मुरैना। एक तरफ पूरा देश कोरोना से जंग लड़ रहा है, वहीं मध्यप्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए रस्साकशी का दौर शुरू हो चुका है. मुरैना जिले की 5 विधानसभा में सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा है जौरा, जहां कांग्रेस विधायक बनवारी लाल के निधन के बाद उपचुनाव होना है.
बनवारी लाल सिंधिया खेमे से आते थे, सत्ता परिवर्तन से पहले जहां टिकट लगभग तय थे, वहीं सत्ता परिवर्तन के बाद अब दोनों ही दलों के लिए टिकट तय करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है.
बीजेपी में सिंधिया के आने के बाद अगर बनवारी लाल के बेटे को टिकट देती है, तो वहां से पूर्व विधायक सूबेदार की नाराजगी तय है और अगर नहीं देती है तो कांग्रेस को उसका फायदा हो सकता है. दोनों ही स्थितियों में अब जातिगत समीकरणों के आधार पर ही टिकट दिए जाने की संभावना है.
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राकेश मावई के अनुसार जौरा विधानसभा सीट का इतिहास गवाह है कि वहां पर आजादी के बाद से ही कांग्रेस का विधायक रहा है. केवल एक बार बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की है, इसलिए यहां पर कांग्रेस, अपनी जीत तय मान रही है.
बीजेपी के जिलाध्यक्ष योगेश पाल गुप्ता के अनुसार भाजपा में कोई खेमे का गुट नहीं होता है, जौरा विधानसभा सीट पर बीजेपी अपनी जीत दर्ज करेगी. उनके अनुसार टिकट का बंटवारा शीर्ष नेतृत्व तय करेगा पर जिसे भी टिकट दिया जाएगा, उसके लिए बीजेपी के सभी कार्यकर्ता जी जान से मेहनत करेंगे.
जानकारों की माने तो ग्वालियर चंबल संभाग में होने वाली 16 सीटों के उपचुनाव में सबसे महत्वपूर्ण जौरा सीट ही है. वहां पर कांग्रेस विधायक के निधन के बाद पहले उनके बेटे को टिकट दिया जाना तय माना जा रहा था, लेकिन अब सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद से हालात पूरी तरह से बदल गए हैं.
यह भी तय है कि अब वहां पर जातिगत आधार पर ही टिकट का वितरण होगा. वहीं अगर बसपा किसी कद्दावर नेता को टिकट देती है, तो दोनों पार्टी के समीकरण बिगाड़ सकती है.