मुरैना। राजस्थान के कोटा बैराज डैम से चंबल नदी में पानी छोड़े जाने के बाद नदी किनारे बसे गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कई गांव जलमग्न हो गए है. वहीं किसानों की फसलें भी पूर तरह से बर्बाद हो गया है. ऐसे में किसानों से सामने मुआवजे की चिंता सताने लगी है.
चंबल नदी का जल स्तर बढ़ने से चंबल किनारे लगभग 1 किलोमीटर क्षेत्र में खेतों में खड़ी खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि जिले में लगभग 200 हेक्टेयर से ज्यादा फसल नष्ट हो चुकी है. किसानों के सामने मुआवजे की चिंता के साथ ही किसान जीवन यापन करने संकट मंडराने लगा है.
वहीं पीड़ितों ने प्रशासन पर भी अनदेखी की आरोप लगाया है. लोगों का कहना है कि प्रशासन हमारी राहत बचाव में कोई मदद नहीं की है. खुद से राहत बचाव कर अपने पैसों से राहत शिविर बनाए हैं. लोगों का कहना है कि हालत बिगड़ने के बाद भी अभी तक कोई भी प्रशासन या अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने नहीं पहुंचा है.