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जिले में बढ़ रहे कुपोषण के मामले, कलेक्टर ने इलाज का दिया आश्वासन

कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए खर्च किए जा रहे करोड़ों की राशि का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. दिनोंदिन कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं कलेक्टर का कहना है कि ऐसे बच्चों के चिन्हित होने पर उनके इलाज की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी.

प्रियंका दास, कलेक्टर
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Published : Jun 27, 2019, 12:19 PM IST

मुरैना। कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है, इसके बावजूद कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. दस्तक अभियान की शुरुआत में ही 110 बच्चे चिन्हित किए गए, जबकि जिले में 6 एनआरसी केंद्रों की क्षमता मात्र 90 बच्चों की है. वहीं कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि जब तक बच्चे चिन्हित नहीं होंगे, तब तक उन्हें इलाज और उचित देखभाल कैसे मिलेगी.

बढ़ रहे कुपोषण के मामले

जिले के 6 में से 3 एनआरसी केंद्रों में 10-10 बच्चों के भर्ती होने की सुविधा है, तो वहीं 2 एनआरसी केंद्रों में 20-20 बच्चे एक समय में भर्ती हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में इन सभी एनआरसी केंद्रों पर क्षमता से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं. इस पर कलेक्टर का कहना है कि ज्यादा बच्चे अगर चिन्हित किये जा रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है, उनका उचित इलाज कर कुपोषण से निपटा जाएगा.

बता दें कि कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र में 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है. उनकी देखभाल के साथ-साथ उचित उपचार मुहैया कराया जाता है. साथ ही एनआरसी केंद्र के डाइटिशियन की देखरेख में दिए जाने वाले 60 दिन पोषण आहार का कोर्स दिया जाता है. एनआरसी से छुट्टी मिलने के बाद कुपोषित बच्चों के माता-पिता को हर 15 दिन में बच्चे को लेकर आना होता है, जहां समय-समय पर बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की जांच की जाती है.

मुरैना। कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है, इसके बावजूद कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. दस्तक अभियान की शुरुआत में ही 110 बच्चे चिन्हित किए गए, जबकि जिले में 6 एनआरसी केंद्रों की क्षमता मात्र 90 बच्चों की है. वहीं कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि जब तक बच्चे चिन्हित नहीं होंगे, तब तक उन्हें इलाज और उचित देखभाल कैसे मिलेगी.

बढ़ रहे कुपोषण के मामले

जिले के 6 में से 3 एनआरसी केंद्रों में 10-10 बच्चों के भर्ती होने की सुविधा है, तो वहीं 2 एनआरसी केंद्रों में 20-20 बच्चे एक समय में भर्ती हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में इन सभी एनआरसी केंद्रों पर क्षमता से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं. इस पर कलेक्टर का कहना है कि ज्यादा बच्चे अगर चिन्हित किये जा रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है, उनका उचित इलाज कर कुपोषण से निपटा जाएगा.

बता दें कि कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र में 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है. उनकी देखभाल के साथ-साथ उचित उपचार मुहैया कराया जाता है. साथ ही एनआरसी केंद्र के डाइटिशियन की देखरेख में दिए जाने वाले 60 दिन पोषण आहार का कोर्स दिया जाता है. एनआरसी से छुट्टी मिलने के बाद कुपोषित बच्चों के माता-पिता को हर 15 दिन में बच्चे को लेकर आना होता है, जहां समय-समय पर बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की जांच की जाती है.

Intro:कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर पोषण आहार का वितरण किया जा रहा है, बावजूद इसके कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । हाल ही में दस्तक अभियान की शुरुआत में ही 110 बच्चे चिन्हिन्त किए गए जबकि जिले में 6 एनआरसी केंद्रों की क्षमता मात्र 90 बच्चों की है । ऐसे में 110 चिन्हित किए गए बच्चे और आगे दस्तक अभियान में चिन्हित होने वाले कुपोषित बच्चों को कहां भर्ती कराया जाएगा , यह बड़ा सवाल है । वहीं कलेक्टर मुरैना प्रियंका दास का मानना है कि जब तक बच्चे चिन्हित नहीं होंगे तब तक उन्हें उपचार और उचित देखभाल कैसे मिलेगी ।


Body:कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र में 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है और उसकी देखभाल के साथ साथ उचित उपचार मुहैया कराया जाता है । साथ ही एनआरसी केंद्र के द्वारा डाइटिशियन की देखरेख में दिए जाने वाले पोषण आहार का कोर्स 60 दिन का होता है एनआरसी से छुट्टी मिलने के बाद कुपोषित बच्चों के माता-पिता को हर 15 दिन में बच्चे को लेकर आना होता है जहां समय-समय पर बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की जांच की जाती है ।


Conclusion:जिले के छह एनआरसी केंद्रों में 6 में से 3 एनआरसी केंद्रों पर 10 10 बच्चों के भर्ती होने की सुविधा है तो वही 2 एनआरसी केंद्रों पर 20 20 बच्चे एक समय में भर्ती हो सकते हैं लेकिन वर्तमान में इन सभी एनआरसी केंद्रों पर क्षमता से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं । ऐसे में दस्तक अभियान के तहत चयनित होने वाले बच्चों को कहां भर्ती किया जाएगा इस संबंध में कोई प्लान जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार नहीं किया गया है । बाईट 1- श्रीमती नीतू चादिल , डायटीशियन एन आर सी केंद्र मुरैना बाईट 2 - श्रीमती प्रियंका दास , कलेक्टर मुरैना
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