मुरैना। ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि सौर मंडल के सबसे महत्वपूर्ण, चमकीले एवं सुंदर ग्रह को क्रूर ग्रह मानकर लोग भयभीत रहते हैं, जबकि यह ग्रह व्यक्ति के कर्म अनुसार अच्छे बुरे कर्म फल का निर्णायक है. शनिदेव कर्म फल का भुगतान करवा कर व्यक्ति की आत्मा को शुद्व बनाने तथा आत्मोन्नति में सहायक हैं. भगवान शनि को मृत्युलोक का न्यायाधीश माना गया है. मौनी अमावस्या शनिवार को होने के कारण मुरैना जिले के ऐंती गाँव के पास शनि पर्वत पर शनि मंदिर पर भक्तों की भीड़ लगी है. यह संयोग 30 साल बाद बन रहा है.
त्रेतायुगीन शनि मंदिर : जिले के ऐंती स्थित त्रेतायुगीन शनि मंदिर पर विशाल मेले का आयोजन हुआ. पुजारी शिवराम दास त्यागी के अनुसार आज की शनिचरी अमावस्या बहुत अद्भुत संयोग में आई है. सभी अमावस्या में से शनिश्चरी अमावस्या ही एकमात्र अमावस्या है, जिसमें स्नान-दान के अलावा मौन व्रत रखने का भी महत्व बताया गया है. इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना, पूजा पाठ करने से व्यक्ति को कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है. शनि मेले में मध्य प्रदेश, यूपी, दिल्ली, हरियाणा,राजस्थान, दुबई सहित विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
एक दिन पहले से भक्तों का आना शुरू : बता दें कि शनिश्चरी अमावस्या भले ही 21 जनवरी को है लेकिन 20 जनवरी की रात से ही जिला मुख्यालय सहित आसपास के राज्यों व दूर-दराज से श्रद्धालुओं का आगमन शनि मंदिर पर हो चुका था. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए कलेक्टर ने अफसरों की अलग-अलग ड्यूटी लगाई है. मेला में दूर-दराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए मंदिर जाने वाले रास्तों पर भारी वाहनों का आवागमन पूर्णत: प्रतिबंधित है. पुलिस की तरफ़ से भी सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है. शनि मेला में अलग अलग पॉइंट पर पुलिस जवान तैनात किए गए हैं. मेले की वजह से कुछ रूटों पर भारी वाहनों का प्रतिबंध भी किया गया है.
पुर्तगाल से आए महामंडलेश्वर : शनि मेले में पुर्तगाल से आये श्री श्री आचार्य 1008 महामंडलेश्वर दविन्द्र स्वामी ने बताया कि कुछ शनि मंदिर अत्यन्त प्रभावशाली हैं. वहां की गई पूजा-अर्चना का शुभ फल प्राप्त होता है. ये शनिश्चर मंदिर त्रेतायुगीन होने के कारण पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां स्थापित शनि पिण्ड हनुमान जी ने लंका से फेंका था, जो यहां आकर स्थापित हो गया. यहां पर अद्भुत परंपरा के चलते शनि देव को तेल अर्पित करने की प्रथा है. यहां आने वाले भक्त बड़े प्रेम और उत्साह से शनि देव को सरसों के तेल से अभिषेक करते हैं. महामंडलेश्वर ने बताया कि भगवान शनि देव का ऐसा अगर कोई दूसरा मंदिर है तो वो इटली रोमा मे है. जहां रोमन लोग शनिदेव की पूजा करते हैं. इस मंदिर का इतिहास 14 हजार साल पुराना है.