मुरैना। मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर पर आयोजित हुए लीला मेला के अंतिम दिन शुक्रवार को घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता में एक घोड़ा और तीन घोड़ियां शामिल हुई. प्रतियोगिता का शुभारंभ महापौर शारदा सोलंकी, किसान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने किया. दो साल से कोरोना की वजह से लीला मेला का आयोजन नहीं हो सका था, लेकिन इस बार मेले में लोगों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी थी. (morena leela fair organise)
![horse racing competition in morena leela mela](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-mor-01a-horse-race-pkg-10021_29102022071204_2910f_1667007724_593.jpg)
घुड़दौड़ प्रतियोगिता में 4 घुड़सवारों ने लिया हिस्सा: श्रीदाऊजी मंदिर मुरैन गांव में ग्रहण के चलते एक दिन बाद लीला मेला का शुभारंभ हुआ था. ऐसे मेला का आयोजन हर बार दीपावली के एक दिन बाद होता है. पहला मुकाबला ग्वालियर घाटीगांव से आए रामपुर गांव के कल्लू सांई सरपंच का घोड़ा और दोन्हारी के मोहन सिंह की घोड़ी के बीच हुआ, जिसमें कल्लू सांई के घोड़े ने बाजी मार ली. इसके बाद दूसरा मुकाबला बर्रेंडा के रुस्तम मावई और दोन्हारी के विजय सिंह की घोड़ी के बीच हुआ, इसमें भी बर्रेंडा के घुड़सवार ने बाजी मार ली. सभी विजेताओं को नगर निगम की तरफ से 5100 रुपए और उपविजेताओं को 2100 रुपए का पुरस्कार दिया गया. वहीं कमेटी की तरफ से विजेताओं को 1100 रुपए का इनाम दिया गया.
लीला मेले में पुलिस तैनात: लीला मेला में आयोजित घुड़दौड़ में इस बार घुड़सवार कम देखने को मिले. पहले घुड़दौड़ में एक दर्जन से अधिक घुड़सवार अपनी घोड़ियां लेकर आते थे और प्रतियोगिता में हिस्सा लेते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. घुड़दौड़ में इस बार केवल 4 घुड़सवारों ने ही भाग लिया. घुड़दौड़ के आयोजन को देखते हुए पुलिस की व्यवस्था चाक चौबंद रही. सीएसपी अतुल सिंह, सिविल लाइन थाना प्रभारी प्रवीण चौहान सहित कोतवाली थाने के फोर्स मौजूद रहे. (horse racing competition in morena leela mela)
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मुरैना में लीला मेले का हुआ आयोजन, 9 घुड़सवार हुए शामिल
क्यों होता है इस मेले का आयोजन: मान्यता है कि 300 से 400 साल पहले यहां जन्मे गोपराम स्वामी के साथ खुद भगवान श्रीकृष्ण बाल लीलाएं किया करते थे. एक बार श्रीकृष्ण यहां से विदाई ले रहे थे तो स्वामी गोपराम ने कहा कि प्रभु, मैं आपका दीन-हीन भक्त, आपके दर्शनों के लिए इतनी दूर द्वारिकापुरी तक कैसे पहुंच सकूंगा. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मुझे आपकी सेवा मेरे मुरैना गांव में ही करने का मौका मिले. अपने सखा गोपराम स्वामी की बात सुनकर भगवान कृष्ण मंत्रमुग्ध होकर बोले, चिंता मत करो गोपराम, मैं हर साल दीपावली की अगले दिन यानि पड़वा से साढ़े तीन दिन के लिए मुरैना गांव में आकर मेहमानी करूंगा. मुरैना गांव के स्वामी गोपराम बाबा और साक्षात श्रीकृष्ण के बीच हुआ यह संवाद कलियुग में भी फलीभूत हो रहा है. हर बार की तरह इस बार भी बुधवार को मुरैना गांव स्थित दाऊजी मेले में भगवान अपनी पसंदीदा द्वारिकापुरी छोड़कर मुरैना गांव में साढ़े तीन दिन की मेहमानी करने के लिए पहुंचे थे. (leela mela dwarkadhish came morena village)