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सिंधिया का जबरा फैन: एक साल की मेहनत और 80 हजार रुपये खर्च कर बनाया जयविलास पैलेस

मुरैना के रहने वाले सतपाल सिंह रोहतक ने अपने घर में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के जयविलास पैलेस को बनाया है. रियल पैलेस की तरह की इसमें भी पेड़-पौधे, बगीचा और लाइटिंग जैसी हर चीज मौजूद है. इसे बनाने में सतपाल को एक साल का समय लगा. हर दिन उन्होंने 5 से 7 घंटे मेहनत की. इस वह मंत्री सिंधिया को भेंट करना चाहते हैं. (Satpal Singh built Jaivilas Palace)

Satpal Singh built Jaivilas Palace
सतपाल सिंह ने बनाया जयविलास पैलेस
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Published : Apr 2, 2022, 12:47 PM IST

मुरैना। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (union minister jyotiraditya scindia) के चाहनेवालों की कमी नहीं है. मुरैना के उत्तमपुरा इलाके में रहने वाले सतपाल सिंह रोहतक ने अपने घर में सिंधिया के जयविलास पैलेस (महल) का निर्माण कर डाला. इस जूनियर महल में पेड़-पौधे, बगीचा और लाइटिंग जैसी हर चीज मौजूद है. 9 फीट लंबे व 9 फीट चौड़े जयविलास पैलेस को बनाने में सतपाल को एक साल का समय लगा. इसके लिए उन्होंने 80 हजार रुपये से ज्यादा खर्च किये हैं. जयविलास पैलेस को वह मंत्री को तोहफे में देना चाहते हैं.

सतपाल सिंह ने अपने घर में बनाया सिंधिया का जयविलास पैलेस

ताजमहल का बना चुके हैं नक्शा: 28 वर्षीय सतपाल सिंह रोहतक के पिता रमेशचंद रोहतक पेशे से टेलर हैं. उन्हें लकड़ी के साइन बोर्ड से ऐतिहासिक इमारतें बनाने का बचपन से शौक है. इससे पहले वह ताजमहल का नक्शा बना चुके हैं. सतपाल जयविलास पैलेस को प्रदेश का सबसे भव्य व आधुनिक महल मानते हैं. किसी कारीगर या डिजाइनर ने आज तक जयविलास पैलेस का कोई ऐसा डिजाइन नहीं बनाया. इसलिए उसने सिंधिया के इस महल को बनाने की ठानी.

Satpal Singh built Jaivilas Palace
सतपाल सिं​ह ने बनाया जूनियर जयविलास पैलेस

12 महीने हर दिन 5 से 7 घंटे मेहनत की: सतपाल ने एक साल पहले कोरोना काल में इसे बनाने का काम शुरू किया. 9 फीट लंबे व 9 फीट चौड़े आकार में जयविलास पैलेस को बनाने के लिए इन 12 माह में हर रोज 5 से 7 घंटे तक मेहनत की. जिस तरह जयविलास पैलेस के अंदर व बाहर परिसर में बगीचे, पेड़, पौधें और रंग-बिरंगी लाइटिंग है, वह सब इस डिजाइन में हैं. देखने पर लगता है मानों शीशे में जयविलास पैलेस का अक्स देख रहे हैं.

इंजीनियर बनना था सतपाल का सपना: युवक सतपाल रोहतक बताते हैं कि उसका सपना इंजीनियर बनने का था और देश के लिए ऐसी भव्य इमारतें डिजाइन करना चाहता था. पूरी मेहनत करने के बाद भी उसका एडमिशन किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं हुआ. घर की माली हालत भी अच्छी नहीं होने से वह डोनेशन की दम पर भी एडमिशन नहीं ले सका और 7 साल पहले पढ़ाई छूट गई. अब वह अपने पिता के काम में हाथ बंटाता है. उससे होने वाली आमदनी को ऐतिहासिक इमारताें के डिजाइन बनाने पर खर्च कर रहा है.

(Satpal Singh built Jaivilas Palace)

मुरैना। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (union minister jyotiraditya scindia) के चाहनेवालों की कमी नहीं है. मुरैना के उत्तमपुरा इलाके में रहने वाले सतपाल सिंह रोहतक ने अपने घर में सिंधिया के जयविलास पैलेस (महल) का निर्माण कर डाला. इस जूनियर महल में पेड़-पौधे, बगीचा और लाइटिंग जैसी हर चीज मौजूद है. 9 फीट लंबे व 9 फीट चौड़े जयविलास पैलेस को बनाने में सतपाल को एक साल का समय लगा. इसके लिए उन्होंने 80 हजार रुपये से ज्यादा खर्च किये हैं. जयविलास पैलेस को वह मंत्री को तोहफे में देना चाहते हैं.

सतपाल सिंह ने अपने घर में बनाया सिंधिया का जयविलास पैलेस

ताजमहल का बना चुके हैं नक्शा: 28 वर्षीय सतपाल सिंह रोहतक के पिता रमेशचंद रोहतक पेशे से टेलर हैं. उन्हें लकड़ी के साइन बोर्ड से ऐतिहासिक इमारतें बनाने का बचपन से शौक है. इससे पहले वह ताजमहल का नक्शा बना चुके हैं. सतपाल जयविलास पैलेस को प्रदेश का सबसे भव्य व आधुनिक महल मानते हैं. किसी कारीगर या डिजाइनर ने आज तक जयविलास पैलेस का कोई ऐसा डिजाइन नहीं बनाया. इसलिए उसने सिंधिया के इस महल को बनाने की ठानी.

Satpal Singh built Jaivilas Palace
सतपाल सिं​ह ने बनाया जूनियर जयविलास पैलेस

12 महीने हर दिन 5 से 7 घंटे मेहनत की: सतपाल ने एक साल पहले कोरोना काल में इसे बनाने का काम शुरू किया. 9 फीट लंबे व 9 फीट चौड़े आकार में जयविलास पैलेस को बनाने के लिए इन 12 माह में हर रोज 5 से 7 घंटे तक मेहनत की. जिस तरह जयविलास पैलेस के अंदर व बाहर परिसर में बगीचे, पेड़, पौधें और रंग-बिरंगी लाइटिंग है, वह सब इस डिजाइन में हैं. देखने पर लगता है मानों शीशे में जयविलास पैलेस का अक्स देख रहे हैं.

इंजीनियर बनना था सतपाल का सपना: युवक सतपाल रोहतक बताते हैं कि उसका सपना इंजीनियर बनने का था और देश के लिए ऐसी भव्य इमारतें डिजाइन करना चाहता था. पूरी मेहनत करने के बाद भी उसका एडमिशन किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं हुआ. घर की माली हालत भी अच्छी नहीं होने से वह डोनेशन की दम पर भी एडमिशन नहीं ले सका और 7 साल पहले पढ़ाई छूट गई. अब वह अपने पिता के काम में हाथ बंटाता है. उससे होने वाली आमदनी को ऐतिहासिक इमारताें के डिजाइन बनाने पर खर्च कर रहा है.

(Satpal Singh built Jaivilas Palace)

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