वर्चस्व को लेकर मिलेगी मदद
कमजोरी:
- चुनाव लड़ने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं.
- आम जनता के लिए नया चेहरा और कोई पहचान नहीं.
- निगम के पिछले बीजेपी के कार्यकाल से आम जनता असंतुष्ट और नाराज.
- कार्यकर्ताओं को टिकट न मिलने पर नाराजगी और गुटबाजी.

कांग्रेस प्रत्याशी शारदा राजेन्द्र सोलंकी की ताकत और कमजोरी
ताकत:
- प्रत्याशी का पहले से ही पूरा परिवार राजनीतिक.
- प्रत्याशी के ससुर बाबूलाल सोलंकी दो बार रह चुके सांसद.
- बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और गुटबाजी का मिलेगा फायदा.
- निगम में बीजेपी के पिछले कार्यकाल से मिलेगा फायदा.
कमजोरी:
- कांग्रेस में गुटबाजी के कारण बड़े नेताओं ने नहीं किया प्रचार प्रसार.
- टिकट वितरण को लेकर भी नाराजगी.

नरेंद्र सिंह तोमर की साख दांव पर: मुरैना नगर के महापौर उम्मीदवार को लेकर फैसला होना है. बीजेपी के लिए यह सीट काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि यहां पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की साख दांव पर लगी है, इसके अलावा ग्वालियर में मिली करारी हार के बाद अब बीजेपी को इस सीट की काफी चिंता है. अब जनता अपना नया महापौर किस पार्टी का चुनती है, ये तो आज शाम तक ही स्पष्ट हो पाएगा.

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