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बाढ़ पीड़ित विस्थापितों को नहीं मिल रहा खाने पीने का सामान, प्रशासन पर लगाया अनदेखी का आरोप - morena news

चंबल नदी का जल स्तर बढ़ाने से किनारे बसे लोगों को प्रशासन ने सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है. लेकिन दो दिन बीत जाने के बाद भी लोगों के खाने पीने की व्यवस्था अभी तक नहीं की है.

खाने पीने का सामान के लिए परेशान हो रहे लोग
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Published : Sep 20, 2019, 11:19 PM IST

मुरैना। राजस्थान के कोटा बैराज डैम से चंबल नदी में पानी छोड़े जाने से जनजीवन अस्त- व्यस्त हो गया है. चंबल नदी का जल स्तर बढ़ने से किनारे पर बसे गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. ऐसे में प्रशासन ने आपात स्थिति से निपटने के लिए लोगों को सुरक्षित जगहों पर तो पहुंचा दिया है, लेकिन अभी तक लोगों के खाने पीने की व्यवस्था अभी तक नहीं की है.

खाने पीने का सामान के लिए परेशान हो रहे लोग


जिला प्रशासन डूब में फंसे लोगों को ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित विस्थापित करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन अभी तक किसी भी तरह की सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई हैं. लिहाजा विस्थापित अभी भी समय पर भोजन और पानी सहित अन्य सुविधाओं के इंतजार में हैं.


बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि दो बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. जहां प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को रखा है, वहां जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है. हालांकि कांग्रेस विधायक ऐदल सिंह कंसाना के बेटे मौके पर पहुंचे और लोगों के खाने- पीने की व्यवस्था करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने सीएम कमलनाथ से बात कर पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलाने की भी बात कही है.

मुरैना। राजस्थान के कोटा बैराज डैम से चंबल नदी में पानी छोड़े जाने से जनजीवन अस्त- व्यस्त हो गया है. चंबल नदी का जल स्तर बढ़ने से किनारे पर बसे गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. ऐसे में प्रशासन ने आपात स्थिति से निपटने के लिए लोगों को सुरक्षित जगहों पर तो पहुंचा दिया है, लेकिन अभी तक लोगों के खाने पीने की व्यवस्था अभी तक नहीं की है.

खाने पीने का सामान के लिए परेशान हो रहे लोग


जिला प्रशासन डूब में फंसे लोगों को ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित विस्थापित करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन अभी तक किसी भी तरह की सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई हैं. लिहाजा विस्थापित अभी भी समय पर भोजन और पानी सहित अन्य सुविधाओं के इंतजार में हैं.


बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि दो बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. जहां प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को रखा है, वहां जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है. हालांकि कांग्रेस विधायक ऐदल सिंह कंसाना के बेटे मौके पर पहुंचे और लोगों के खाने- पीने की व्यवस्था करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने सीएम कमलनाथ से बात कर पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलाने की भी बात कही है.

Intro:कोटा बैराज से चंबल नदी में छोड़े जा रहे पानी को लेकर जिले में बने बाढ़ के हालातों से निपटने के लिए प्रशासन अपने स्तर पर पूरे प्रयास करने की कोशिश कर रहा है लेकिन जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं या तो प्रशासन के दावे खोखले हैं या फिर उनका तंत्र इतनी जिम्मेदारी के साथ काम नहीं कर रहा जिसकी वर्तमान परिस्थितियों में चंबल अंचल के विस्थापितों को जरूरत है ।Body:पिछले 15 दिनों से चंबल नदी में कोटा बैराज से पानी छोड़ा जा रहा था जिसे लेकर 15 दिन पहले खतरे के निशान तक चंबल नदी नदी पहुंची थी और उसके बाद फिर यह पानी कम हो गया था लेकिन अभी 5 दिन से लगातार चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है यही नहीं खतरे का निशान 138 मीटर पर है और चंबल नदी का जलस्तर 145 मीटर तक पहुंच गया बीते 24 घंटे में यह जलस्तर कम हुआ और 138.3 मीटर पर स्तर हो गया था लेकिन इससे जो गांव डूब में फंसे हुए हैं वह डूब से बाहर नहीं आ सकेंगे लिहाजा जो गांव चंबल नदी में पढ़ने वाले जल स्तर से घिरे हुए हैं धीरे ही रहेंगे उनका संकट फिलहाल कम होता नजर नहीं आ रहा दूसरी तरफ आज शाम कोटा बैराज से मिली सूचना के आधार पर एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी और रिलीज किया गया है यानी अगले 24 घंटे में उसका असर दिखेगा तो चंबल का जलस्तर 140 मीटर से ऊपर फिर चला जाएगा यानी कि दो प्रभावित क्षेत्र को कोई राहत की उम्मीद नजर नहीं आती ।Conclusion: जिला प्रशासन और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि लगातार जनता को राहत पहुंचाने की बात कर रहे हैं डूब में फंसे लोगों को ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित विस्थापित करने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं लेकिन अभी तक इन विस्थापितों को जो दैनिक सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए वह जरूरत के मुताबिक नहीं पहुंच रही हैं लिहाजा विस्थापित अभी भी समय पर भोजन और पानी सहित अन्य सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं । दो प्रभावित सभी गांव में बड़ी संख्या में आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मकानों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति बनती जा रही है लिहाजा जब भी चंबल का जलस्तर कम होगा तब इन घरों में रहना भी फिलहाल संभव नहीं होगा इसलिए प्रशासन को विस्थापित लोगों के लिए लंबे समय की मदद के हिसाब से व्यवस्था करनी होगी ।
बाईट 1 - वन तू वन ग्राम भानपुर और बरवासिन निवासी
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