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मुरैना: आरक्षण के लाभ से वंचित है जिले का मांझी समाज

जिले में निवासरत मांझी समाज के लोगों ने खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग शासन-प्रशासन से की.

Manjhi society of the district is deprived of the benefits of ST reservation
ST आरक्षण के लाभ से वंचित है जिले के मांझी समाज
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Published : Mar 4, 2021, 7:51 PM IST

मुरैना। जिले में निवासरत मांझी समाज के लोग अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण के लाभ से वंचित हैं. पिछले दिनों विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जबाव में भी जिला प्रशासन ने मुरैना में मांझी समाज की उपस्थिति शून्य बताई थी.

बता दें कि यहां निवासरत मांझी समाज के लोग लंबे समय से खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग शासन-प्रशासन से कर रहे हैं. चूंकि सरकार मांझी समाज को अनुसूचित जनजाति में बहुत पहले ही शामिल कर चुकी है, इसलिए देश सहित प्रदेश भर में निवास करने वाले इस समाज के लोगों को एसटी वर्ग को मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिलता है. लेकिन मुरैना में इसके ठीक उलट निवास करने वाले मांझी समाज के हजारों लोगों को अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

प्रशासन की लापरवाही

खास बात यह है कि एक ओर सरकारी कागजों में यह दर्शाया गया है कि जिले में मांझी समाज के लोग निवास कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन एक प्रश्न के जबाव में सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल को लिखित में यह उत्तर भी देता है कि मुरैना जिले में मांझी समाज का कोई भी व्यक्ति निवास नहीं करता है. जिला प्रशासन के इस प्रतिवेदन से यहां निवास करने वाले मांझी समाज के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. जिसे लेकर लोगों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है.

विधानसभा में उठा था प्रश्न

जिले के मांझी समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग का लाभ नहीं मिलने का मामला पिछले दिनों मध्यप्रदेश की विधानसभा में उठा था. इसलिए सवाल के जवाब में कहा गया कि जब यहां मांझी समाज का कोई व्यक्ति है ही नही, तो उसे अनुसूचित जनजाति वर्ग का लाभ कैसे दिया जा सकता है? दरअसल जिले में निवासरत मांझी समाज को प्रशासनिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग का माना जाता है. यही वजह है कि मांझी समाज के बच्चों की अंकसूची सहित अन्य दस्तावेजों में भी पिछड़ा वर्ग ही अंकित होता है.

2001 में 758 और 2011 में 3208 लोग हैं निवासरत

एक ओर जिला प्रशासन जिले में मांझी समाज के लोगों की उपस्थिति शून्य बता रही है, तो वहीं सरकारी आंकड़ों में 2001 में यहां पर 758 लोग हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में 256 एवं शहर में 502 लोग रह रहे हैं. इसके अलावा 2011 की जनगणना में भी 3000 से अधिक लोग यहां दर्शाए गए हैं. अब 2021 में तो यह संख्या 10000 से भी अधिक मानी जा रही है, लेकिन फिर भी प्रशासन यह स्वीकार नहीं कर रहा है कि जिले में मांझी समाज के लोग रह रहे हैं.

मुरैना। जिले में निवासरत मांझी समाज के लोग अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण के लाभ से वंचित हैं. पिछले दिनों विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जबाव में भी जिला प्रशासन ने मुरैना में मांझी समाज की उपस्थिति शून्य बताई थी.

बता दें कि यहां निवासरत मांझी समाज के लोग लंबे समय से खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग शासन-प्रशासन से कर रहे हैं. चूंकि सरकार मांझी समाज को अनुसूचित जनजाति में बहुत पहले ही शामिल कर चुकी है, इसलिए देश सहित प्रदेश भर में निवास करने वाले इस समाज के लोगों को एसटी वर्ग को मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिलता है. लेकिन मुरैना में इसके ठीक उलट निवास करने वाले मांझी समाज के हजारों लोगों को अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

प्रशासन की लापरवाही

खास बात यह है कि एक ओर सरकारी कागजों में यह दर्शाया गया है कि जिले में मांझी समाज के लोग निवास कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन एक प्रश्न के जबाव में सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल को लिखित में यह उत्तर भी देता है कि मुरैना जिले में मांझी समाज का कोई भी व्यक्ति निवास नहीं करता है. जिला प्रशासन के इस प्रतिवेदन से यहां निवास करने वाले मांझी समाज के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. जिसे लेकर लोगों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है.

विधानसभा में उठा था प्रश्न

जिले के मांझी समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग का लाभ नहीं मिलने का मामला पिछले दिनों मध्यप्रदेश की विधानसभा में उठा था. इसलिए सवाल के जवाब में कहा गया कि जब यहां मांझी समाज का कोई व्यक्ति है ही नही, तो उसे अनुसूचित जनजाति वर्ग का लाभ कैसे दिया जा सकता है? दरअसल जिले में निवासरत मांझी समाज को प्रशासनिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग का माना जाता है. यही वजह है कि मांझी समाज के बच्चों की अंकसूची सहित अन्य दस्तावेजों में भी पिछड़ा वर्ग ही अंकित होता है.

2001 में 758 और 2011 में 3208 लोग हैं निवासरत

एक ओर जिला प्रशासन जिले में मांझी समाज के लोगों की उपस्थिति शून्य बता रही है, तो वहीं सरकारी आंकड़ों में 2001 में यहां पर 758 लोग हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में 256 एवं शहर में 502 लोग रह रहे हैं. इसके अलावा 2011 की जनगणना में भी 3000 से अधिक लोग यहां दर्शाए गए हैं. अब 2021 में तो यह संख्या 10000 से भी अधिक मानी जा रही है, लेकिन फिर भी प्रशासन यह स्वीकार नहीं कर रहा है कि जिले में मांझी समाज के लोग रह रहे हैं.

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