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चंबल नदी ने जनजीवन को किया अस्त-व्यस्त, पूरी तरह जलमग्न हुए कई गांव - मध्यप्रदेश न्यूज

चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे बसे गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए है. किसानों की फसलें भी पूर तरह से बर्बाद हो गया है. जिससे किसानों के सामने मुआवजे की चिंता के साथ ही जीवन यापन करने का संकट आ गया है.

चंबल नदी ने किया लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त
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Published : Sep 20, 2019, 12:04 AM IST

मुरैना। राजस्थान के कोटा बैराज डैम से चंबल नदी में पानी छोड़े जाने के बाद नदी किनारे बसे गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कई गांव जलमग्न हो गए है. वहीं किसानों की फसलें भी पूर तरह से बर्बाद हो गया है. ऐसे में किसानों से सामने मुआवजे की चिंता सताने लगी है.

चंबल नदी ने किया लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त

चंबल नदी का जल स्तर बढ़ने से चंबल किनारे लगभग 1 किलोमीटर क्षेत्र में खेतों में खड़ी खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि जिले में लगभग 200 हेक्टेयर से ज्यादा फसल नष्ट हो चुकी है. किसानों के सामने मुआवजे की चिंता के साथ ही किसान जीवन यापन करने संकट मंडराने लगा है.

वहीं पीड़ितों ने प्रशासन पर भी अनदेखी की आरोप लगाया है. लोगों का कहना है कि प्रशासन हमारी राहत बचाव में कोई मदद नहीं की है. खुद से राहत बचाव कर अपने पैसों से राहत शिविर बनाए हैं. लोगों का कहना है कि हालत बिगड़ने के बाद भी अभी तक कोई भी प्रशासन या अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने नहीं पहुंचा है.

मुरैना। राजस्थान के कोटा बैराज डैम से चंबल नदी में पानी छोड़े जाने के बाद नदी किनारे बसे गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कई गांव जलमग्न हो गए है. वहीं किसानों की फसलें भी पूर तरह से बर्बाद हो गया है. ऐसे में किसानों से सामने मुआवजे की चिंता सताने लगी है.

चंबल नदी ने किया लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त

चंबल नदी का जल स्तर बढ़ने से चंबल किनारे लगभग 1 किलोमीटर क्षेत्र में खेतों में खड़ी खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि जिले में लगभग 200 हेक्टेयर से ज्यादा फसल नष्ट हो चुकी है. किसानों के सामने मुआवजे की चिंता के साथ ही किसान जीवन यापन करने संकट मंडराने लगा है.

वहीं पीड़ितों ने प्रशासन पर भी अनदेखी की आरोप लगाया है. लोगों का कहना है कि प्रशासन हमारी राहत बचाव में कोई मदद नहीं की है. खुद से राहत बचाव कर अपने पैसों से राहत शिविर बनाए हैं. लोगों का कहना है कि हालत बिगड़ने के बाद भी अभी तक कोई भी प्रशासन या अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने नहीं पहुंचा है.

Intro: एंकर - कोटा बैराज से छोड़े गए चंबल नदी में पानी से जिले के पोरसा तहसील में दो दर्जन गांव मैं जलस्तर बढ़ने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और कर्ज के बोझ से दबे ग्रामीण किसानों मैं नष्ट हुई फसलों को लेकर हैं चिंतित
चंबल नदी में दो दशक बाद इतनी अधिक मात्रा में आए पानी की वजह से चंबल किनारे लगभग 1 किलोमीटर क्षेत्र में खड़ी खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है, जिले में लगभग 200 हेक्टेयर से ज्यादा खरीफ की फसल नष्ट होने से चंबल किनारे बसे किसानों के सामने बाढ़ का और इसके कारण आने वाले समय में अनाज और चारे का संकट साफ दिखाई दे रहा है.Body: ग्रामीणों का कहना है कि हमारी फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं हमारे घरों में पानी भरने के कारण घर में रखे अनाज भी खराब हो चुके हैं और हमारे जानवरों के लिए रखे चारा भी खराब हो चुका है आने वाले समय में हम अपना अपना जीवन यापन कैसे कर पाएंगे मेरी दो बेटियां शादी के लिए हैं हमने जमीदारों से कर्ज़ और बटिया पर खेती लेकर परिवार का भरण पोषण कर रहे थे लेकिन फसल चौपट होने से अब संकट के बादल छा रहे हैं और प्रशासन द्वारा हमारी राहत बचाव में कोई मदद नहीं की है हमने खुद से हम अपने और अपने क्षेत्र के लोगों द्वारा राहत बचाव कर अपने पैसों से राहत शिविर बनाए हैं और हमारे क्षेत्र के लोगों द्वारा हर तरह की मदद मिल पा रही है और यहां तक है कि हमारे गांव में अभी तक कोई भी प्रशासन और अधिकारी नहीं पहुंचा है

वाइट् 1. ग्रामीण किसान

वाइट् 2. ग्रामीणConclusion: भले ही नदी का जलस्तर कम हो रहा हो लेकिन प्रशासन की झूठे दावों की पोल खुलती दिखाई दे रही है कहीं ना कहीं ग्रामीणों और किसानों में प्रशासन को लेकर आक्रोष देखने को मिल रहा है

वाइट् 3. जांडेल सिंह तोमर नायब
तहसीलदार
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