मुरैना। चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण करना शुरू ही किया है कि लोग विसंगतियों को लेकर आपत्ति जताने लगे हैं. सबलगढ़ तहसील के गोंदली गांव के किसानों का आरोप है कि चंबल नदी से एक्सप्रेस वे की दूरी 3 किलोमीटर होनी चाहिए, लेकिन गोंदली ग्राम पंचायत के क्षेत्र में एक्सप्रेस वे चंबल से 6 किलोमीटर दूर नाप की जा रही है और किसानों की उपजाऊ और सिंचित जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. जबकि नियमानुसार बीहड़ की असिंचित जमीन भी खाली पड़ी है, जिसमें चंबल एक्सप्रेस वे को निकाला जा सकता है.
गोंदली गांव के किसानों का कहना है कि जो सिंचित भूमि है और जहां हमारी बेहतर फसल उपस्थिति है. उसी क्षेत्र की 140 हेक्टेयर जमीन चंबल एक्सप्रेस वे के लिए प्रशासन द्वारा नापी जा रही है और हमें बदले में बिहार की असिंचित कम उपजाऊ जमीन देने की बात कही जा रही है. इसके लिए हमने तहसीलदार और एसडीएम से भी संपर्क किया, लेकिन उनके द्वारा कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा.
जबकि चंबल एक्सप्रेस वे के निर्माण का एरिया चंबल नदी से 3 किलोमीटर दूरी पर है और उसे यहां 6 किलोमीटर दूरी पर बनाने के लिए मोड़ दिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे को अगर सीधा कर दिया जाए तो हमारी सिंचित जमीन भी बच जाएगी और एक्सप्रेस वे भी सीधा हो जाएगा.
ग्रामीणों की आपत्ति को लेकर सबलगढ़ विधायक बैजनाथ कुशवाहा ने किसानों को आश्वस्त किया है कि सिंचित जमीन को एक्सप्रेसवे वे के लिए नहीं जाने देंगे और उसे नियमानुसार सीधा निकालने के लिए कलेक्टर से बात करेंगे, ताकि उपजाऊ भूमि चंबल एक्सप्रेस वे में ना जाए.