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ऐसे-कैसे मिटेगा मध्यप्रदेश से कुपोषण, जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों BPL सर्वे में व्यस्त - BPL सर्वे

अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कुपोषण पर काम करने के बजाए बीपीएल का सर्वे कार्य कराया जाएगा. सरकार के इस फैसले से आंगनबाड़ी केंद्रों का काम भी प्रभावित होगा. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कुपोषित बच्चों की देखभाल करना है.

कुपोषण
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Published : Dec 4, 2019, 4:53 AM IST

मुरैना। जिले के साथ-साथ पूरा मध्य प्रदेश कुपोषण का दंश झेल रहा है. सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पोषित नहीं किया जा सका और अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कुपोषण पर काम करने के बजाए बीपीएल का सर्वे कार्य कराया जाएगा. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों का काम भी प्रभावित होगा. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कुपोषित बच्चों की देखभाल करना है.

NRC केंद्रों का काम छोड़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता करेंगी BPL सर्वे

मध्यप्रदेश मे 1 करोड़ 17 लाख 40 हजार 426 से अधिक बीपीएल परिवारों के सत्यापन के लिए 61 हजार 441 दल बनाए गए हैं. इन दलों में 14 हजार 983 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं अपना केंद्र बंद कर काम करेंगी. वहीं मुरैना जिले में दो लाख 18 हजार 117 परिवारों के बीपीएल सत्यापन के लिए 1164 दल बनाए गए हैं. इनमें राजस्व विभाग के पटवारी, ग्राम पंचायत के सचिव, ग्राम रोजगार सहायक सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है.

जिलेभर में 2 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जहां केवल कार्यकर्ता ही पदस्थ हैं सहायका पदस्थ ही नहीं है. ऐसे केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अगर सर्वे कार्य में लगेंगे तो केंद्रों पर ताला लग जाएगा. ऐसे में मुरैना से कुपोषण मिटाने का सपना कहीं सपना बना ही ना रह जाए. सरकार को समझना होगा कि अगर कुपोषण मिटाना है तो इसे लेकर लापरवाही बिल्कुल नहीं बरती जा सकती.

मुरैना। जिले के साथ-साथ पूरा मध्य प्रदेश कुपोषण का दंश झेल रहा है. सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पोषित नहीं किया जा सका और अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कुपोषण पर काम करने के बजाए बीपीएल का सर्वे कार्य कराया जाएगा. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों का काम भी प्रभावित होगा. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कुपोषित बच्चों की देखभाल करना है.

NRC केंद्रों का काम छोड़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता करेंगी BPL सर्वे

मध्यप्रदेश मे 1 करोड़ 17 लाख 40 हजार 426 से अधिक बीपीएल परिवारों के सत्यापन के लिए 61 हजार 441 दल बनाए गए हैं. इन दलों में 14 हजार 983 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं अपना केंद्र बंद कर काम करेंगी. वहीं मुरैना जिले में दो लाख 18 हजार 117 परिवारों के बीपीएल सत्यापन के लिए 1164 दल बनाए गए हैं. इनमें राजस्व विभाग के पटवारी, ग्राम पंचायत के सचिव, ग्राम रोजगार सहायक सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है.

जिलेभर में 2 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जहां केवल कार्यकर्ता ही पदस्थ हैं सहायका पदस्थ ही नहीं है. ऐसे केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अगर सर्वे कार्य में लगेंगे तो केंद्रों पर ताला लग जाएगा. ऐसे में मुरैना से कुपोषण मिटाने का सपना कहीं सपना बना ही ना रह जाए. सरकार को समझना होगा कि अगर कुपोषण मिटाना है तो इसे लेकर लापरवाही बिल्कुल नहीं बरती जा सकती.

Intro:मुरैना जिले के साथ-साथ पूरा मध्य प्रदेश कुपोषण के दंश से कलंकित हो रहा है सरकार के लाख प्रयास के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पोषित नहीं किया जा सका । और अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से कुपोषण पर काम करने के बजाए बीपीएल का सर्वे कार्य कराया जाएगा । इससे आंगनवाड़ी केंद्र में संचालित होने वाली विभिन्न 16 प्रकार की योजनाएं पर होने वाला काम प्रभावित होगा जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कार्य कुपोषित बच्चों की देखभाल करना है जो सर्वे कार्य में संलग्न रहने वाली कार्यकर्ताओं के क्षेत्र में कुपोषित बच्चे कार्यकर्ताओं की देखभाल से वंचित रहेंगे ।


Body:मध्य प्रदेश सरकार भले ही पूरे प्रदेश में कुपोषण मुक्त बनाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हो जिसे लेकर हाल ही में आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण आहार के साथ बच्चों को अंडा देने जैसा मामला भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है एक मामला अभी शांत नहीं हुआ तब तक सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्रों पर काम करने वाली कार्यकर्ताओं को बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवारों के खाद्यान्न पर्ची के भौतिक सत्यापन की जिम्मेदारी सौंप दी है । मध्यप्रदेश मे 1 करोड़ 17 लाख 40 हजार 426 से अधिक बीपीएल परिवारों का सत्यापन के लिए 61हजार 441 दल बनाए गए हैं । इन दलों में 14 हजार 983 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं अपना केंद्र बंद कर काम करेंगे । क्योंकि आंगनवाड़ी केंद्रों पर महेश एक ही कार्यकर्ता काम करती है और एक सहायक होती है जो केंद्र का दरवाजा खोल कर 4 घंटे बाद तो सकती है लेकिन शासन द्वारा निर्धारित 16 प्रकार की योजनाओं में से किसी भी योजना का काम नहीं कर सकते ।

मुरैना जिले की बात करें तो दो लाख 18 हजार 117 परिवार के खाद्यान्न पर्ची ओं के भौतिक सत्यापन के लिए 1164 दल बनाए गए हैं इनमें राजस्व विभाग के पटवारी, ग्राम पंचायत के सचिव , ग्राम रोजगार सहायक सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सम्मिलित किया गया है । अभी तक इस सर्वे कार्य का भौतिक सत्यापन मोबाइल एप्लीकेशन पर डाउनलोड कर करना है ऐसे में अग्रणी कार्यकर्ताओं को इसकी संक्षिप्त जानकारी भी नहीं है और इसमें वह अध्यक्ष भी नहीं है क्योंकि उनकी योग्यता इस कार्य के अनुरूप नहीं है । जिलेभर में 2,000 से अधिक केंद्र ऐसे हैं जहां केवल कार्यकर्ता ही पदस्थ हैं सहायका पदस्थ ही नहीं है ऐसे केंद्रों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं अगर सर्वे कार्य में लगेंगे तो आंगनवाड़ी केंद्रों पर ताला लग जाएगा ।

खाद्यान पात्रता पर्ची सर्वे के लिए बनाए गए 1164 दलों में से मैच 84 लोग ही अभी मोबाइल पर सर्वे ऐप डाउनलोड कर पाए हैं जिनमें से 77 ने काम शुरू किया है और मात्र 4 कर्मचारी ऐसे हैं जिन्होंने अभी सर्वे कार्य की रिपोर्ट अपलोड करना शुरू किया है । सर्वे कार्य की गति की बात करें तो अभी तक 6 फ़ीसदी कर्मचारियों ने एप्लीकेशन को लॉगइन किया है 0.34 फ़ीसदी लोगों ने सर्वे कार्य प्रारंभ किया है और 0.01 फ़ीसदी सत्यापन कार्य कर पाए हैं ऐसे में निर्धारित समय में 218000 से अधिक परिवारों का भौतिक सत्यापन सर्वे के माध्यम से कैसे होगा या एक बड़ा सवाल है ।


Conclusion:मध्यप्रदेश में ही नहीं मुरैना जिले में भी कुपोषण के शिकार चार बच्चों की मौत पिछले महीनों में हुई है जिस से बचने के लिए सुपोषण अभियान के तहत जिला प्रशासन ने सामाजिक संस्थाओं से और आम नागरिकों से रक्तदान कैंप लगाकर कराया और वह रक्त कुपोषित बच्चों पर चढ़ाकर उन्हें शो पोषित करने के लिए प्रयास किए आरजू देश के प्रशासन आशा अनुसार परिणाम नहीं निकाल सका ऐसे हालातों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से सर्वे कार्य कराया जाना और अपने कार्य को यथास्थिति छोड़ना यह प्रशासन और सरकार की कुपोषण अभियान के खिलाफ चलाई मुहिम की हाकिहक बया करती है ।

बाईट 1 - गणेशराम शर्मा, प्रदेश सचिव भारतीय मजदूर संघ
बाईट 2 - प्रियंकदास , कलेक्टर मुरैना
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